मातहतों पर शिकंजा
गजबः कप्तान को अभयदान!
देहरादून(संवाददाता। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री के पास गृह विभाग है और राज्यवासियों को सुरक्षा देना तथा अपराधियों के खिलाफ सख्त एक्शन लेना उनकी जिम्मेदारी है लेकिन कुछ समय पूर्व धर्मनगरी हरिद्वार में जिस तरह से दो पुलिसकर्मियों को नशा तस्कर से सांठगांठ के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया तो वहीं जनपद के पुलिस कप्तान के हमराह को भी नशा तस्करों से सांठगांठ के आरोप में निलम्बित किया गया लेकिन हैरानी वाली बात है कि पुलिस कप्तान का हमराह कब से नशा तस्करों के साथ मिलकर गुल खिला रहा था इसका पता जनपद के हाकिम को भी नहीं चला तो उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनका नेटवर्क अपने ही घर मंे किस तरह से धडाम हो रखा था? एक ही मामले में सजा के दो पैमाने पुलिस के आला अधिकारियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा रहा है और अब इतने गंभीर मामले पर कब सीएम एक्शन में आयेंगे इस पर अब राज्य पुलिस की भी नजरें लगी हुई हैं?
प्रदेश पुलिस मुखिया के निर्देशन में देहरादून एसटीएफ द्वारा ड्रग्स तस्करों से सांठगांठ के आरोप में मुकदमा दर्ज कर जेल भेजे गए दो सिपाहियों के विरुद्ध कार्रवाई के बाद अब हरिद्वार के एसएसपी के हमराह प्रोन्नत हेड कांस्टेबल विकास बलूनी को ड्रग्स तस्करों से सांठगांठ के आरोप में सस्पेंड किया गया है। सवाल उठ रहा है कि जब ज्वालापुर कोतवाली के दो सिपाहियों को तस्करों के साथ मिलीभगत के आरोप में मुकदमा दर्ज कर जेल भेजे जाने जैसी बड़ी कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है तो एसएसपी हरिद्वार के हमराह प्रोन्नत हेड कांस्टेबल विकास बलूनी पर महकमे की दरियादिली का आखिर क्या राज है?क्यूंकि ज्वालापुर कोतवाली के दो सिपाहियों को ड्रग तस्करों से सांठगांठ के आरोप में जेल भेजें जाने जैसी कार्रवाई के बाद इसी तरह के आरोप एसएसपी के हमराह विकास बलूनी पर लगने के बावजूद विकास बलूनी के विरुद्ध मात्र निलंबन की कार्रवाई किए जाने को लेकर भी महकमे में सुगबुगाहट तेज हो गई है। साथ ही चर्चा यह भी है कि ज्वालापुर कोतवाली के सिपाहियों को जेल भेजे जाने के बाद एसएसपी द्वारा ज्वालापुर कोतवाल के विरुद्ध भी कार्रवाई करते हुए कोतवाल प्रवीण कोश्यारी को कोतवाली से हटाकर पुलिस लाइन भेजा गया है तो एसएसपी के हमराह का सीधा सीधा मामला ड्रग्स तस्करों से जुड़ा होने के बावजूद आखिर एसएसपी को किस आधार पर अभयदान दिया है? वैसी ही कार्यवाही एसएसपी के विरूद्ध क्यों नहीं?
बताते चलें कि असामाजिक तत्वों के साथ मिलीभगत के आरोप में निलंबित किए गए एसएसपी हरिद्वार के हमराह विकास बलूनी काफी लंबे समय से हरिद्वार के एसएसपी रहे अधिकारियों के साथ हमराह के तौर पर तैनात था एसटीएफ द्वारा पूरे प्रकरण का भंडाफोड़ किए जाने से अब भले ही विकास बलूनी के विरुद्ध निलंबन की कार्रवाई कर इतिश्री कर ली गई हो लेकिन सवाल उठ रहे हैं की एक जनपद में एक ही तरह के प्रकरण में दो तरह की कार्रवाई का क्या औचित्य है यह कार्रवाई में दो सिपाहियों को जेल भेजा जाता है तो वहीं दूसरी ओर उसी तरह के आरोप लगने पर एसएसपी के हमराह को निलंबन कर कार्रवाई की इतिश्री कर ली जाती है? यही मामला ज्वालापुर कोतवाल रहे प्रवीण कोशियारी प्रकरण में भी सामने आया जब प्रवीण कोश्यारी को सिपाहियों की गिरफ्तारी होने पर मात्र इस आधार पर लाइन का रास्ता दिखाया गया के सिपाहियों की कारगुजारी की भनक कोतवाल को कैसे नहीं लगी, वही इसी तरह के प्रकरण में एसएसपी को अभय दान दिया जाना महकमे की कार्रवाई पर प्रश्न चिन्ह लगाता नजर आ रहा है? गौरतलब है कि विगत 16 अप्रैल को प्रदेश पुलिस मुखिया के निर्देश पर उत्तराखंड एसटीएफ की तीन टीमों ने ज्वालापुर कोतवाली क्षेत्र में ड्रग्स तस्करी में लगे चार तस्करों को गिरफ्तार करते हुए तस्करों से मिलीभगत के आरोप में ज्वालापुर कोतवाली में तैनात सिपाही अमजद वह हरिद्वार नारकोटिक सेल में तैनात सिपाही रईस राजा को तस्करों को संरक्षण देने के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने की कार्यवाही की थी एसटीएफ द्वारा की गई इस बड़ी कार्रवाई को लेकर जहां एक और महकमे में हड़कंप मचा रहा वहीं दूसरी ओर असामाजिक तत्वों के साथ संबंध रखने वाले अन्य पुलिसकर्मियों की भी नींद उड़ती नजर आई। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जांच के दौरान एसएसपी हरिद्वार के हमराह विकास बलूनी की भूमिका सामने आने पर उच्च अधिकारी भोचक्क रह गए, तब कार्रवाई को लेकर विकास बलूनी को निलंबित करते हुए सीओ रुड़की को जांच सौंप कर अधिकारियों ने प्रकरण से पल्ला झाड़ लिया परंतु यहां महकमे में सुगबुगाहट शुरू हो गई की जब कोतवाली के दो सिपाहियों को ड्रग्स तस्करों के संरक्षण देने के आरोप में जेल भेजा जा सकता है तो आखिर कप्तान के हमराह पर दरियादिली का क्या कारण है? चर्चाएं हैं कि ड्रग सिंडिकेट की कमर तोड़ने में लगी उत्तराखंड एसटीएफ को तीनों सिपाहियों के अलावा ज्वालापुर कोतवाली शहीद रानीपुर बहादराबाद हरिद्वार कोतवाली के कोई सिपाहियों की भूमिका संदिग्ध मिली है? यही नहीं ज्वालापुर कोतवाली में तैनात दो दरोगा भी एसटीएफ की रडार पर है परंतु कार्यवाही को लेकर प्रदेश पुलिस मुख्यालय द्वारा अपनाए जा रहे दोहरे रवैए को लेकर महकमे में चर्चाओं का बाजार गरम है। जिस के संबंध में सिपाहियों द्वारा बनाए गए कई व्हाट्सएप ग्रुप पर पूरी कार्रवाई को लेकर महकमें पर सवाल खड़ा करते हुए आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं? सवाल उठ रहे हैं कि अगर किसी जनपद के पुलिस कप्तान का हमराह नशा तस्कर से सांठगांठ करता हुआ पाया गया तो पुलिस कप्तान का नेटवर्क किस कदर ध्वस्त होगा इसका अंदाजा अपने आप लगाया जा सकता है?