देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री राज्य पुलिस को भले ही पारदर्शिता के साथ काम करने का पाठ पढा रहे हों लेकिन आज भी पुलिस के कुछ अफसरों की कार्यशैली को लेकर आवाम के मन में एक बडी नाराजगी देखने को मिलती आ रही है। ऐसा ही एक प्रकरण बीते रोज पुलिस शिकायत प्राधिकरण में नेहरू कालोनी की सीओ के खिलाफ पहुंचा था और अब उसी मामले की शिकायत उत्तराखण्ड मानवाधिकार आयोग में भी आज की गई है इससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या पुलिस के कुछ अफसर सरकार के सपनों पर ग्रहण लगाकर राज्य में काम कर रहे हैं? ऐसा नहीं है कि नेहरू कालोनी में यह पहला मामला हो क्योंकि इससे पूर्व भी नेहरू कालोनी सीओ के कार्यकाल में पत्रकारों के खिलाफ फर्जी राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था जिसे उच्च न्यायालय ने फर्जी मानते हुए उसे खारिज कर दिया था और उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ंिसह रावत के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिये थे और अब यह मामला देश की सबसे सर्वोच्च अदालत में लम्बित है। सवाल उठ रहे हैं कि अगर पुलिस के कुछ अफसर चंद राजनेताओं के इशारे पर किसी के खिलाफ भी फर्जी मुकदमा कायम करने की साजिश रचेंगे तो फिर इस राज्य में लोकतंत्र कहां बचेगा यह अपने आपमें एक बडा सवाल खडा होता जा रहा है।
आज उत्तराखण्ड मानवाधिकार आयोग में दिये शिकायती पत्र में कहा गया है कि कारोबार में मुनाफे के सपने दिखाकर राजीव शर्मा जिसकी कंपनी योजना बिल्डर है। राजीव शर्मा ने प्रार्थी से योजना बिल्डर के देहरादून प्रोजेक्ट में एक करोड़ 62 लाख 95 हजार का निवेश करवाया था जिसका पाई पाई का हिसाब प्रार्थी के पास मौजूद है प्रार्थी को जब ज्ञान हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी हो रही है पीड़ित ने एसएसपी देहरादून को शिकायत पत्र देकर पुलिस कार्रवाई की मांग की थी प्रार्थी की शिकायत पत्र की जांच एसएसपी द्वारा पल्लवी त्यागी क्षेत्राधिकारी नेहरू कॉलोनी देहरादून को सौंपा गया था। पल्लवी त्यागी क्षेत्राधिकारी नेहरू कॉलोनी देहरादून ने प्रार्थी के शिकायत पत्र पर जांच की जिसमें प्रार्थी के द्वारा पूरा सहयोग किया गया तथा समय-समय पर उनको सभी साक्ष्य सबूत उपलब्ध कराए गए किंतु सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत सूचना प्राप्त होने के बाद प्रार्थी को जांच रिपोर्ट पढ़कर हैरानी हुई कि पल्लवी त्यागी क्षेत्राधिकारी नेहरू कॉलोनी देहरादून द्वारा जो भी प्रार्थी की शिकायत पत्र पर जो भी बयान दर्ज हुए हैं वह सब उनके द्वारा दिया गया बयान है उन बयानों को जांच अधिकारी द्वारा क्रॉस चेक नहीं किया गया प्रार्थी बयान के कुछ बिंदुओं को राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण के समक्ष रख रहा है।
शिकायती पत्र में कहा गया है कि मुख्य आरोपी राजीव शर्मा द्वारा अपने बयान में यह कहा गया कि समीर सेठी की नीयत ठीक नहीं है उसकी मेरी संपत्ति को हड़पने की नीयत है जबकि कोई भी कागज रजिस्ट्री मेरे या आनंद नहीं द्वारा कोई भी अनुबंध नहीं हुआ है या अन्य जिससे अन्य जिससे उसको मालिकाना हक सिद्ध होता हो ऐसा कुछ भी नहीं है। शिकायत में अंकित किया गया है कि आनंद सिंह नेगी द्वारा दिए गए बयान में स्पष्ट कहा गया कि मैंने पावर ऑफ अटॉर्नी में संपत्ति से संबंधित सारे अधिकार राजीव शर्मा को दिए हैं मेरे द्वारा ही 12 