यात्रा ने फिर पकड़ी रफ्तार

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राजेश शर्मा
रुद्रप्रयाग। मुख्यमंत्री ने चारधाम यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाये रखने के लिए पुलिस व खुफिया टीमों को चप्पे-चप्पे पर तैनात किया हुआ है और जैसे ही भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध का आगाज हुआ तो मुख्यमंत्री ने चारधाम यात्रा की सुरक्षा का मोर्चा खुद संभाला और उन्होंने पुलिस अफसरों को साफ संदेश दिया कि यात्रा मार्ग पर सुरक्षा बल पुलिस के साथ मिलकर चप्पे-चप्पे पर नजर रखें और हर श्रद्धालु की सुरक्षा सरकार का पहला दायित्व है इसलिए हर श्रद्धालु को आस्था के पथ पर सुगमता से दर्शन करवाये जायें। मुख्यमंत्री की दूरगामी सोच के चलते एक बार फिर चारधाम यात्रा ने फिर से अपनी रफ्तार पकड ली है। आये दिन हजारों श्रद्धालु पैदल, डण्डी-कण्डी, घोडा-खच्चर और हैली सेवाओं से केदारनाथ धाम में पहुंच रहे हैं और वह बाबा के दर पर माथा टेककर सरकार को शुक्रिया कह रहे हैं कि युद्ध के दौरान उन्हें आस्था के पथ पर कोई भय नहीं दिखा और वह बाबा के उद्घोष लगाते हुए जोश के साथ मन्दिर में दर्शन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने एक बार फिर साफ कहा है कि श्रद्धालुओं को सुखद व सुरक्षित यात्रा कराने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है और अब घोडे-खच्चर भी श्रद्धालुओं को लेकर आस्था के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने भारत-पाकिस्तान का युद्ध प्रारंभ होते ही एक हाई लेवल मीटिंग करके चारधाम यात्रा में आये श्रद्धालुओं को सुरक्षा कवच उपलब्ध कराने का आदेश दिया था और उन्होंने सुरक्षा बलों व पुलिस के अफसरों को यात्रा मार्ग पर चप्पे-चप्पे पर नजर रखने और श्रद्धालुओं की कडी सुरक्षा करने के आदेश देकर श्रद्धालुओं के मन में एक उत्साह भरा था कि उन्हें किसी बात का कोई डर नहीं है। जनपद रुद्रप्रयाग में प्रचलित केदारनाथ धाम यात्रा सकुशल चल रही है। पहले नौ दिवसों में केदारनाथ धाम पहुंचे श्रद्धालुओं का आंकड़ा दो लाख के पार पहुंच गया है। केदारनाथ धाम की पैदल यात्रा में स्थानीय लोगों की आर्थिकी व आय का अहम साधन घोड़ा-खच्चर होते हैं। अश्ववंशीय पशुओं में फैले इक्वाइन इन्फ्लूएंजा नामक संक्रामक बीमारी के चलते पैदल मार्ग पर अश्ववंशीय पशुओं के संचालन पर एहतियातन रोक लगा दी गयी थी व इन बीमार पशुओं के स्वास्थ्य परीक्षण हेतु विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम सोनप्रयाग, गौरीकुण्ड क्षेत्र में तैनात हैं। कुछ हद तक पशुओं की इस बीमारी में कमी जरूर आयी है। आज कुछ अश्ववंशीय पशु (घोड़ा-खच्चर) को पैदल यात्रा में यात्रियों व जरूरी सामान इत्यादि लेकर जाने की अनुमति दी गयी है। इन पशुओं के यात्रा मार्ग में आवागमन करने के फलस्वरूप गौरीकुण्ड से केदारनाथ धाम तक की यात्रा का चिर-परिचित स्वरूप सामने आया है। घोड़े-खच्चरों के गले मे बंधी घंटियों की आवाज के साथ ही उन लोगों के चेहरों पर भी रौनक वापस आयी है जिनकी आजीविका का एकमात्र साधन ये घोड़े-खच्चर हैं।
गौरीकुण्ड से लेकर केदारनाथ धाम तक के पैदल मार्ग में पुलिस बल आवागमन कर रहे श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए तैनात है तथा आज प्रात: काल से 1०वें दिवस की यात्रा सकुशल चल रही है। कुल मिलाकर यूं कहें कि केदारनाथ धाम तक पहुंचने के हरेक माध्यम यानि पैदल, डण्डी (पालकी), कण्डी (पि_ू), घोड़ा-खच्चर व हैलीकॉप्टर के माध्यम से यात्री केदारनाथ धाम दर्शनों के लिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने कहा कि श्रद्धालु केदारनाथ धाम में गाडियों से पहुंच रहे हैं तो वहीं हैली सेवा भी उन्हें आस्था के पथ पर दर्शन कराने के लिए ले जा रही है इसके साथ ही कुछ दिन तक आस्था के पथ पर घोडे-खच्चरों के आगमन पर लगी रोक को भी हटा दिया गया जिससे अब वह भी आस्था के पथ पर श्रद्धालुओं को लेकर आ जा रहे हैं।

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