उत्तराखण्ड में तेजी से पनप रहे कोरोना का डर खत्म करो सरकार!

0
129

हुजूर अस्पतालों में कहां हैं बैड?
कारो में मरीजों को लेकर अस्पतालों में भटक रहे परिवार
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में तेजी के साथ पनप रहे कोरोना के डर को आवाम के मन से निकालने की दिशा में सरकार ने अभी तक कोई पहल की हो ऐसा अभी तक देखने को नहीं मिला है? कोरोना के मामले भले ही उत्तराखण्ड के अन्दर छलांग मार रहे हों लेकिन राज्यवासियों को इस बीमारी से लडने की दिशा में सरकार आगे आकर उन्हें क्यों भरोसा नहीं दिला रही कि वह इस संकट की धडी में उसके साथ खडी हुई है? हैरानी वाली बात है कि सरकारी अस्पतालों में धरातल पर जाकर वहां कोरोना के मरीजों के इलाज के पैर्टन को अपनी आंखों से देखने के बजाए शासन में बैठे कुछ अफसर सिर्फ ए.सी. कमरो से दावे करने में लगे हुये है कि इस बीमारी से लडने के लिए उसकी पूरी तैयारी है और तो और चंद अफसरों ने सरकार के नये निजाम को यहां तक पाठ पढा दिया कि उसके पास आईसीयू बैड और वैलटीनेटर की कोई कमी नहीं है। राजधानी की जनता ऐसे अफसरों को अपने निशाने पर लेकर राज्य के नये मुख्यमंत्री से सवाल पूछने के लिए मीडिया का सहारा ले रही है और कह रही है कि आखिर हजूर यह बताओ कि कौन से सरकारी अस्पताल में आईसीयू बैड खाली हैं? राजधानी में यह नजारा देखने को मिल रहा है कि कोरोना के मरीजों को उनके परिवार के लोग एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक भर्ती कराने के लिए भटक रहे हैं लेकिन वहां उन्हें बैड नहीं मिल रहा है और सरकारी अस्पतालों में भी बैड फुल बताने की बात की जा रही है जिससे कोरोना के मरीजों में अपना इलाज न मिलने के लिए कारण भी एक बडा डर बना हुआ है ऐसे में कोरोना के मरीजों को इलाज के लिए उनके परिवार के लोग आखिर कहां ले जायें इसका जवाब सरकार कौन देगा? सरकार ने धरातल पर क्या कोई टीम उतार कर यह पता लगाने की कोशिश की है कि प्राईवेट या सरकारी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों के लिए कितने बैड खाली हैं या नहीं? अगर मुख्यमंत्री की टीम धरातल पर कोरोना के मरीजों को लेकर चिंता में होती तो वह दिल्ली सरकार की तर्ज पर एक ऐप ऐसी विकसित करती जिससे कि कोई भी व्यक्ति उस ऐप से पता लगा सकता है कि किस अस्पताल में कोरोना के मरीज को भर्ती कराने के लिए आईसीयू बैड खाली है? अगर सरकार ने समय रहते ए.सी कमरों में बैठकर कोरोना की समीक्षा करने के बजाए धरातल पर सच जानने के लिए अपने कदम आगे नहीं बढाये तो किसी भी कर्फ्यू के लगाने से कोरोना के मरीजों की संख्या व उनकी मौत का आकंडा कम नहीं हो पायेगा?
