भूमि घोटाले की जांच आखिर कब होगी खत्म?

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देहरादून/हरिद्वार(संवाददाता)। देश के प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचारमुक्त भारत के विजन को धरातल पर उतारने के लिए मुख्यमंत्री ने संकल्प लिया हुआ है और तीन साल से वह भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए एक बडी जंग लड़ रहे हैं। सबसे अह्म बात यह है कि मुख्यमंत्री के सामने जब भी कोई भ्रष्टाचार या घोटाले होने का शोर सुना तो उन्होंने उसकी जांच कराकर भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों के खिलाफ अपनी कार्यवाही को अंजाम दिया है। उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार और घोटालों का शोर एक लम्बे दशक तक नहीं सुनाई दिया लेकिन जैसे ही हरिद्वार के नगर निगम में भूमि घोटाले की गूंज मुख्यमंत्री के कानो मे गूंजी तो उन्होंने आनन-फानन मे इस मामले की जांच एक आईएएस अफसर को सौंपी जिन्होंने इस घोटाले का सारा सच बाहर लाने के लिए अपनी जांच को सही दिशा में आगे बढा रखा है। वहीं इस घोटाले मे काफी चौकाने वाले राज सामने आने की उम्मीद हर किसी को दिखाई दे रही है जिसको लेकर अब यह बहस भी शुरू हो गई है कि क्या भूमि घोटाले का सच जांच में सामने आने के बाद इस मामले में एफआईआर दर्ज होगी जिन्होंने इस घोटाले मे अपने हाथ काले किये थे? अब सबकी नजरें घोटाले की जांच के अंत होने पर टिकी हुई है क्योंकि सबका मानना है कि इस मामले मे जिस तरह से मुख्यमंत्री ने सख्त रूख अपना रखा है उससे यह उम्मीद दिखाई दे रही है कि वह भ्रष्टाचारियों को एक बडा आईना दिखाने के लिए इसमें एक नजीर पेश करेंगे जिससे कि कोई भी छोटा या बडा अफसर भ्रष्टाचार का खेल खेलने का दुसाहस न कर पाये?
भूमि घोटाले के शोर से उत्तराखण्ड की काफी ब्यूरोक्रेसी में हलचल मची हुई है और यह बहस छिडी हुई है कि आखिरकार वो कौन-कौन अफसर हैं जिन्होंने इस भूमि घोटाले को अंजाम देने के लिए सरकार के भ्रष्टाचारमुक्त उत्तराखण्ड के विजन को ही हवा मे उडा कर रख दिया था? इस जांच से कुछ बडे अफसरों के माथे पर भी ंिचता की लकीरें पडी हुई हैं और उन्हें यह भय सता रहा है कि मुख्यमंत्री इस घोटाले को लेकर काफी नाराज हैं कि आखिरकार उनके राज्य में किसी भी अफसर ने कैसे इतना बडा घोटाला किया है? अब सवाल यह तैर रहे हैं कि आखिर कब इस जांच का अंत होगा और जिन अफसरों को इस घोटाले मे दोषी पाया जायेगा क्या सरकार उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का बडा संदेश देने के लिए आगे आयेगी जिससे कोई भी अधिकारी भ्रष्टाचार करने का सोच भी न सके?
