प्रमुख संवाददाता
देहरादून। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड को गुलजार करने के लिए राज्य के अन्दर घोटालों का अंत करने का जो संकल्प लिया हुआ है वह धरातल पर उतरता हुआ नजर आ रहा है। हालांकि हरिद्वार मे करोडो के पंतद्धीप पार्किंग घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने जब अपनी जांच में भ्रष्टाचार के जिन्न को बाहर निकाला तो उसके बाद सीबीआई की रिपोर्ट पर सिचाई विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता को निलम्बित कर दिया गया। निलम्बित अधीक्षण अभियंता को मुख्य अभियंता अल्मोडा के कार्यालय में सम्बद्ध करने से सवाल खडे हो रहे हैं कि जब कोई अभियंता सीबीआई की जांच में दोषी पाया जा रहा है तो फिर उसे किसी कार्यालय में सम्बद्ध करने का आखिर औचित्य क्या है? पार्किंग की नीलामी मे भ्रष्टाचार का खेल उजागर होने पर राज्य के अन्दर एक बार फिर यह बहस चल गई है कि आखिरकार भाजपा सरकार में घोटालों का खेल किस तरह से खेला गया था इसका जिन्न अब बाहर आया है? वहीं मुख्यमंत्री के पाले मे आवाम गेंद डाल रहा है कि जो अधिकारी और कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जा रहा है उस पर जल्द से जल्द बडा एक्शन लेकर उन्हें बर्खास्त किया जाये जिससे कि राज्य के अन्दर कोई भी अधिकारी या कर्मचारी भ्रष्टाचार करने का दुसाहस न कर पाये?
मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भ्रष्टाचारमुक्त भारत के विजन को धरातल पर उतारने के लिए तीन साल से उत्तराखण्ड के अन्दर भ्रष्टाचारी और घोटालेबाजों पर अपनी रडार लगाये हुये हैं और उन्हें वह साफ संदेश देते आ रहे हैं कि राज्य के अन्दर किसी ने भी भ्रष्टाचार या घोटाला करने का दुसाहस किया तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल मे लाई जायेगी। मुख्यमंत्री भ्रष्टाचारमुक्त उत्तराखण्ड के विजन से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह काफी गदगद हैं और वह मान चुके हैं कि राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी उत्तराखण्ड को पारदर्शिता और स्वच्छता के साथ चला रहे हैं जिससे आज उत्तराखण्ड विकास की नई उडान पर उड चला है। वहीं हरिद्वार में करोडो रूपये के पंतद्वीप पार्किंग घोटाले के आरोप में सिंचाई विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता आर के तिवारी को निलम्बित किया गया है। बता दें कि पंतद्वीप पार्किंग नीलामी में भ्रष्टाचार के आरोपों पर सीबीआई द्वारा जांच की गई थी। शासन को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में साक्ष्यों के आधार पर तत्कालीन अधीक्षण अभियंता को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया जिसके बाद उन्हें तत्काल निलम्बित करने के बाद उन्हें अल्मोडा में मुख्य अभियंता के कार्यालय में सम्बद्ध किया गया है। सवाल खडे हो रहे हैं कि आखिरकार निलम्बित अभियंता पर किसका हाथ था कि उन पर विभाग ने एक्शन लेने से गुरेज किया और जब मामला सीबीआई के पास पहुंचा तो फिर उनकी जांच में वह दोषी पाये गये? सवाल यह भी पनप रहे हैं कि अगर विभाग के मंत्री और बडे अफसर इस पार्किंग में हुये घोटाले की जांच खुद कराने के लिए आगे आ जाते तो यह जांच सीबीआई के पास पहुंचने की शायद नौबत ही नहीं आती? सबसे अह्म बात यह है कि इस घोटाले की जांच जब उच्च न्यायालय मे पहुंची थी तो उसके बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।
चर्चा है कि वर्ष 2०19 में पंतद्वीप पार्किंग की नीलामी निकाली गई थी जिसमें पार्किंग को तीन वर्षों के लिए नीलाम करने की कार्यवाही शुरू हुई इसके अन्तर्गत पार्किंग में पांच करोड पचास लाख के विकास कार्य ठेकेदार के स्तर से कराये जाने थे, इसके लिए नीलामी निकाली गई फिर निरस्त कर दुबारा से नीलामी निकाली जिसमें 5.5० करोड के काम को हटा दिया गया। इस नीलामी में चर्चा है कि व्यक्ति विशेष को लाभ देने के लिए शर्ते लगा दी गई कि पार्किंग मे काम करने वाले भाग ही न ले सकें? इस घोटाले में कई चौकाने वाले रहस्य सीबीआई के सामने आये और यह सवाल भी उठे कि सरकार को जो करोडो राजस्व की हानि हुई वह नहीं होती अगर घोटाले का खेल न खेला जाता? भाजपा के एक पूर्व मुख्यमंत्री के कार्यकाल में हुये इस नीलामी घोटाले की सच्चाई का जो जिन्न बाहर आया है उससे साफ हो गया है कि उत्तराखण्ड के अन्दर घोटालों का खेल कितने नाटकीय ढंग से खेला जाता था?