देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री ने स्वच्छता और पारदर्शिता के साथ सरकार चलाकर दिल्ली में भाजपा के दिग्गज नेताओं के सामने अपने आपको अव्वल साबित किया हुआ है लेकिन हाल ही में हरिद्वार के नगर निगम में हुये करोडो के भूमि घोटाले ने सरकार की पारदर्शी और स्वच्छ कार्यशैली पर एक बडा ग्रहण लगा दिया। इस घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री बेहद नाराज दिखाई दिये और उन्होंने घोटाले मे शामिल हर राजदार को बेनकाब करने के लिए आईएएस अफसर से जांच कराई और जांच के बाद मुख्यमंत्री ने भूमि घोटाले को अंजाम देने वाले बारह अधिकारी कर्मचारियों को निलम्बित करके मामले की जांच विजिलेंस के हवाले कर दी। इस घोटाले में मुख्यमंत्री के कडे एक्शन से भ्रष्टाचारियों में खलबली मच गई लेकिन कांग्रेस समेत कई संगठन इस बात को लेकर सवाल उठा रहे हैं कि जब आईएएस की जांच के बाद अधिकारियों को निलम्बित कर दिया गया तो फिर उनके खिलाफ अब तक भ्रष्टाचार अधिनियम का मामला क्यों दर्ज नहीं किया जा रहा? जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष का साफ अल्टीमेटम है कि वह इस घोटाले के असली मास्टर माइंड को बेनकाब करने तक खामोश नहीं बैठेंगे और दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने और भाजपा के दिग्गज नेताओं से मिलकर इस मास्टर माइंड का चेहरा सबके सामने लाने के लिए घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग करेंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने अपने तीन साल के कार्यकाल में राज्य के अन्दर भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों पर अपनी रडार लगाकर रखी और उन्होंने सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ एक बडी मुहिम चला रखी है जिसके तहत अब तक दो सौ से ज्यादा भ्रष्टाचार जेल की सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं। मुख्यमंत्री का भ्रष्टाचारियों के खिलाफ चल रहा ऑपरेशन राज्य के अन्दर यह संदेश देता आ रहा है कि अगर किसी ने भी भ्रष्टाचार या घोटाला करने का दुसाहस किया तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल मे लाई जायेगी। उत्तराखण्ड के अन्दर काफी सरकारी महकमों में आम जनमानस से उसके काम के एवज में रिश्वत लेने का जो दौर देखने को मिला उसी का परिणाम है कि रिश्वत मांगने वाले पिछले तीन सालों से लगातार जेल की सलाखों के पीछे पहुंच रहे हैं। मुख्यमंत्री ने हर मंच पर भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों को ललकारने का दौर शुरू कर रखा है लेकिन जैसे ही इस बात का शोर मचा कि हरिद्वार के नगर निगम में एक बडी साजिश के तहत कुछ अफसरों और कर्मचारियों ने बडा घोटाला अंजाम दिया है तो उसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त रूख अपनाते हुए घोटाले की जांच अपने आईएएस अफसर रणबीर सिंह चौहान को सौंपी थी।
आईएएस अफसर ने देहरादून से लेकर हरिद्वार तक अपनी जांच को आगे बढाया और उसके बाद उन्होंने मात्र एक माह के भीतर अपनी जांच रिपोट शासन को सौंप दी थी जिसके बाद मुख्यमंत्री ने कडा रूख अपनाते हुए हरिद्वार के तत्कालीन डीएम, एसडीएम और पूर्व नगर आयुक्त को निलम्बित कर दिया था। इस घोटाले मे बारह अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर सरकार का डंडा चला था। इस घोटाले के बाद इसकी जांच विजिलेंस को सौंपी गई है लेकिन सवाल यही खडे हो रहे हैं कि जब आईएएस की जांच के बाद अफसरों को निलम्बित किया गया है तो फिर अब तक विजिलेंस ने घोटाले मे शामिल अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम का मामला क्यों दर्ज नहीं किया है? जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने भूमि घोटाले मे शामिल मास्टर माइंड के चेहरे को बेनकाब करने के लिए राज्यपाल से इस घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। वहीं उन्होंने दो टूक कहा है कि वह इस घोटाले में शामिल मास्टर माइंड को बेनकाब करने तक खामोश नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा कि अगर राजभवन इस मामले की जांच सीबीआई को नहीं देती और विजिलेंस ने जल्द भ्रष्टाचार अधिनियम का मामला दर्ज नहीं किया तो वह दिल्ली के जंतर-मंतर पर जाकर घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग करेंगे और इस घोटाले के असली मास्टर माइंड को सामने लाने के लिए अपनी लडाई लडेंगे और दिल्ली में भाजपा के दिग्गज नेताओं से मुलाकात कर उन्हें बतायेंगे कि इस घोटाले में मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने तो घोटालेबाजों पर सख्त एक्शन लिया है लेकिन अभी भी मास्टर माइंड पिक्चर में नहीं है इसलिए इस घोटाले की जांच सीबीआई से कराई जाये।