भ्रष्टाचार से बचने को मीडियाकर्मी बने हैं ‘लाइजनर’
धामी पर भरोसाः उखाड़ फेंकेंगे भ्रष्टाचार की जडे़
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में भाजपा के एक्स सीएम सेवानिवृत्त मेजर जनरल ने भ्रष्टाचार पर बडा प्रहार करने के लिए लोकायुक्त का गठन करने का एक बडा जज्बा दिखाया था और उनका साफ मानना था कि भ्रष्टाचार का अंत सख्त लोकायुक्त ही कर सकता है। एक्स सीएम ने बडे विजन के तहत राज्य के अन्दर सख्त लोकायुक्त का गठन करके देशभर में अपने नाम का डंका बजाया था और भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई लडने वाले अन्ना हजारे ने भी एक्स सीएम की खूब तारीफ की थी कि उन्होंने जो लोकायुक्त बनाया है उससे उत्तराखण्ड के अन्दर भ्रष्टाचार पर नकेल लगेगी। एक्स सीएम की कुर्सी जाते ही कांग्रेस ने सत्ता मे आते ही राज्य के लिए बनाये गये लोकायुक्त बिल को रद्दी की टोकरी मे डाल दिया था और तो और एक्स सीएम त्रिवेंद्र ने सत्ता मे आने के बाद सौ दिन में लोकायुक्त का गठन करने का दम भरा था लेकिन विधानसभा के पटल पर आये लोकायुक्त को देखकर उन्होंने भी इसे बनाने मे कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई जिसके चलते कांग्रेस व भाजपा के शासनकाल में भ्रष्टाचार का तांडव चरम पर हमेशा दिखाई देता रहा। उत्तराखण्ड के अन्दर भ्रष्टाचार की छोटी-छोटी मछलियां तो तब विजिलेंस के शिकंजे मे फंस रही हैं जब कोई इनकी शिकायत करने के लिए उनके सामने प्रकट हो रहा है। उत्तराखण्ड के अन्दर यह बहस शुरू हो गई है कि आखिरकार भ्रष्टाचार के काफी बडे-बडे बिग शॉट कब बेनकाब होंगे? हैरानी वाली बात तो यह है कि भ्रष्टाचार करने वाले कुछ बिग शॉट अफसरों ने अपने आपको सबकी निगाह से बचने के लिए कुछ मीडियाकर्मियों को अपना लाइजनर बनाकर उन्हें आगे कर वो खेल खेलना शुरू कर रखा है जो हैरान करने जैसा है? अब उत्तराखण्ड के अन्दर एक बार फिर यह आवाज बुलंद हो रही है कि बडे भ्रष्टाचारियों पर सीधे एक्शन लेने के लिए राज्य के अन्दर लोकायुक्त का गठन होना चाहिए क्योंकि अगर वह किसी बडे भ्रष्टाचारी के खिलाफ एक्शन लेने की अनुमति को शासन के द्वार पर जायेंगे तब तक उनका गोपनीय एक्शन लीक हो जायेगा और उसी के चलते भ्रष्टाचार के बिग शॉट कभी किसी एजेंसी के जाल मे नहीं फंस पायेंगे?
उत्तराखण्ड मे एक बार फिर भ्रष्टाचार और घोटालों को लेकर एक बडा शोर मचने लगा है। पिछले कुछ समय से हरिद्वार के नगर निगम में भूमि घोटाले को लेकर अफसरशाही में खलबली मची हुई है और यह खलबली इसलिए भी मच गई है क्योंकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घोटाले का सारा राज सामने लाने के लिए आईएएस रणबीर सिंह चौहान को जांच सौंप रखी है और उन्होंने अपनी जांच को जिस तेजी के साथ आगे बढाना शुरू कर रखा है उससे भ्रष्ट अफसरों की नींद उडी हुई है। इस घोटाले का सारा राज तार-तार करने के लिए सुराज सेवा दल ने भी सचिवालय कूच करते हुए इस घोटाले की जांच सीबीआई या ईडी से कराने के लिए एक बडी ताल ठोक दी है जिससे सिस्टम के अन्दर भी अब एक नया तूफान मचता हुआ दिखाई दे रहा है कि अगर इस घोटाले की जांच सीबीआई या ईडी के हाथो मे आ गई तो यह एक नया भूचाल ला देगा? वहीं 2019 में हरिद्वार के पंतद्वीप पार्किंग की नीलामी मे भी हुये घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने अपनी जांच मे जो बातें उजागर की है उसके बाद शासन ने सीबीआई की रिपोर्ट पर तत्कालीन अधीक्षण अभियंता को निलम्बित किया है जिससे यह खडे किये जा रहे हैं कि जब सीबीआई की रिपोर्ट पर किसी अभियंता के खिलाफ निलम्बन की कार्यवाही हुई है तो फिर उसे किसी जनपद के कार्यालय में सम्बद्ध करने का औचित्य क्या है?
उत्तराखण्ड बनने के बाद से आज तक भ्रष्टाचार की रिश्वत लेने वाले अधिकारी और कर्मचारियों का अगर लेखाजोखा देखा जाये तो उससे साफ झलक जायेगा कि यह सभी भ्रष्टाचार की छोटी-छोटी मच्छलियां ही थी जो विजिलेंस के हाथों में उस समय फंस गई जब उनके खिलाफ शिकायत देने के लिए कोई भी व्यक्ति विजिलेंस के द्वार पर पहुंचा था? उत्तराखण्ड के अन्दर भ्रष्टाचार के काफी बडे-बडे बिग शॉट आज भी भ्रष्टाचार का खुला खेल बडे नाटकीय ढंग से खेल रहे हैं और अपने आपको वह पाक-साफ दिखाने का भी खुलकर खेल खेलने मे जुटे हुये हैं? उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार के बडे मगरमच्छ तब तक बेनकाब नहीं हो पायेंगे जब तक राज्य के अन्दर लोकायुक्त का गठन नहीं होगा? लोकायुक्त एक ऐसी संस्था होती है जो बडे-बडे राजनेता और अधिकारी पर सीधा एक्शन लेने के लिए आगे बढ़ निकलता है और उसे इस कार्यवाही के लिए शासन मे जाकर अनुमति लेने की भी कोई कार्यवाही नहीं करनी होती है? आज एक बार फिर राज्य के अन्दर एक्स सीएम भुवन चंद खण्डूरी द्वारा बनाये गये लोकायुक्त को धरातल पर उतारने की इच्छा आम जनमानस दिखा रहा है और उसका कहना है कि जब तक भ्रष्टाचार करने वाले बडे-बडे मगरमच्छ सलाखों के पीछे नहीं पहुंचते तब तक उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार और घोटालों का काला खेल बंद नहीं होगा? गजब की बात तो यह है कि कुछ बिग शॉट माने जाने वाले अफसरों ने भ्रष्टाचार का खेल नाटकीय ढंग से खेलने के लिए अपने आंगन मे चंद मीडियाकर्मियों को पाल रखा है और वह अपने आकाओं के लिए लाइजनिंग करने का काम बडी होशियारी से करते आ रहे हैं?