उल्लेखनीय है कि देश में जब पिछली बार कोरोना का कहर शुरू हुआ था तो उत्तराखण्ड में भी कोरोना का बडा खतरा हर दूसरे इंसान पर मंडराता रहा था। उस दौरान सरकार ने कोरोना से भविष्य में होने वाले खतरे को लेकर कोई बडी रणनीति बनाई हो ऐसा देखने को नहीं मिला था? अब उत्तराखण्ड में सत्ता परिवर्तन हुआ और राज्य की कमान तीरथ सिंह रावत के हाथों में आ गई है और वह ही राज्य के स्वास्थ्य मंत्री हैं ऐसे में उन पर राज्य में तेजी से फैल रहे कोरोना से आवाम को बचाना एक बडी जिम्मेदारी है। बहस यह भी छिड रही है कि मुख्यमंत्री के पास दर्जनों विभाग हैं इसलिए क्या वह एक मात्र स्वास्थ्य महकमें को लेकर अपना ध्यान केन्द्रित कर पायेंगे? उत्तराखण्ड में बढते कोरोना को देखते हुए मौजूदा दौर में एक स्वतंत्र स्वास्थ्य मंत्री की तैनाती को लेकर भी सोशल मीडिया पर आवाज उठनी शुरू हो गई है जिससे कि स्वास्थ्य मंत्री सिर्फ कोरोना के मरीजों के जीवन को बचाने की दिशा में रात-दिन एक कर सकें। उत्तराखण्ड में जिस तेजी के साथ कोरोना बम फूट रहा है उससे हर दूसरे व्यक्ति के मन में कोरोना का बडा डर देखने को मिल रहा है इस डर को समाप्त करने के लिए सरकार कोई भी कदम उठाने के लिए अभी तैयार नहीं दिख रही है जिससे कि आवाम दहशत में जीने के लिए मजबूर हो रखा है? बहस छिड रही है कि सरकार को एक बडी टीम का गठन कर उसे मैदान में उतारना चाहिए जो कि राज्यवासियों को घर-घर जाकर संदेश दे कि कोरोना से बचाव के लिए उन्हें क्या करना है और इस बीमारी का डर उन्हें अपने दिल में नहीं संजोना है? हैरानी वाली बात है कि चंद दिन पूर्व मुख्यमंत्री की कोरोना को लेकर की गई समीक्षा में स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने दावा किया कि उनके पास आईसीयू बैड, वैलटीनेटर, आक्सीजन सपोर्ट बैड पर्याप्त हैं और उन्हें इन सुविधाओं को बढाना है ऐसे मे ंसवाल उठ रहा है कि आखिरकार किस सरकारी अस्पताल में आसीयू बैड, वैल्टीनेटर, आक्सीजन सपोर्ट बैड खाली हैं? सरकार के पास ऐसा कोई सिस्टम नहीं है जिससे कि आवाम को यह पता चल सके कि किस सरकारी अस्पताल में कोरोना मरीज के लिए आईसीयू बैड खाली हैं? गजब बात तो यह है कि सरकारी अस्पतालों में कोरोना के जिन मरीजों का इलाज चल रहा है वहां की सारी व्यवस्था नर्से के हवाले की गई है ऐसी चर्चाएं सरकारी अस्पतालों में इलाज करने वाले मरीज ही बता रहे हैं। दून के आयुषमान वार्ड में कोरोना का इलाज करा रहे एक मरीज के दिमाग मे ंकोरोना का इतना डर बना हुआ है कि उसे अपने ठीक होकर घर आने का भी खतरा दिखाई दे रहा है और उसका कहना है कि उनके बैड में लगी आक्सीजन कभी तडके ही बंद हो जाती है और कभी आक्सीजन का लेवल इतना तेज हो जाता है कि उनका दिमाग सन्न हो जाता है। ऐसे में धरातल पर उतरकर सरकार के निजाम को स्वास्थ्य सेवाओं को खुद परखना पडेगा अन्यथा समीक्षा बैठकों का नतीजा हमेशा क्या रहता है यह किसी से छिपा नहीं है। दो दिन पूर्व देहरादून के जीएमएस रोड में रहने वाली एक महिला अपने पति को कोरोना का इलाज कराने के लिए उन्हें कार में लेकर समूचे शहर के प्राईवेट व सरकारी अस्पतालों में घूमती रही लेकिन उन्हें कहीं कोई बैड नहीं मिला और काफी तलाशने के बाद बल्लीवाला के समीप एक छोटे से अस्पताल में किसी तरह से कोरोना मरीज को भर्ती कराया गया जहां व्यवस्थायें न के बराबर हैं ऐसे में समझा जा सकता है कि स्वास्थ्य महकमें के कुछ अफसर शायद सरकार के मुखिया को हवा-हवाई दावों से ही रूबरू कराने के मिशन में अपने कदम आगे बढाये हुये हैं?

LEAVE A REPLY