ऑक्सीजन के लिए भटकते लोग सांसों पर संकट!

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104 हैल्पलाइन भी बन रही हवा-हवाई
कौन बताएगा कहां है आईसीयू बैड?
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत भले ही कोरोना काल में आये दिन अफसरों के साथ बैठक कर स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा करते हुए दिखाई दे रहे हों लेकिन हकीकत यह है कि राज्य के कुछ जिलों में ऑक्सीजन के लिए जिस तरह से लोग दर-दर भटक रहे हैं उससे सांसों पर एक बडा संकट आकर खडा हो गया है? ऑक्सीजन सैलेण्डर कहां से मिलेंगे इसके लिए तो सिस्टम ने कुछ नम्बर जारी कर दिये लेकिन इन नम्बरों को उठाने की जहमत कौन करेगा इसका जवाब आखिर कौन देगा? सरकार ने दावा किया कि कोरोना की बीमारी से सम्बन्धित 104 हैल्पलाइन बनाई गई है लेकिन यह हैल्पलाइन भी राजधानी के अन्दर तो हवा-हवाई साबित हो रही है और उस पर कॉल करने के बाद वहां से फोन न उठना इस ओर इशारा कर रहा है कि सिस्टम किस तरह से फेल हो चुका है? गजब बात तो यह है कि मीडिया के सामने आकर स्वास्थ्य महकमें के आला अफसर दावा कर रहे हैं कि राज्य में कितने आईसीयू बैड हैं और राजधानी में कहां-कहां आईसीयू बैड बढाये जा रहे हैं लेकिन धरातल पर कोरोना के मरीजों को यह आईसीयू बैड कब और कहां मिलेंगे यह बताने वाला शायद सिस्टम में कोई नजर नहीं आ रहा है? इससे आवाम के मन में सरकार की कार्यशैली को लेकर एक बडी नाराजगी पनपने लगी है और सवाल खडे होने लगे हैं कि क्या उत्तराखण्ड में कोरोना से निपटने के लिए सरकार के हाथ से सबकुछ फिसल चुका है? उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में राज्य के अन्दर जिस तरह से एक बडा विस्फोट हो रखा है और कोरोना के मरीजों के सामने जिस तरह से जीवन मरण का सवाल खडा हो रखा है वह उत्तराखण्ड सरकार के लिए एक चिंता का विषय होना चाहिए। सरकार के मुखिया तीरथ सिंह रावत तो कोरोना के इस संकट से जंग लडने के लिए मंथन कर रहे हैं लेकिन सरकारी सिस्टम का खेल राज्यवासियों के समझ में नहीं आ रहा है?

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