एक महीने भी नहीं टिका ‘कुम्भ लोगो’

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हरिद्वार। कुम्भ के समापन को लेकर छिड़ी बहस के बीच सरकार ने कुम्भ समाप्ति की घोषणा भले ही अभी नही की हो। लेकिन कुम्भ कार्यों की गुणवत्ता सामने आने लगी है या कहे खण्डरों में बनाये गये अनजान घाट पर करोड़ो रूपये बिखेर दिये गए जिसका लाभ न श्रद्धालुओं को मिलना न स्थानीय घुमक्कडों को मिलना था\ हाँ नशेडिय़ों को खूब भाया जिनको वीरान घाट पर लौटी रौनक बर्दाश्त नहीं हुई और हाल ही में लगे आकर्षक कुम्भ लोगो को तोड़ दिया गया। भारी भरकम रुपया खर्च कर बनाया गया आस्था पथ जिस अपने भविष्य को लेकर चिंतित था उसका हश्र वैसा ही होना शुरू भी हो गया। इससे पहले हरिद्वार को मायापुर चेकडैम के पास शानदार अलकनन्दा घाट भी मिला था जो सुल्फियों कि बड़ी ऐशगाह बना रहा\ तब सुबह-शाम स्थानीय चहल कदमी वाले लोगो की शिकायत पर गंगा किनारे के हिस्से को तो संभाला गया लेकिन कुम्भ कलश खड़े मैदान को खण्डर बना दिया गया\ अब उत्तर प्रदेश का होटल बनने के बाद कुछ सुधर जाये।
बात करें हाल ही में बने हरिद्वार के आस्था पथ की तो यहां जनता का पैसा जिस प्रकार चिपका कर वाहवाही लेने का प्रयास किया गया। उसमे स्थानीय जनता को रत्तीभर भी लाभ मिलने की उम्मीद नही थी\ सबसे पहले घाट पर गंगा का आगमन नही है वहां जिस प्रकार पानी सप्लाई देने का रास्ता बनाया है वो सिर्फ बरसात में ही सफल ही सकता है। उसके साथ साथ इस आस्था पथ पर जाने वाले दोनों मार्ग इस प्रकार हैं कि स्थानीय लोगो को भी घाट के द्वार खोजने पड़ रहें हैं। अब जो दृश्य सामने आया है उसकी आशंका पहले ही थी कि वहां बनी कलाकृतियों व प्लेटफार्म को किस प्रकार देख रेख होगा\ हाल ही में महाकुम्भ 2०21 का लोगो बना कर मेला प्रशासन ने फोटो तो खिंचवाई लेकिन कुम्भ सम्पन्न की उठापटक के बीच अपने कार्यों की अनदेखी शुरू कर दी या कहे उनकी उचित निगरानी की व्यवस्था बनाएं अपना बोरिया-बिस्तरा समेटना प्रारम्भ कर दिया\ इस कुम्भ द्गह्यड्ड लोगो की टूटी स्थिति अपने आप में सब कुछ परिभाषित करती है। सरकार इस मामले को कैसे लेती है स्थानीय लोग पूछ रहें हैं लोगो का कहना है अभी 3० अप्रैल आने में वक्त है इससे पहले ही कुम्भ मेला कार्यों की गुणवत्ता बाहर आने लगी हैं\

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