अस्पताल क्लीनिकों से पालीथिन,बारकोड,बायोबेस्ट सबका लिया जा रहा अलग-अलग पैसा
चंद्र प्रकाश बुड़ाकोटी
देहरादून। उतराखण्ड में सरकारी व निजी अस्पताल से निकलने वाले बायो मेडिकल बेस्ट निस्तारण के लिए एनजीटी हाईकोर्ट सख्त हुआ हो,लेकिन अस्पतालों से निकलने वाले बायोबेस्ट के नाम पर किसी कंपनी को लूट की छूट कैसे दी जा सकती है।गौरतलब है कि उतराखण्ड में सैकड़ो की संख्या में छोटे बड़े अस्पताल,क्लिनिक हर जनपद में खुल गए है।इन अस्पतालों से निकलने वाला मेडिकल बायो बेस्ट से संक्रमण होने का खतरा हर समय बना रहता है। इसके बड़े स्तर पर निस्तारण के लिए न कभी सरकार और न ही जिम्मेदार बिभाग प्रदूषण बोर्ड ने कोई ठोस कदम ही आज तक उठाए है,यह किसी से छुपा नही। आलम यह है कि राज्य निर्माण के बीस साल बाद भी यह कार्य सिर्फ दो कंपनियों के भरोसे छोडा गया है। इस पूरी प्रक्रिया में इनका एकछत्र राज है। सूत्रों की माने तो यह कंपनियां अस्पतालों क्लीनिकों से मनमाने दाम लेकर लूट ही नही रही बल्कि परेशान भी कर रही है। नियमो को ताक पर रख बायोबेस्ट उठान कार्य में लगे अपने ही कर्मचारियों की सुरक्षा मानकों का भी ध्यान नही रखा जा रहा है,इस तरफ जिम्मेदारों की आंखे बंद है। एक अस्पताल के बड़े पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि देहरादून हरिद्वार में तो बायोबेस्ट के नाम पर मनमानी हो रही है,कोई सुनवाई नही।बायोबेस्ट,पालीथिन बारकोड के नाम पर अलग-अलग पैसा लिया जा रहा है।यही नही पुराना लाखो लाख रुपया बिल बकाया बताकर,कम्पनियों अस्पतालों को भारी भरकम बिल भी भेजे जा रहे है,अस्पताल संचालक इससे परेशान है, उनकी माने तो वे इस सबका भुगतान पहले ही कर चुके है।अस्पताल क्लिनिक कंपनियां दोराहे पर खड़ी है अगर भारी भरकम बिल न दें तो बायोबेस्ट उठेगा नही,और मनमाना बिल दे दिया तो पैसा अधिक जा रहा उसकी भरपाई कहां से होगी।कुछ साल पहले एनजीटी और उतराखण्ड हाईकोर्ट ने बायोबेस्ट पर सख्ती दिखाई जिसका अस्पताल पालन भी करने लगे है। हालांकि कई जगह बायोबेस्ट इधर उधर खुले में फेके जाने की भी शिकायते आये दिन सामने आती है।नियमो का पालन न करने वालो के खिलाफ प्रदूषण बोर्ड के जलवायु एक्ट में हजारो रुपये के जुर्माने का प्रावधान भी है और बायोबेस्ट के नाम पर अधिक वसूली करने वालो पर बोर्ड कार्यवाई कर सकता है। बोर्ड के विश्वस्त सूत्रों की माने तो प्रदूषण बोर्ड के दो अफसरों और बायोबेस्ट कंपनी की मिली भगत से इस प्रकार की लूट की खुली छूट मिल गई है।उतराखण्ड में सीएम तीरथ रावत कुर्सी संभालते ही विभागो अफसरों की कार्यशैली को सही करने की दिशा में कार्य कर रहे है। उम्मीद की जा रही है कि इस ओर भी सरकार ध्यान दे हो रही बायोबेस्ट उठान के नाम पर इन लूटो के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई हो।