कब बेपर्दा होंगे घोटाले के बडे गुनाहगार?

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सवाल उठेः घोटाले में शामिल अफसरों के तबादले नहीं सख्त होना चाहिए ‘एक्शन’
सोशल मीडिया पर भी घोटाले को लेकर मचा है तूफान
प्रमुख संवाददाता
देहरादून/हरिद्वार। उत्तराखण्ड के अन्दर इन दिनों हरिद्वार के नगर निगम में हुये भूमि घोटाले की गूंज राज्यभर में तेजी के साथ गूंज रही है और यह सवाल पनप रहे हैं कि एक ओर तो राज्य के मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड को भ्रष्टाचारमुक्त बनाने के लिए रात-दिन एक किये हुये हैं लेकिन कुछ अफसरों ने एक बडा भूमि घोटाला करके मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचारमुक्त विजन पर कहीं न कहीं एक बडा ग्रहण लगाकर रख दिया है? मुख्यमंत्री के आदेश पर एक आईएएस अफसर इस मामले की जांच कर रहे हैं और वह दूध का दूध और पानी का पानी करने के एजेंडे पर अपनी जांच को आगे बढा रहे हैं लेकिन आम जनमानस के मन में शंकाओं का दौर चल रहा है कि इस मामले मे कुछ बडे अफसर शामिल हो सकते हैं इसलिए इस मामले की जांच एक आईएएस अफसर से न कराकर सीबीआई या ईडी से कराई जाये जिससे कि इस घोटाले मे शामिल वो बडे गुनाहगार बेपर्दा हो जायें जिन्होंने इस घोटाले को अंजाम देने के लिए अपने आपको पॉवरफुल समझने की भूल की थी? यह भी संभावनायें उठ रही हैं कि जिस तरह से यह घोटाला घटित हुआ है उसकी गूंज कहीं आने वाले दिनों में उच्च न्यायालय मे न गूंज जाये क्योंकि यह घोटाला उत्तराखण्ड के लिए एक चिंताजनक है क्योंकि उत्तराखण्ड को भ्रष्टाचार और घोटालों से मुक्त देखने के लिए आवाम मुख्यमंत्री पर एक बडा विश्वास दिखा रहा है? उत्तराखण्ड मे यह भी बहस चल रही है कि जब इस घोटाले का सच बाहर आयेगा और घोटाले करने वाले अफसर बेनकाब होंगे तो उनके तबादले करने के बजाए मुख्यमंत्री उन पर सख्त एक्शन करें तभी आवाम के मन मे विश्वास जगेगा कि उत्तराखण्ड अब भ्रष्टाचार मुक्त होने के लिए आगे बढ़ चला है?
हरिद्वार के नगर निगम में भूमि घोटाले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ रही है उसको लेकर उत्तराखण्ड के अन्दर एक बडी हलचल मची हुई है कि इस घोटाले में आखिरकार वो कौन-कौन बडे अफसर शामिल रहे हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचारमुक्त विजन को ही हवा मे उडाते हुए एक बडा घोटाला करने का दुसाहस कर दिया था? सवाल खडे हो रहे हैं कि आखिरकार इस राज्य को कब भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों से आजादी मिल पायेगी क्योंकि राज्य बनने के बाद से ही भ्रष्टाचार और घोटालों का तांडव रूकने का नाम नहीं ले रहा है? सोशल मीडिया पर भी यह सवाल तैर रहे हैं कि इस भूमि घोटाले मे आखिर वो कौन बडे अफसर शामिल हैं जिनकी शह पर इस घोटाले को अंजाम देने के दौरान किसी के मन मे कोई डर देखने को नहीं मिला था? हालांकि राज्य के अन्दर यह सम्भावनायें पनप रही हैं कि मुख्यमंत्री इस घोटाले मे जरूर सख्त एक्शन लेंगे जिससे कि भविष्य मे कोई भी बडा या छोटा अफसर भ्रष्टाचार या घोटाला करने का ख्वाब भी न देख पाये?
