अराजकता पर पुलिस हाकिम खामोश!

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। एक कहावत है कि जब किसी विभाग का मुखिया दबंग होता है तो उसकी टीम भी दबंग होकर काम करती है लेकिन नैनीताल के एक पुलिस स्टेशन में कुछ लोगों ने वर्दी में तैनात एक दरोगा को वहां जिस तरह से अपनी खुली अराजकता दिखाते हुए उसे वर्दी समेत बेईज्जत करने का जो तांडव किया उसकी वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी के साथ खूब वायरल हो रही है और पुलिस स्टेशन में अपने महकमे के लोगों के सामने दरोगा बेईज्जत होता रहा और सब खाकीधारी खामोशी के साथ सबकुछ देखते रहे? पुलिस स्टेशन के अन्दर पुलिस का दरोगा कुछ लोगों के उग्र रूप को देखकर अपनों के बीच बेबस और लाचार होकर खडा था उस वीडियो को देखकर हर किसी का दिल दहल गया? सवाल उठे कि अगर भीड से कुछ लोग पुलिस स्टेशन में घुसकर महकमे के ही एक दरोगा को अपनी अराजकता दिखाते हुए पुलिस महकमे को ललकार रहे थे तो उस समय वहां मौजूद पुलिस के लोगों ने अपने दरोगा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खडा होने में क्यों गुरेज किया? वीडियो में दरोगा को जिस अंदाज में बेईज्जत किया जा रहा था उस समय वहां मौजूद पुलिसकर्मियों के इकबाल को कैसे जंक लग गया कि वह उन लोगों पर नाराज नहीं हुये जो दरोगा को अपनी पॉवर पुलिस स्टेशन के अन्दर ही दिखाने से पीछे नहीं हटे? सवाल तैर रहे हैं कि पुलिस स्टेशन के अन्दर जिस तरह से अराजकता का दृश्य देखने को मिला उस पर पुलिस के हाकिम क्यों खामोश रहे यह उत्तराखण्ड के अन्दर एक बहस का विषय बना हुआ है? अपने पुलिस महकमे के इकबाल को बुलंद रखना पुलिस हाकिम का कर्तव्य होता है लेकिन पुलिस स्टेशन में दरोगा के साथ हुई खुली अराजकता पर तांडव करने वालों पर सख्त एक्शन करने के लिए पुलिस हाकिम क्यों आगे आने से बचते रहे?
उत्तराखण्ड में एक दौर ऐसा चला जब रणवीर मुठभेड कांड के बाद पुलिस के इकबाल को जंक लग गया था और पुलिस हमेशा अपराधियों के सामने अकसर लाचार दिखाई देती थी जिससे यह सवाल खडे होते थे कि आखिरकार अपराधियों के मन मे जब तक पुलिस के इकबाल का खौफ नहीं होगा तब तक अपराधी बडे-बडे अपराध करके सिस्टम को बडी चुनौती देने से बाज नहीं आयेंगे? उत्तराखण्ड के अन्दर कार्यवाहक डीजीपी की कमान संभालने वाले अभिनव कुमार ने पदभार संभालते ही अपराधियों और माफियाओं को खुला अल्टीमेटम दे दिया था कि अगर उन्होंने अपराध करने का दुसाहस किया तो उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पडेगा। वहीं समूचे पुलिस महकमे मे एक बडा जोश भरने के लिए अभिनव कुमार ने बडी पहल की उसके बाद तो पुलिस महकमे के अन्दर अपराधियों से जंग लडने का जो साहस देखने को मिला वह गजब ही दिखाई दिया। पुलिस ने अपराधियों को अपने इकबाल से जब रूबरू कराना शुरू किया था तो उससे अपराध करने वाला हर अपराधी यह समझ गया कि अब उत्तराखण्ड की पुलिस एक नई दिशा में आगे बढ़ चली है। अभिनव कुमार के शासनकाल में अपराधियों को पुलिस ने दिन मे ही तारे दिखाने का जो सिलसिला शुरू किया था उससे अपराधजगत में खलबली मच गई थी।
वहीं पिछले काफी समय से पुलिस के इकबाल को कैसे जंक लग रहा है यह आवाम सोचकर भी हैरान हो रहा है? नैनीताल में एक समुदाय के व्यक्ति ने एक मासूम के साथ जो कृत्य किया और उसके बाद वहां सीधे-सीधे सडकों पर अराजकता का माहौल दिखाई दिया उसने कहीं न कहीं सिस्टम को भी कटघरे मे लाकर खडा कर दिया था? नैनीताल के एक पुलिस स्टेशन की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रखी है और इस वीडियो मे पुलिस स्टेशन के अन्दर खडे दरोगा को कुछ लोग अराजकता दिखाते हुए उसे अपनी खुली दबंगई दिखाते हुए नजर आये वह समूचे पुलिस महकमे के लिए एक बडी चुनौती ही माना जा सकता है? सवाल खडे हुये कि आखिरकार चाहे सडकों पर कुछ भी हो रहा हो लेकिन कोई ऐसा दुसाहस कैसे पुलिस स्टेशन के अन्दर कर सकता है कि वह महकमे के एक दरोगा को वर्दी पकडकर उसे बेईज्जत करता रहा? पुलिस स्टेशन के अन्दर अगर महकमे का एक दरोगा भी अपने आपको लाचार और बेबस मानकर अपने ही कर्मचारियों के सामने खामोशी से खडा रहा तो उससे सवाल उठने तय हैं कि आखिरकार वहां मौजूद पुलिसकर्मियों का इकबाल कहां गायब हो गया जब उनके ही एक दरोगा को कुछ लोग सरेआम बेईज्जत कर रहे थे? इस वीडियो मे पुलिस दरोगा के साथ जो हो रहा था उसे देखकर क्या पुलिस के बडे हाकिम को गुस्सा नहीं आया कि आखिर कुछ लोगों की हिम्मत इतनी कैसे बढ़ गई कि वह महकमे के एक दरोगा को पुलिस स्टेशन के अन्दर ही उसे अपना तांडव दिखा रहे थे? पुलिस के बडे हाकिम ने पुलिस स्टेशन के अन्दर हुई अराजकता पर सख्त रूख अपनाने के बजाए खामोशी क्यों साध ली यह आम जनमानस को भी बेचैन कर रहा है?

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