तीरथ की ताजपोशी से चंद राजनेताओं-अफसरों में मची हुई है ‘खलबली’
सोशल मीडिया पर स्वास्थ्य महकमें के दावों की उड रही धज्जियां
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में भाजपा के आधा दर्जन से अधिक विधायक हमेशा मुख्यमंत्री की चाहत में उत्तराखण्ड से लेकर दिल्ली तक में राजनीति की बिसात बिछाते आ रहे हैं और 2017 में जब भाजपा प्रचंड बहुमत की सरकार सत्ता में आई तो भाजपा के चंद बडे राजनेताओं ने मुख्यमंत्री बनने के लिए ऐडी-चोटी का जोर लगाया था लेकिन उस समय अमित शाह के करीबी माने जाने वाले त्रिवेन्द्र सिंह रावत को उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री बनाकर उन सभी भाजपा विधायको के अरमानों पर पानी फेर दिया था जो मुख्यमंत्री की दौड में दिल्ली में चंद राजनेताओं की परिक्रमा कर रहे थे। चार साल तक उत्तराखण्ड की सत्ता चलाने वाले त्रिवेन्द्र सिंह रावत को हटाकर भाजपा हाईकमान ने ईमानदार व सरल स्वभाव के सांसद तीरथ ंिसह रावत को उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री बनाकर एक बार फिर उन सभी भाजपा नेताओं को आईना दिखा दिया था जो यह सपना पाल गये थे कि भाजपा हाईकमान उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए हरी झण्डी दे देंगे। उत्तराखण्ड में त्रिवेन्द्र रावत की टीम में शामिल रहे कुछ बडे अफसर आज भी नये मुख्यमंत्री तीरथ ंिसह रावत की टीम में अपनी कुर्सी को सुरक्षित रखे हुए हैं जिसको देखते हुए अब यह चर्चाएं भी तेज हो गई हैं कि सीएम साहब को त्रिवेन्द्र टीम के कुछ अफसरों के मायाजाल से बाहर निकलना पडेगा क्योंकि अगर वह इन अफसरों के मायाजाल में फंस गये तो तीरथ सिंह रावत के लिए 2022 में भाजपा को सत्ता में लाने के लिए कांटों की राह से अपने सफर को तय करना पडेगा? आशंकाएं यह भी हैं कि तीरथ सिंह रावत की ताजपोशी से भाजपा के चंद राजनेताओं व दर्जनों अफसरों में खलबली मची हुई है कि कहीं तीरथ सिंह रावत ने अपनी टीम में कुछ मजबूत व साफ छवि के लोगों को रख लिया तो उनके सामने एक बडा संकट आकर खडा हो जायेगा? कोरोना काल में भाजपा के कुछ नेताओं व कुछ बडे अफसरों की यह मंशा दिखाई दे रही है कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं ध्वस्त रहें जिससे उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री भाजपा हाईकमान के निशान पर आ जाये और उनके सामने यह संदेश चला जाये कि कोरोना से लडने में मुख्यमंत्री फेल होते जा रहे हैं? ऐसे में मुख्यमंत्री के सामने कोरोना काल की लडाई में अपने आपको सफल बनाने के लिए रात-दिन अपनी एक नई टीम के साथ आगे आना पडेगा जिससे कि यह सच्चाई पता चल सके कि ए.सी कमरों में बैठकर कुछ अफसर कैसे उनके सामने हवा-हवाई दावों का झुनझुना बजा रहे हैं?
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड में जबसे तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई है तबसे वह अपनी ही पार्टी के कुछ बडे राजनेताओ व दागी अफसरों की आंखों की किरकिरी बने हुये हैं। तीरथ सिंह रावत जो कि साफ छवि के राजनेता हैं और लम्बे अर्से से उनकी राजनीति पर कोई दाग नहीं लग पाया है इसलिए भाजपा हाईकमान ने उन्हें 2022 में एक बार फिर पार्टी को सत्ता में वापस लाने का मिशन सौंपा है। मुख्यमंत्री ने पदभार संभालते ही राज्य के सभी अफसरों को संदेश दे दिया था कि उनके राज में किसी के साथ भी भेदभाव के तहत काम नहीं किया जायेगा और न ही किसी पत्रकार पर फर्जी मुकदमें कायम किये जायेंगे। मुख्यमंत्री के इस आदेश से उन भ्रष्ट व दागी अफसरों में खलबली मची हुई है जो सरकार के सामने चापलूसी का खेल-खेलकर कुछ लोगों के खिलाफ फर्जी मुकदमें कायम कराने का प्रपंच रचते रहते थे? मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही तीरथ सिंह रावत के सामने कोरोना का प्रकोप शुरू हो गया और उनके सामने राज्यवासियों को इस माहमारी से बचाने की एक बडी जिम्मेदारी आ खडी हुई। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत खुद अस्पतालों में जाकर वहां का निरीक्षण कर अफसरों को बैड, ऑक्सीजन व वैल्टीनेटरों की संख्या बढाने के लिए रात-दिन एक किये हुये हैं लेकिन स्वास्थ्य महकमें के कुछ अफसर मुख्यमंत्री को हवा-हवाई दावों से रूबरू करा रहे हैं जबकि हकीकत यह है कि मौजूदा समय में राजधानी में न तो किसी सरकारी व प्राईवेट अस्पताल में कोरोना के मरीज को ऑक्सीजन बैड मिल रहा है और न ही किसी मरीज को वैल्टीनेटर नसीब हो पा रहा है। स्वास्थ्य महकमें के चंद बडे अफसर मीडिया के सामने दावे कर रहे हैं कि उत्तराखण्ड के अन्दर कितने आईसीयम बैड व ऑक्सीजन मौजूद है जबकि धरातल पर स्वास्थ्य महकमें के अफसरों का यह आदेश हवा-हवाई ही दिखाई दे रहा है। सोशल मीडिया पर अब आक्रोशित लोगों ने भी ध्वस्त हो चुकी स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर अपनी भडास निकालनी शुरू कर दी है इससे तो यह साफ दिखाई दे रहा है कि स्वास्थ्य महकमें के कुछ अफसर किस तरह से मुख्यमंत्री को गुमराह करने के मिशन में आगे बढे हुये हैं। राजधानी में अब इस बात को लेकर बहस छिड गई है कि मुख्यमंत्री के सामने कोरोना से लडने के लिए भले ही एक बडी चुनौती आ गई हो लेकिन उन्हें अपने कुछ अफसरों के मायाजाल से बचना होगा और उन्हें अपनी एक नई टीम मैदान में उतारनी पडेगी जो कि समूचे राज्य में खुद इस बात का आंकलन करे कि कोरोना से लडने के लिए स्वास्थ्य महकमा किस तैयारी के साथ मैदान में उतरा हुआ है। अगर इस जंग में मुख्यमंत्री आवाम को एक बडी राहत दे गये तो 2022 में भाजपा के लिए दुबारा सत्ता में लौटना कोई बडी चुनौती नहीं रह जायेगा?