फ्लैट की बिक्री का विक्रय पत्र चतंहंजचससंउंतचअज के नाम किया गया था। मैं राजीव शर्मा का ड्राइवर हूं और लगभग आठ 9 वर्षों से इनके साथ काम कर रहा हूं। शिकायत में यह बिन्दु भी रखा गया है कि मुख्य भूमिका वाले अकाउंटेंट वीर विक्रम गुप्ता का बयान टेलीफोन के जरिए लिया गया जबकि योजना बिल्डर के अकाउंटेंट वीर विक्रम गुप्ता द्वारा ही लिखित पढ़त का हिसाब का दस्तावेज जांच अधिकारी पल्लवी त्यागी क्षेत्राधिकारी नेहरू कॉलोनी को प्रार्थी द्वारा उपलब्ध कराया गया। आरोप लगाया है कि उप निरीक्षक नरोत्तम सिंह बिष्ट थानाध्यक्ष थाना क्लेमेंट टाउन देहरादून के दिनांक 18 मार्च 2020 को दर्ज हुए बयान के दौरान थाना अध्यक्ष द्वारा पहले कहा गया कि प्रार्थी द्वारा कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया जबकि उसी बयान के अंत में थाना अध्यक्ष नरोत्तम सिंह बिष्ट द्वारा कहा गया कि प्रतिवादी समीर सेठी द्वारा दौरान विवेचना अपने बयान अंकित कराए गए व संबंधित बिजली बिल एवं अन्य दस्तावेज प्रस्तुत किए गए। शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत अभिलेखों के अवलोकन करने पर पाया कि इससे पूर्व दिनांक 21 एक 2013 को समीर सेठी द्वारा एक रिसोलेशन पत्र प्राप्त किया गया है जिसके अवलोकन कर पाया कि उक्त कंपनी योजना बिल्डर्स के डायरेक्टर राजीव शर्मा की है और राजीव शर्मा द्वारा बोर्ड ऑफ डायरेक्टर समीर सेठी को देहरादून में सदर तहसील में मौजा माजरा में स्थित एक जमीन को योजना बिल्डर के एवज में क्रय करने संबंधित सभी औपचारिकताएं पूरी करने हेतु अधिकृत किया गया। शिकायती पत्र में बताया गया है कि प्रार्थी द्वारा जांच अधिकारी को ऑडियो वीडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध करवाई गई लेकिन जांच अधिकारी द्वारा लिखित टिप्पणी मैं कहा गया कि ध्यान से सुनी गई ऑडियो रिकॉर्डिंग में स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि वह आरोपी राजीव शर्मा ने शिकायतकर्ता समीर सिटी के कितने पैसे देने हैं उक्त सभी रिकॉर्डिंग में कौन बात कर रहा है यह स्पष्ट नहीं है यह बता पाना संभव नहीं है। वीडियो रिकॉर्डिंग की भी टिप्पणी में जांच अधिकारी द्वारा कहा गया कि यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि विपक्षी द्वारा शिकायतकर्ता के कितने पैसे देने हैं या विपक्षी द्वारा शिकायतकर्ता से कितने पैसे लिए गए है। दौरानी जांच पाया गया कि दोनों ही पक्ष एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं तथा दोनों पक्षों के मध्य लेनदेन संबंधित प्रकरण होने के कारण मामला सिविल प्रवृत्ति का होना पाया गया अतः शिकायत प्रार्थना पत्र में अन्य किसी पुलिस कार्रवाई की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है। जांच अधिकारी पल्लवी त्यागी द्वारा की गई जांच के निष्कर्ष का लाभ विपक्षी पार्टी को पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए मिल रहा है उत्तराखण्ड मानवाधिकार आयोग को दिये शिकायती पत्र में अवगत कराया गया है कि जांच अधिकारी पल्लवी त्यागी क्षेत्राधिकारी नेहरू कॉलोनी जनपद देहरादून के द्वारा की गई जांच रिपोर्ट पूरी तरह से विपक्षी को लाभ पहुंचाने वाली प्रतीत होती है लिहाजा प्रार्थी को न्याय दिलाते हुए दोषी अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर पुलिस अफसरों की जांच में भी पक्षपात होने लगेगा तो फिर पीडित अपना दर्द आखिर कहां बयां करेगा?