इधर भी नजरें इनायत कीजिए…!

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देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड में पिछले चार साल से सरकार के पूर्व मुखिया त्रिवेन्द्र सिंह रावत हर मंच से भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का ढोल पीटते रहे और दावा करते रहे कि राज्य में भ्रष्टाचार पर बडा प्रहार किया गया है लेकिन जिस तरह से सोशल मीडिया से लेकर न्यायालयों में राज्य के अन्दर हुये कई भ्रष्टाचार व घोटालों की गूंज गूंजी तो उससे पूर्व मुख्यमंत्री हमेशा राज्य की जनता के निशाने पर रहे लेकिन वह हमेशा इस बात पर अडिग रहे कि राज्य के अन्दर भ्रष्टाचार का एक भी मामला सामने नहीं आया और इसी के चलते उन्होंने राज्य में लोकायुक्त का गठन करने से साफ इंकार कर दिया था अब जब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया है तो उनके करीब रहने वाले चार रतनों की उजागर हो रही बेतहाशा सम्पत्तियों को लेकर सोशल मीडिया पर तेजी के साथ शोर मचने लगा है और सवाल उठ रहे है कि आखिरकार इन चार रतनों के पास बीते चार वर्षों में उन्हें ऐसा कौन सा जादुई चिराग मिल गया जिसे घिसते ही वह करोडो की सम्पत्ति के मालिक बन गये। अब सवाल यह उठ रहा है कि उत्तराखण्ड में मौजूद ईडी व राज्य की विजिलेंस को क्या ऐसे रतन दिखाई नहीं दे रहे जिन्होंने मात्र चार साल में ही अकूत सम्पत्ति का तमका अपने ऊपर लगवा लिया। एक साल बाद उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव होने हैं और अगर नये मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भ्रष्टाचार पर बडा प्रहार करने की दिशा में कोई बडा कदम न उठाया तो विधानसभा चुनाव में राज्य के अन्दर पनप रखे भ्रष्टाचार को लेकर विपक्ष प्रचंड बहुमत की सरकार को निशाने पर लेने से पीछे नहीं हटेगा?
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने जीरो टालरेस पर बाते बहुत की ओर शासनादेश जारी करते हुए सभी विभागाध्यक्षो को नकारा व भ्रष्ट कर्मचारियों की छटनी करते हुए बाहर का रास्ता दिखाने का फरमान जारी किया था, जिससे भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों की कुंडली भी खगाली जा सके और उन्हें सलाखों के पीछे पहुँचा दिया जा सके लेकिन यह भी जुमला ही साबित हुआ? सरकार के आदेश पर सभी विभागाध्यक्षो ने सूचिया बनाने का काम शुरू किया था, लेकिन फिर सरकार ने नजरें एकाएक हटा दी थी? अब राज्य में सत्ता परिवर्तन हो चुका है ऐसे में लंबित इस प्रकरण पर सरकार क्या रूख अपनाती है,देखने योग्य होगा या इसी तरह चंद विभागों में फन फैलाये भ्रष्टाचारी अधिकारी व कर्मचारी जनता को अपना शिकार बनाते रहेंगे? हैरानी वाली बात है कि राज्य में सरकार तो भाजपा की ही है भले ही मुख्यमंत्री का चेहरा बदल गया हो ऐसे में नये मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अब एक साल के अन्दर राज्य के अन्दर बडी अग्निपरीक्षा होनी है और अगर उन्होंने भ्रष्टाचार पर प्रहार करने के लिए बडा कदम न उठाया तो भाजपा के लिए अगला विधानसभा चुनाव जीतना एक टेडी खीर बन जायेगा? गजब बात तो यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री के साथ रहने वाले चार रतनों की जिस तरह से सोशल मीडिया पर सम्पत्यिों का साक्ष्य के साथ आये दिन खुलासा हो रहा है उस पर मुख्यमंत्री की नजरें जायेंगी या नहीं यह एक बडा सवाल है? वहीं राज्य में ईडी व विजिलेंस कब अपना तीसरा नेत्र खोलकर इन रतनों की अकूत सम्पत्तियों की परतें खंगालने के लिए आगे आयेगी यह देखने वाली बात होगी?

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