सल्ट उपचुनाव में भाजपा-कांग्रेस को भीतरघात का खतरा!

0
225

अपनों की ही आंखों में चुभ रहे तीरथ?
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में चार साल तक सत्ता संभालने वाले प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ंिसह रावत को पद से हटाकर जब नये मुख्यमंत्री के रूप में तीरथ ंिसह रावत की ताजपोशी हुई तो उसी दिन से वह अपनी ही पार्टी के कुछ बडे नेताओं की आंखों में तेजी के साथ चुभने लगे? तीरथ सिंह रावत की ताजपोशी ने उत्तराखण्ड के अधिकांश बडे भाजपा नेताओं को अचंभे में डाल दिया था कि आखिर उनकी ताजपोशी का पैमाना क्या तय किया गया? नये मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के सामने 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीताने की जहां बडी जिम्मेदारी है वहीं सल्ट में होने वाले उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी को विजय का सेहरा पहनाने की भी तीरथ सिंह रावत के सामने एक बडी चुनौती है? यह उपचुनाव भाजपा व कांग्रेस के लिए 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की रिर्हसल माना जा रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी को जीताने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सल्ट में भावनात्मक कार्ड खेल रखा है और उनके इस भावनात्मक कार्ड से सल्ट की अधिकांश जनता भावना में बहती हुई दिखाई दे रही है? वहीं भाजपा इस उपचुनाव को जीतने के लिए भी बडा दम लगाने का ऐलान तो कर रही है लेकिन धरातल पर वह कांग्रेस के मुकाबले अति उत्साह में नजर नहीं आ रही है? यह उपचुनाव भाजपा व कांग्रेस के लिए जहां प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है वहीं दोनो दलों को भीतरघात का डर भी सता रहा है? कांग्रेस में भीतरघात कम होने की आशंका नजर आ रही है तो भाजपा के अन्दर भीतरघात का पैमाना कोटद्वार में पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चन्द खण्डूरी के साथ जैसा न हो जाये इसको लेकर काफी आशंका बनी हुई है? भाजपा के अन्दर भीतरघात का डर इसलिए भी लगा हुआ है क्योंकि राज्य के नये मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अपने ही कुछ बडे भाजपा नेताओं की आंखों की किरकिरी बने हुये हैं ऐसे में तीरथ सिंह रावत के सामने सल्ट में अपने प्र्रत्याशी को चुनाव जीताना एक बडी जंग लडने के समान ही दिखाई दे रहा है?
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड का इतिहास रहा है कि जब भी किसी राजनीतिक दल ने अपनी पार्टी के अन्दर मुख्यमंत्री का चेहरा बदला तो उसके बाद हुये उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी ने हमेशा जीत का स्वाद चखा। अब उत्तराखण्ड में भाजपा ने विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पूर्व जिस तरह से मुख्यमंत्री का नया चेहरा तीरथ सिंह रावत के रूप में राज्य की जनता के सामने रखा है तो उससे भाजपा के ही कुछ बडे नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें पडी हुई हैं और उन्हें अपना राजनीतिक भविष्य धुंधला नजर आ रहा है क्योंकि जिस तरह से भाजपा हाईकमान ने तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री के रूप में आगे किया है उससे उत्तराखण्ड के उन सभी भाजपा नेताओं के अन्दर एक बडी हलचल मची हुई है जो भाजपा की ओर से हमेशा मुख्यमंत्री बनने की कतार में आगे खडे रहते थे? तीरथ सिंह रावत कभी भी किसी गुट के नहीं रहे और न ही उन पर आज तक कोई दाग लगा है इसलिए भाजपा हाईकमान व आरएसएस ने तीरथ ंिसंह रावत को सम्भवतः भविष्य में भी मुख्यमंत्री बनाये जाने के लिए अपना गुप्त खाका खींच लिया है? चुनाव में मात्र कुछ माह का ही समय बचा है और जिस तरह से चार साल में त्रिवेन्द्र सिंह रावत के राज में ब्यूरोक्रेसी सरकार पर हावी रही और राज्य में राजशाही की तरह त्रिवेन्द्र रावत ने सत्ता चलाई उससे उत्तराखण्ड की अधिकांश जनता भाजपा से बेहद नाराज दिखाई देती रही है ऐसे मंे नये मुख्यमंत्री मात्र कुछ समय के भीतर ही कैसे राज्यवासियों के मन में एक बडी जगह बना पायेंगे यह देखने वाली बात होगी? सल्ट में भाजपा प्रत्याशी सुरेन्द्र जीना की मृत्यु के बाद इस सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा ने ईमोशनल कार्ड खेलने के लिए सुरेन्द्र जीना के भाई महेश जीना को पार्टी प्रत्याशी बनाकर चुनावी रणभूमि में उतारा है। महेश जीना का राजनीतिक इतिहास शून्य होने से सल्ट की जनता भाजपा द्वारा खेले गये ईमोशनल कार्ड में भाजपा प्रत्याशी को चुनाव जीताने के लिए आगे आयेगी या नहीं यह तो समय ही बतायेगा लेकिन जिस तरह से कांग्रेस की प्रत्याशी गंगा पंचोली पिछले लम्बे अर्से से राजनीति के मैदान में उतरी हुई हैं और वह लगातार सल्ट की जनता के साथ रूबरू होती आ रही है उससे उन्हें इस उपचुनाव में बडा फायदा मिलने की सम्भावनायें भी दिखाई दे रही हैं? यह उपचुनाव भाजपा व कांग्रेस के लिए 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की रिर्हसल माना जा रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी को जीताने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जिस तरह से कोरोना का इलाज कराते हुए अस्पताल से ही सल्ट की जनता से मार्मिक अपील की और उसके बाद वह खुद ठीक होने के बाद सल्ट पहुंचे उससे कांग्रेस के पक्ष में काफी माहौल बना हुआ दिखाई दे रहा है ऐसी चर्चाएं सल्ट के अन्दर सुनाई दे रही हैं? हालांकि कांग्रेस के कुछ नेताओं को भी इस चुनाव में भीतरघात का कुछ खतरा नजर आ रहा है उस पर कैसे पार्टी नकेल लगायेगी यह तो भविष्य के गर्त में कैद है लेकिन भाजपा में भी जिस तरह से सल्ट उपचुनाव को लेकर बडा जोश दिखाई नहीं दे रहा है वह कहीं न कहीं अन्दरखाने एक भीतरघात की आशंका की ओर इशारा भी कर रहा है? नये मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के लिए सल्ट उपचुनाव को जीतवाना एक बडी चुनौती है और पार्टी के अन्दर कोई भी नेता भीतरघात का खेल न खेल पाये इसको लेकर तीरथ ंिसह को एक बडी रणनीति के तहत जरूर काम करना पडेगा?

LEAVE A REPLY