कोरोना काल में घातक है महंगी बिजली सीएम साहब!

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देहरादून(संवाददाता। ‘सबका साथ,सबका विकास और सबका विश्वासÓ के स्लोगन से जनता में अपनी पैठ बनाने मे कुछ सफल हो रहे तीरथ सिंह रावत,को शायद जनता मे अच्छी पकड को स्वयं तीरथ पचा नहीं पाये या उनके चंद सलाहकारों ने उनकी बढती लोकप्रियता को देखते हुए राजनीतिक विसात बिछाकर उन्हें 2०22 से पूर्व कुर्सी से उन्मुक्त करने की रणनीति पर बिसात बिछानी तो शुरू नहंी कर दी है?
प्रदेश में कोरोना महामारी दिनों दिन नये कीर्तिमान स्थापित कर रही है, जनता को प्राण वायु, बैड,दवाइयां नहीं मिल रही है,लोगों के पास रोजगार उपलब्ध नहीं है, वही चन्द अधिकारियों के समझाये रास्ते पर सफर करते हुए तीरथ सरकार ने बिजली की दरें बढाकर आम जनमानस पर अतिरिक्त बोझ बढा दिया है,जो इस वैश्विक महामारी के समय न्यायोचित नहीं है? राज्य के चुनावी वर्ष में बिजली की दरों में इजाफा किये जाने से इसके दूरगामी परिणाम प्रचंड बहुमत की सरकार के मुखिया तीरथ सिंह रावत को 2०22 में भुगतने पड सकते हैं? प्रतिमाह 1०1 यूनिट से अधिक बिजली खर्च करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं को अब पहले की तुलना में अधिक बिल चुकाना होगा। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग की ओर से जारी वर्ष 2०21- 22 के बिजली टैरिफ के अनुसार प्रतिमाह 1०1 से 2०० यूनिट बिजली खर्च करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं को अब चार रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिल चुकाना होगा। अभी तक इस श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए टैरिफ तीन रुपये पचहत्तर पैसे था। यानी अब इस श्रेणी के उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 25 पैसे अधिक चुकाने होंगे। 2०1 से 4०० यूनिट बिजली प्रतिमाह खर्च करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं को अब प्रति यूनिट पांच रुपये पचास पैसे के हिसाब से बिल देना होगा। इस श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए अभी तक टैरिफ पांच रुपये पंद्रह पैसे था। यानी इस श्रेणी के लिए प्रति यूनिट 35 पैसे बढ़ाए गए हैं। महीने में 4०० यूनिट से अधिक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को अब छह रुपये 25 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से बिल देना होगा। इस श्रेणी के लिए अभी तक टैरिफ पांच रुपये 9० पैसे तय था। यानी इस श्रेणी में भी प्रति यूनिट 35 पैसे का इजाफा किया गया है। बढी हुई दरों पर आम उपभोक्ताओं का कहना है कि जब हमारे पास रोजगार व अन्य आय के साधन मौजूद नही है तो ऐसे में इस समय दरें बढाने का क्या औचित्य है। वही राजनीतिक विद्वान मानने लगे है कि मुख्यमंत्री अपने स्व विवेक से कोई कठोर व जनहित में निर्णय नही ले पा रहे हैं जबकि उन्हें प्रदेश की सभी स्थितियों की पूर्ण जानकारी है? यदि इसी तरह आँखे बंद कर जनता पर करो का बोझ डाला गया तो ये आने वाले समय में राज्य व विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के हित में नही होगा? उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को ऐसी महामारी में कौन ऐसी सलाह दे गया कि बिजली की दरों में बढोत्तरी कर जनता पर बोझ डाल दिया जाये? मौजूदा दौर में जहां हर दूसरा इंसान जिंदा रहने की चाह में अपने आपको घरों में कैद करने के लिए मजबूर हो चुका है वहीं उस मजबूर इंसान पर चुनावी वर्ष में बिजली के बिल के बढाने का झटका सरकार के लिए शुभ संकेत नहंी माने जा रहे? सोशल मीडिया पर बिजली की दरें बढाये जाने को लेकर लोगों ने सरकार को अभी से ही निशाने पर लेना शुरू कर दिया है।

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