उल्लेखनीय है कि हरिद्वार के नगर निगम में एक बडा भूमि घोटाला सामने आने पर मुख्यमंत्री ने अपने सख्त तेवर दिखाये और उन्होंने इस मामले की जांच एक आईएएस अफसर को सौंपते हुए उन्हें दो टूक संदेश दिया कि इस घोटाले मे चाहे कोई कितना भी बडा अफसर या राजनेता शामिल हो तो उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल मे लाई जायेगी। मुख्यमंत्री के आदेश पर इस घोटाले की जांच तेजी के साथ आगे बढ़ रही है और उत्तराखण्ड के अन्दर अब सबकी निगाहें हरिद्वार के नगर निगम मे हुये भूमि घोटाले पर टिकी हुई है? जांच अफसर ने अपनी जांच का दायरा बढाना शुरू कर दिया है इससे यह सवाल भी पनपने लगे हैं कि कहीं इस घोटाले मे कुछ कथित भूमाफिया और चंद अफसरों ने अपना कोई सिंडिकेट तो नहीं बना रखा था जिसके चलते उन्होंने इस भूमि घोटाले को अंजाम देने के दौरान सरकार का कोई भय अपने मन में नहीं पाला? बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने जबसे सत्ता संभाली है तबसे वह भ्रष्टाचार और घोटालों के खिलाफ एक बडा युद्ध लड रहे हैं और उन्होंने सत्ता संभालने के बाद यह ऐलान कर दिया था कि उनके सामने अगर कोई भी भ्रष्टाचार या घोटाले का मामला सामने आया तो वह उसे बर्दाश्त नहीं करेंगे और जो भी इसमें शामिल होंगे उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल मे लाई जायेगी। मुख्यमंत्री के शासनकाल मे तो भ्रष्टाचारी और घोटालेबाजों के मन में एक बडा डर देखने को मिलता आ रहा है और जैसे ही मुख्यमंत्री को हरिद्वार के नगर निगम में भूमि घोटाले का एक बडा खेल पता चला तो वह इस घोटाले को लेकर बेहद नाराज दिखाई दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने इस घोटाले मे दूध का दूध और पानी का पानी करने के लिए एक बडे युद्ध का आगाज कर दिया है जिससे कि राज्य के अन्दर यह नजीर बन सके कि अगर किसी ने भी घोटालों का खेल खेलकर यह सोचा कि वह पुष्कर राज में बच जायेंगे तो यह सम्भव नहीं होगा? उत्तराखण्ड के अन्दर इन दिनों हरिद्वार मे हुआ भूमि घोटाला सुर्खियां बटोरे हुये है और यह बहस भी जन्म ले रही है कि इस घोटाले मे क्या छोटे-छोटे अधिकारी ही जांच की जद मे आयेंगे या फिर जिन चंद बडों ने भी इस घोटाले मे कथित रूप से कोई खेल खेला है वह अपने आपको जांच की आंच से बच जायेगा? मुख्यमंत्री के आदेश पर आईएएस अफसर रणबीर सिंह चौहान जांच कर रहे हैं जिसके बाद यह साफ दिखाई दे रहा है कि इस जांच का दायरा बडा हो चला है और जिसने भी इस घोटाले मे अपना रोल प्ले किया है वह सम्भवत: किसी भी कीमत पर नहीं बच पायेगा?
धर्मनगरी हरिद्वार में नगर निगम के भूमि घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने सख्त रूख अपनाया और उन्होंने इसकी जंाच आईएएस रणबीर सिंह चौहान को सौंप रखी है। चर्चाएं हैं कि भूमि घोटाले मे आये दिन नई-नई कहानियां निकलकर सामने आ रही हैं और सवाल तैर रहे हैं कि अगर यह कहानियां सच हैं तो क्या फिर वो अफसर भी जांच अधिकारी की रडार पर आयेंगे जिन्होंने भूमि घोटाले की सारी स्क्रिप्ट बडे नाटकीय ढंग से तैयार की थी? चर्चाएं यहां तक हैं कि इस जांच की कमान एक अफसर खुद अपने हाथ में लेने का तानाबाना बुन रहे थे लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने इस घोटाले का सच सामने लाने के लिए रणबीर सिंह चौहान पर भरोसा कर उन्हें घोटाले के सारे राज बेनकाब करने का खुला आदेश दिया हुआ है और उससे संभावनायें प्रबल हैं कि वो चंद बडे अफसर भी जरूर बेनकाब होंगे जिन्होंने इस मामले में अपना गोपनीय खेल खेला था?
उत्तराखण्ड के अन्दर इन दिनों हरिद्वार के नगर निगम में हुये भूमि घोटाले को लेकर एक बडा भूचाल मचा हुआ है और इसमें एक नया तूफान आने का इसलिए भी शोर मचा हुआ है क्योंकि मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने इस घोटाले को लेकर अपना सख्त रूख अपना रखा है और दो टूक संदेश दिया हुआ है कि इस घोटाले में जो भी शामिल हैं उसको किसी भी कीमत में बक्शा नहीं जायेगा इसलिए सबकी नजरें इस बात पर टिकी हुई हैं कि आखिर इस जांच का अंत कब होगा जिससे उनके नाम उजागर हो सकें जिन्होंने सरकार को धोखा देने के लिए एक बडा घोटाला किया था?

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