उल्लेखनीय है कि हरिद्वार के नगर निगम में भूमि घोटाले की गूंज मुख्यमंत्री के कानो मे गूंजी तो उन्होंने आनन-फानन मे इस मामले की जांच एक आईएएस अफसर को सौंपी जिन्होंने इस घोटाले का सारा सच बाहर लाने के लिए अपनी जांच को सही दिशा में आगे बढा रखा है। वहीं इस घोटाले मे काफी चौकाने वाले राज सामने आने की उम्मीद हर किसी को दिखाई दे रही है जिसको लेकर अब यह बहस भी शुरू हो गई है कि क्या भूमि घोटाले का सच जांच में सामने आने के बाद इस मामले में एफआईआर दर्ज होगी जिन्हांेने इस घोटाले मे अपने हाथ काले किये थे? अब सबकी नजरें घोटाले की जांच के अंत होने पर टिकी हुई है क्योंकि सबका मानना है कि इस मामले मे जिस तरह से मुख्यमंत्री ने सख्त रूख अपना रखा है उससे यह उम्मीद दिखाई दे रही है कि वह भ्रष्टाचारियों को एक बडा आईना दिखाने के लिए इसमें एक नजीर पेश करेंगे जिससे कि कोई भी छोटा या बडा अफसर भ्रष्टाचार का खेल खेलने का दुसाहस न कर पाये?
भूमि घोटाले के शोर से उत्तराखण्ड की काफी ब्यूरोक्रेसी में हलचल मची हुई है और यह बहस छिडी हुई है कि आखिरकार वो कौन-कौन अफसर हैं जिन्होंने इस भूमि घोटाले को अंजाम देने के लिए सरकार के भ्रष्टाचारमुक्त उत्तराखण्ड के विजन को ही हवा मे उडा कर रख दिया था? इस जांच से कुछ बडे अफसरों के माथे पर भी ंिचता की लकीरें पडी हुई हैं और उन्हें यह भय सता रहा है कि मुख्यमंत्री इस घोटाले को लेकर काफी नाराज हैं कि आखिरकार उनके राज्य में किसी भी अफसर ने कैसे इतना बडा घोटाला किया है? अब सवाल यह तैर रहे हैं कि आखिर कब इस जांच का अंत होगा और जिन अफसरों को इस घोटाले मे दोषी पाया जायेगा क्या सरकार उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का बडा संदेश देने के लिए आगे आयेगी जिससे कोई भी अधिकारी भ्रष्टाचार करने का सोच भी न सके?
धर्मनगरी हरिद्वार में नगर निगम के भूमि घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने सख्त रूख अपनाया और उन्होंने इसकी जंाच आईएएस रणबीर सिंह चौहान को सौंप रखी है। चर्चाएं हैं कि भूमि घोटाले मे आये दिन नई-नई कहानियां निकलकर सामने आ रही हैं और सवाल तैर रहे हैं कि अगर यह कहानियां सच हैं तो क्या फिर वो अफसर भी जांच अधिकारी की रडार पर आयेंगे जिन्होंने भूमि घोटाले की सारी स्क्रिप्ट बडे नाटकीय ढंग से तैयार की थी? उत्तराखण्ड के अन्दर इन दिनों हरिद्वार के नगर निगम में हुये भूमि घोटाले को लेकर एक बडा भूचाल मचा हुआ है और इसमें एक नया तूफान आने का इसलिए भी शोर मचा हुआ है क्योंकि मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने इस घोटाले को लेकर अपना सख्त रूख अपना रखा है और दो टूक संदेश दिया हुआ है कि इस घोटाले में जो भी शामिल हैं उसको किसी भी कीमत में बक्शा नहीं जायेगा। अब उत्तराखण्ड के अन्दर एक ही बहस चल रही है कि भूमि घोटाले मे शामिल बडे गुनाहगार आखिरकार कब बेपर्दा होंगे जिन्हांेने इस घोटाले को नाटकीय ढंग से अंजाम देने के लिए एक बडा तानाबाना बुना था?

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