ऐसे तो जलती रहेंगी चितायें?
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में कोरोना के मरीजों का आंकडा अब हर इंसान के मन में इतना बडा डर बना चुका है कि उसे अब हर समय यही खतरा मंडरा रहा है कि अगर वह कोरोना की बीमारी से गम्भीर हो गया और उसके लंग्स में इंफेक्शन हो गया तो फिर वह अपना इलाज कराने के लिए जाये तो जाये कहां? देहरादून व हरिद्वार में लंग्स इंफेक्शन के मरीजों के लिए इलाज कराना एक बडी जंग लडने के सामान हो गया है क्योंकि न तो उन्हें अस्पतालों में वैल्टीनेटर बैड मिल रहे हैं और न ही लंग्स इंफेक्शन के इंजैैक्शन? ऐसे में मौत का आंकडा बढना तो लाजमी है और जब तक ऐसे गंभीर मरीजों के लिए सरकार इलाज कराने के लिए खुद आगे नहीं खडी होगी तो राज्य में कोरोना के मरीजों की चिंतायें ऐसे ही जलती हुई नजर आयेंगी?
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड में जब कोरोना अपने ऊफान पर था तो सरकार ने लॉकडाउन लगाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली थी। गजब बात तो यह है कि जब कोरोना शांत हुआ तो पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत व उनकी स्वास्थ्य महकमें की टीम ने भविष्य में कोरोना से लडने के लिए कोई खाका नहीं बनाया जिसका परिणाम अब उत्तराखण्डवासियों के सामने साफ दिखाई दे रहा है। स्वास्थ्य महकमा कोरोना से जंग लडने के लिए लम्बे अर्से से बडे-बडे दावे करता आ रहा है लेकिन मौजूदा दौर में जैसे ही कोरोना के मरीजों की संख्या में तेजी के साथ बढोत्तरी होनी शुरू हुई तो सरकारी सिस्टम चारो खाने चित नजर आ रहा है? हैरानी वाली बात है कि सिर्फ समीक्षा बैठक में ही कोरोना से लडने का ज्ञान बांटा जा रहा है जबकि धरातल पर सरकारी व प्राईवेट अस्पतालों मे ंकिस तरह से कोरोना के गंभीर मरीजों को वैल्टीनेटर बैड नहीं मिल पा रहा है इसका पता आखिर कौन लगायेगा? देहरादून व हरिद्वार में कोरोना के जिन मरीजों को लंग्स में इंफैक्शन हो रहा है उनके सामने जीवन व मरण का सवाल खडा हो रखा है और उनके परिवार के लोग वैल्टीनेटर बैड के लिए जिस तरह से सरकारी व प्राईवेट अस्पतालों में भीख मांग रहे हैं वह दिल दहलाने जैसे दृश्य ही है? सरकार को चाहिए कि जिन्हें कोरोना से लंग्स में इंफैक्शन हो रहा है उनके लिए बडे स्तर पर वैल्टीनेटर बैड की व्यवस्था करें और उन्हें इस इंफैक्शन का इंजैक्शन भी उपलब्ध हो जिससे उन्हें मौत के मुंह से जाने से बचाया जा सके?