रिश्वत लेते हुए पकडा गया पेशकार

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देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचारियों के मन में सिस्टम का कोई डर देखने को नहीं मिल रहा क्योंकि अगर सिस्टम का डर भ्रष्टाचारियों में होता तो वह आये दिन रिश्वतखोरी के काले खेल में अपने हाथ रंगने के लिए आगे नहीं बढ़ते? एक ओर तो मुख्यमंत्री भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त रूख अपनाकर उन्हें खुला अल्टीमेटम देते आ रहे हैं कि अगर उन्होंने भ्रष्टाचार किया तो उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी लेकिन आये दिन जिस तरह से कुछ सरकारी महकमों के भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी विजिलेंस के जाल मे फंसते हुए नजर आ रहे हैं उससे सवाल खडा हो रहा है कि आखिरकार यह भ्रष्टाचारी तो वो हैं जिनके खिलाफ शिकायत करने के लिए कोई व्यक्ति आगे आता है। ऐसे मे बहस छिड रही है कि क्या राज्य के अन्दर सिर्फ छोटे अधिकारी या कर्मचारी ही भ्रष्टाचार की गंगा में गोते लगा रहे हैं? उत्तराखण्ड बनने के बाद से ही राज्य के अन्दर एक ही बहस ने जन्म लिया है कि आखिरकार उत्तराखण्ड की विजिलेंस भ्रष्टाचार के बडे-बडे मगरमच्छों को अपने फंदे में फसाने के लिए क्यों आगे नहीं बढ़ती जिससे कि बडे भ्रष्टाचारियों को यह डर रहे कि अगर उन्होंने कोई भ्रष्टाचार किया तो उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल मे लाई जायेगी। उत्तराखण्ड को भ्रष्टाचारमुक्त बनाने के लिए राज्य के अन्दर लम्बे अर्से से लोकायुक्त के गठन की आवाज उठती आ रही है और आवाम का भी मानना है कि भ्रष्टाचार के बडे-बडे मगरमच्छ तभी बेनकाब हो पायेंगे जब लोकायुक्त भ्रष्टाचार के खिलाफ सीधा एक्शन लेकर उन बडे भ्रष्टों को अपनी गिरफ्त में लगे जो भ्रष्टाचार करने के बडे-बडे गुणा भाग सीख चुके हैं?
भ्रष्टाचार के विरुद्ध लगातार कार्रवाई जारी है। इसी क्रम में सतर्कता अधिष्ठान की टीम ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए रुड़की अपर तहसील कार्यालय में तैनात पेशकार को दस हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। सबसे अहम बात है कि यह कार्रवाई उस शिकायत के आधार पर की गई, जो टोल फ्री नंबर 1०64 पर दर्ज कराई गई थी। शिकायतकर्ता ने अवगत कराया कि उसकी बहन की कृषि भूमि से संबंधित वाद न्यायालय तहसीलदार, रुड़की में लंबित है। 21 अप्रैल को उसने पुन: सुनवाई के लिए एक रेस्टोरेशन प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था, जिसके निस्तारण के एवज में अपर तहसीलदार रुड़की के पेशकार रोहित निवासी मकान संख्या 273, ग्राम कस्बा रुड़की, हरिद्वार द्वारा रिश्वत की मांग की गई थी। सतर्कता टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी को ट्रैप ऑपरेशन में गिरफ्तार कर लिया। बता दें कि पिछले एक माह में ही पांच से अधिक रिश्वतखोर कर्मचारियों को रंगे हाथों पकड़ा गया है, जबकि पिछले तीन वर्षों में 15० से अधिक भ्रष्टाचारियों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा जा चुका है। आश्चर्य चकित बात यह है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री ने सख्त रूख अपना रखा है लेकिन कुछ विभागों के छोटे अधिकारी व कर्मचारी आखिर इतने बेलगाम क्यों हो रखे हैं कि वह बिना रिश्वत लिये काम करने के लिए आगे ही नहीं आ रहे? विजिलेंस की कार्यवाही तभी होती है जब उसके पास कोई व्यक्ति शिकायत करने के लिए आता है कि उससे रिश्वत मांगी जा रही है ऐसे में सवाल खडे होते हैं कि विजिलेंस का अपना नेटवर्क क्या है कि वह पता ही नहीं चला पा रहा कि किस महकमे मे कौन अधिकारी या कर्मचारी भ्रष्टाचार की नैया में सवार है?

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