सोशल मीडिया पर उठ रही भाजपा नेता की सम्पत्तियों की गूंज

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तो क्या ईमानदार सीएम नेता की सम्पत्तियों की करायेंगे जांच?
बेनामी सम्पत्तियों के लिए बना कानून उत्तराखण्ड की फाइलों में कैद
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में नेतृत्व परिवर्तन होने के बाद राज्यवासियों की नजर स्वच्छ छवि के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पर जा टिकी है कि वह राज्य में क्या उन चंद भाजपा नेताओं की सम्पत्तियों की जांच कराने के लिए आगे आयेंगे जिन पर पिछले चार साल में अकूत सम्पत्ति अर्जित करने का दाग लगता रहा है? पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर एक भाजपा नेता की सम्पत्तियों को लेकर शोर मचा हुआ है और सोशल मीडिया पर भाजपा नेता व जमीनों के दस्तावेज व मौके पर मौजूद स्थलों की फोटो प्रसारित की जा रही है लेकिन जिस भाजपा नेता पर यह आरोप लग रहे हैं वह अभी तक खामोश दिखाई दे रहा है जिसके चलते आम आदमी पार्टी के नेता ने ट्वीटर पर सवाल खडा किया है कि आखिरकार सोशल मीडिया पर जिस देहरादून के बडे नेताओं के पैट्रोल पम्प, जमीन, बाग-बगीचों को गलत तरीके से जमा सम्पत्ति की जानकारी आ रही है अगर यह सच है तो शर्मनाक है, दुर्भाग्यपूर्ण है, अगर यह गलत है तो इसका पुरजोर खण्डन होना चाहिए। सन्नाटे और चुप्पी की गूंज ज्यादा दूर तक जाती है। अब देखने वाली बात होगी कि क्या ईमानदार छवि के मुख्यमंत्री इन नेताओं की सम्पत्तियों की जांच कराने के लिए क्या कोई आदेश करेंगे इस पर समूचे राज्य की नजर लगी हुई है? हैरानी वाली बात है कि उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चन्द खण्डूरी ने राज्य में बेनामी सम्पत्तियों को लेकर एक बडा कानून बनाया था और इस कानून के सहारे भ्रष्टाचार से बेनामी सम्पत्ति बनाने वालों पर बडा शिकंजा कसने का खाका तैयार किया था लेकिन राज्य में भाजपा शासनकाल के दौरान पिछले चार सालों में इस कानून के अन्तर्गत किसी पर कोई कार्यवाही हुई हो ऐसा देखने को नहीं मिला? अब देखने वाली बात होगी कि क्या इन बेनामी सम्पत्तियों को लेकर सोशल मीडिया पर उठ रही आवाज को देखते हुए ईडी अपनी रडार ऐसे नेताओं पर लगायेगी जिन पर अकूत सम्पत्ति बनाने का शोर मचा हुआ है?
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चन्द खण्डूरी ने भ्रष्ट व दागी अफसरों पर नकेल लगाने के लिए राज्य में बेनामी सम्पत्ति कानून बनाया था और साफ संदेश दिया था कि अगर किसी भी अधिकारी के पास बेनामी सम्पत्ति पाई गई तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल में लाई जायेगी और उसकी बेनामी सम्पत्ति को राज्य सरकार में निहित किया जायेगा। भुवन चन्द्र खण्डूरी द्वारा बनाया गया यह कानून फाइलों में ही कैद होकर रह गया और राज्य के कुछ नेताओं ने जिस तेजी के साथ अकूत सम्पत्ति अर्जित की है वह हैरान करने जैसा ही है। उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के राज में कुछ भाजपा नेताओं व चंद अफसरों पर आरोप लगते रहे कि वह अकूत दौलत कमा चुके हैं और उनके पास बडे पैमाने पर बेनामी सम्पत्तियां हैं लेकिन इसके बावजूद भी ऐसे नेताओं व दागी अफसरों को चिन्हित करने की दिशा में पूर्व मुख्यमंत्री ने कोई पहल नहीं की। अब राज्य में नये मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की तैनाती हुई है और स्वच्छ छवि के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पर राज्यवासियों की नजर लगी हुई है कि क्या वह अपनी पार्टी के उन चंद नेताओं व अफसरों को अपनी रडार पर लेंगे जिन पर बेनामी सम्पत्ति अर्जित करने का दाग लगता आ रहा है? सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से एक भाजपा नेता की सम्पत्तियों को लेकर एक के बाद एक खुलासे किये जा रहे हैं और सवाल पूछे जा रहे हैं कि आखिर यह सम्पत्तियां किसकी हैं? खुलेआम भाजपा नेता पर जिस तरह से इन सम्पत्तियों को लेकर खुलासा हो रहा है उस पर अभी तक भाजपा नेता की रहस्यमय चुप्पी से कई सवाल खडे होने लगे हैं और यह बहस भी छिड रही है कि अगर सोशल मीडिया पर नेता की सम्पत्तियों को लेकर जो खुलासे हो रहे हैं अगर वह सही हैं तो राज्य के नये मुख्यमंत्री को राज्यवासियों को एक बडा संदेश देने के लिए इस मामले में बडी निष्पक्ष जांच कराने के आदेश देने चाहिए जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। वहीं आम आदमी पार्टी के नेता अनूप नौटियाल ने टूवीटर पर टूवीट किया है कि जिस तरह से देहरादून के बडे नेताओं के पैट्रोल पम्प, जमीन, बाग-बगीचों, गलत तरीके से जमा सम्पत्ति की जानकारी खुलेआम सोशल मीडिया पर आ रही है, अगर सच है तो शर्मनाक है, दुर्भाग्यपूर्ण है। अगर यह गलत है तो इसका पुरजोर खण्डन होना चाहिए। सन्नाटे और चुप्पी की गूंज ज्यादा दूर तक जाती है। अब देखने वाली बात होगी कि जब राज्य में विधानसभा का चुनाव होने में मात्र कुछ माह का समय ही बचा है तो क्या राज्य के नये मुख्यमंत्री राज्यवासियों को एक बडा संदेश देने के लिए सोशल मीडिया पर जिस भाजपा नेता की सम्पत्तियों को लेकर शोर मच रहा है उसकी बडी जांच कराने का आदेश देंगे?

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