2०27 के मिशन पर सीएम

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देहरादून। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री जिस शैली के साथ सरकार चला रहे हैं उससे विपक्ष आये दिन चारोखाने चित नजर आ रहा है और उसे यह समझ ही नहीं आ रहा कि वह 2०27 में होने वाले विधानसभा चुनाव में आवाम के बीच किन मुद्दों को लेकर उन्हें सपने दिखायेगा कि अगर उनकी सरकार सत्ता मे आई तो उसे वह पूरा करेंगे? मुख्यमंत्री ने अपने हर वायदे को एक नई उडान देने के लिए जो बडी पहल कर रखी है उसके चलते हर तरफ आवाम राज्य को गुलजार होता हुआ पा रहा है और उसे यह यकीन हो चला है कि उनके युवा मुख्यमंत्री सियासत नहीं बल्कि उत्तराखण्ड को एक नया उत्तराखण्ड बनाने के लिए ही रात-दिन एक किये हुये हैं। उत्तराखण्ड के गलियारों में भले ही सरकार को अस्थिर करने के लिए आये दिन अफवाहों का बाजार सजाया जा रहा हो लेकिन यह भी सच है कि अफवाहें सिर्फ एक साजिश के हिस्से से ज्यादा कुछ नहीं है? मुख्यमंत्री 2०27 के मिशन पर काम कर रहे हैं और वह विपक्ष को विधानसभा चुनाव के लिए कोई भी ऐसा मुद्दा देने को तैयार नहीं है जिससे कि विपक्ष चुनाव में सरकार को तिनकाभर भी ललकार सके।
जैसे कि पूर्व की सरकारों में देखने में आया कि सरकारें अपने ही फैसलों को बदलती रहती थीं,और आम जनमानस में न्दृजनतद सरकार की छवि बन गई थी। उसके बाद जबसे पुष्कर सिंह धामी प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं। लगातार देखने में आ रहा है कि अपने बोल्ड और ऐतिहासिक निर्णयों से पुष्कर धामी की देश में एक बडे राजनेता के रूप में पहचान बन चुकी है। मुख्यमंत्री ने दबंगता के साथ फैसले लिये, वह फैसले चाहे नकल कानून, यूसीसी ,भू कानून आदि और अब दायित्व बांटते हुए भी कई महत्वपूर्ण चेहरों को तरजीह दी गई। कुछ सामाजिक,कुछ,राजनीतिक,कुछ आरएसएस पृष्ठभूमि और तीसरे जैंडर की रजनी रावत हो या तीन तलाक के मुद्दे को लेकर संघर्ष करने वाली सायरा बानो ।इससे विपक्ष सहित अपने भी जो गाहेदृबगाहे प्रदेश में चर्चाओं का माहौल गर्म करते रहते हैं।उन सभी को धाकड़ धामी पछाड़ते हुए दिख रहे हैं।
मुख्यमंत्री जिस स्वच्छता और पारदर्शिता के साथ सरकार चला रहे हैं उससे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की आंखों के वह तारे बने हुये हैं और राज्य को जिस तरह से केन्द्र सरकार हमेशा बडी-बडी विकास योजनायें गिफ्ट के रूप मे दे रही है उससे साफ नजर आ रहा है कि प्रधानमंत्री का विजन है कि उत्तराखण्ड को एक आत्मनिर्भर राज्य बनाने के लिए मुख्यमंत्री को इतना मजबूत करें कि एक लम्बे दशक तक राज्य की जनता उन्हें अपना दिल अजीज राजनेता मानती रहे।
गौरतलब है कि जहां पिछली सरकारों में उत्तराखंड में जमीनों के सर्किल रेट कई गुना बढ़ाए गए और आम आदमी भूमाफिया के मक्कडज़ाल में असहाय महसूस कर रहा था, वहीं मजबूत भू कानून से प्रदेश की जनता को राहत देने का काम हो या पूर्व में जहां केदारनाथ धाम में सरकार के मुखिया को ही विरोध का सामना करना पड़ा हो,वहीं चारधाम यात्रा मार्ग परिवर्तन की अफवाहों को धाकड़ धामी ने अपनी सूझबुझ से विराम लगाते हुए केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव और नगर निकाय चुनावों में विजयश्री हासिल की इससे केंद्र का भी धामी के विजन और नेतृत्व पर विश्वास मजबूत हुआ है। धामी द्वारा मीडिया से भी अफवाहों में ध्यान न देने और प्रमाणिक व आदर्श पत्रकारिता करने की अपील की गई जिससे कि सरकार को राज्य के उत्थान में मीडिया से सहयोग मिले। इन सभी को देखते हुए लगता है कि पुष्कर धामी सरकार अपना पूरा कार्यकाल पूरा कर धामी के नेतृत्व में ही 2०27 के चुनावों में जाएगी। मुख्यमंत्री का बेहतर शासनकाल उन राजनेताओं को काफी अखर रहा है जो हमेशा राज्य की शीर्ष कुर्सी पर आसीन होने का सपना देखते आ रहे हैं?

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