बेटियों के रक्षक बने पुष्कर

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देहरादून(संवाददाता)। मुख्यमंत्री ने शपथ लेने के बाद से ही राज्य के अन्दर एक ही संदेश दिया था कि मातृशक्ति और बेटियों की रक्षा करना उनका पहला धर्म है और राज्य के अन्दर हर बेटी हमेशा सुरक्षित रहेगी। मुख्यमंत्री ने बेटियों की सुरक्षा का जो संकल्प लिया हुआ है उसी का परिणाम है कि अगर राज्य के अन्दर कोई भी शैतान अगर किसी बेटी के साथ हैवानियत करने का दुसाहस दिखाता है तो उसे इसका खामियाजा इतना बडा भुगतना पडा है कि फिर उसके बाद वह जीवन मे कभी भी किसी बेटी पर बुरी नजर रखने का दुसाहस नहीं करेगा। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड के अन्दर एक बडे विजन के साथ डेढ करोड जनता को वचन दे रखा है कि उनके शासनकाल में मैदान से लेकर पहाड तक मातृशक्ति और बेटियों पर कभी कोई शैतान बुरी नजर नहीं डाल पायेगा क्योंकि हर तरफ पुलिस ने ऐसा चक्रव्यूह तैयार कर रखा है कि अगर किसी ने मातृशक्ति या बेटी की तरफ आंख उठाकर देखा तो उसके खिलाफ सख्त एक्शन दिखाई देगा जिससे कि बेटियों के मन में हमेशा विश्वास की भावना बनी रहे कि सड़क पर चलते हुये वह हमेशा सुरक्षित रहंेगी। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बेटियों के रक्षक बनकर जिस तरह से उनकी रक्षा करते आ रहे हैं उससे मातृशक्ति ने मुख्यमंत्री को उत्तराखण्ड का सरताज मान रखा है और उसी के चलते आज हर तरफ मातृशक्ति मुख्यमंत्री को अपना अभेद आशीर्वाद दे रही है। अंकिता भंडारी और उसके परिवार को न्याय दिलाने के लिए मुख्यमंत्री ने एक बडे संकल्प के साथ कातिलों को सजा दिलाने का जो वचन दिया था आज वह वचन उस समय सच साबित हो गया जब अंकिता हत्यारों को उम्रकैद की सजा सुना दी गई।
उत्तराखंड की धरती पर न्याय की वह घड़ी आखिरकार आ गई, जिसका बेसब्री से इंतजार था। अंकिता भण्डारी हत्याकांड में कोर्ट का फैसला आ चुका है। पुलकित आर्य, अंकित गुप्ता और सौरभ भरत को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। यह केवल एक सजा नहीं, बल्कि उस सख्त और जवाबदेह शासन की घोषणा है जिसकी कमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हाथों में है।
इस पूरे मामले में धामी सरकार ने न केवल संवेदनशीलता दिखाई, बल्कि विलंब के बजाय निर्णय की गति को चुना। घटना के 24 घंटे के भीतर आरोपियों को जेल भेजना, ैप्ज् का गठन कर जांच को तेज और पारदर्शी बनाना, आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट लगाना, 500 पन्नों की चार्जशीट तैयार करनाकृये सब दिखाता है कि जब सरकार गंभीर होती है, तो न्याय की प्रक्रिया न रुकती है, न झुकती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने परिवार को पच्चीस लाख की आर्थिक मदद दी, साथ ही अंकिता के भाई और पिता को सरकारी नौकरी देकर एक व्यावहारिक सहानुभूति का परिचय दिया। सरकार ने तीन बार वकील बदले ताकि केस में कोई कसर न रह जाए और सरकारी वकील की दमदार पैरवी से बार-बार आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज होती रहीं। यह फैसला बताता है कि मुख्यमंत्री धामी के राज में न कोई अपराधी बच सकता है, न ही कोई पीड़ित अकेला पड़ सकता है। उत्तराखंड की जनता आज भरोसे से कह सकती है कि उनकी सरकार उनके साथ है। सिर्फ वादों में नहीं, हर मुश्किल की घड़ी में, जमीन पर खड़ी होकर। इस फैसले से यह भी साबित हुआ कि धामी सरकार के राज में बेटियों की गरिमा और न्याय व्यवस्था दोनों सुरक्षित हैं। मुख्यमंत्री ने साबित किया है कि वे न तो दबाव में झुकते हैं और न ही संवेदनाओं को अनसुना करते हैं। उन्होंने कहा था। “न्याय में देरी नहीं होगी और अपराधियों के लिए कोई रहम नहीं होगी”, और आज वही हुआ। उत्तराखंड में यह सिर्फ न्याय की जीत नहीं है, यह एक नई प्रशासनिक संस्कृति की शुरुआत है। जहां सरकार जनता की पीड़ा को समझती है और जवाबदेह रहती है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तीन सालों से राज्य की मातृशक्ति को वचन देते आ रहे कि वह हमेशा उनके उत्थान और उनकी सुरक्षा के लिए हमेशा आगे रहेंगे। मुख्यमंत्री ने आज मातृशक्ति को जिस तरह से स्वरोजगार के क्षेत्र में ऊंचाईयों तक पहुंचाया है उससे उनके मन में मुख्यमंत्री की धाकड़ कार्यशैली को लेकर एक आत्मविश्वास पैदा हुआ है कि वह अब उत्तराखण्ड में एक नई क्रांति लायेंगी। वहीं उत्तराखण्ड की बेटियों की रक्षा करने का जो मुख्यमंत्री ने संकल्प लिया हुआ है उस संकल्प को आज उन्हांेने उस समय सच साबित कर दिया जब तीन साल पहले अंकिता भंडारी के कत्ल मे शामिल तीनों गुनाहगार को उन्होंने सख्त से सख्त सजा दिलाने का वचन लिया था।

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