देहरादून(संवाददाता)। जागरूक बनो आवाज उठाओ संगठन के संयोजक यशवीर आर्य ने दून की अनेक अव्यवस्थाओं के समाधान की मांग जिलाधिकारी से की है और कहा है कि दून के राजपुर मार्ग पर बिजली के तारों को भूमिगत करने का कार्य लगभग हो चुका है लेकिन अनेक स्थानों पर सड़क के एक ओर से दूसरी ओर तार फैलते जा रहे है। उन्होंने जिलाधिकारी से देहरादून को स्मार्ट बनाये जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि घंटाघर से राजपुर तक तरह तरह के रोड डिवाइडर्स बने हैं वह भी अनटीडी सी घास कटाई। तहसील चौक से महाराजा अग्रसेन चौक से रोड डिवाइडर्स खंभे लगे और ब्रेकेट भी लेकिन किसी तरह की लाइट्स नहीं है और खंभों का प्रयोग, दुरूपयोग, अधिकृत, अनधिकृत बैनर्स के लिए हो रहा। अग्रसेन चौक से सहारनपुर चौक तक रेलवे स्टेशन सहित रोड डिवाइडर्स की दुर्दशा है जो आने वाले यात्रियों को देहरादून स्मार्ट सिटी के दर्शन कराती है। उन्होंने कहा कि किसी भी सड़क क्या मुख्य सड़क का 1० मीटर का भाग भी कंकड़ पत्थर, धूल मिट्टी और कूड़ा करकट मुक्त नहीं है और शायद तोड़ो बनाओ तोड़ो की नीति के अंतर्गत घंटाघर के चारों तरफ फिर तोडऩे की कार्यवाही शुरू हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ तो हर वर्ष अनगिनत पौधे रोपित किए जाते रहे हैं वहीं गांधी पार्क के सामने ही सूखे पैडों के ठूंठ खड़े हैं,एक स्थान पर मैने स्वयं पौधा लगाया लेकिन वह बच नही सका । उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा दुकानों, प्रतिष्ठानों क्या व्यक्तिगत स्थानों पर एक के स्थान पर चार चार बोड्र्स लगाए गए थे उनमे से पलटन बाजार को छोड़कर लगभग 5० प्रतिशत धराशाही हो गए ऊपर का नाम तो बहुत पहले ही गिर चुका था। उन्होंने कहा कि खाली दुकानों पर भी बोड्र्स लगा दिए थे उनपर कोई भी नंबर लिख दिया था। दिलाराम से राजपुर की ओर दसियों लाइट्स के खंभे धराशाही कर दिए गए और शायद विज्ञापनों के लिए खंभे लगाने की भूमिका बांधी जा रही। उन्होंने कहा कि यह बिल बोड्र्स वाहन चालकों का ध्यान बांटते है जो दुर्घटना के कारण हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि लगभग सभी बड़े बड़े मार्ग सूचकध्स्थान सूचक बोड्र्स के नीचे आए दिन बैनर्स लग जाते है जो बिना किसी विभाग की मिली भगत से संभव नहीं क्योंकि सब हायड्रायूलिक लैडर से रात के अंधेरे मे लगते है। उन्होंने कहा कि जब वह बैनर्स फट जाते हैं तो उनके चीथड़े लटकते रहते हैं। .कैनाल रोड,जाखन के तीन किलोमीटर के भाग में सड़क के दोनों ओर चार मीटर तक के, सड़क के लेवल से 6० सेंटीमीटर तक ऊंचाई के रैंप बने है, कही कोई लेवल नहीं है। उन्होंने कहा कि कम से कम लगभग 2० टैक्सियां खड़ी रहती है उनके मालिक ध्चालक शायद आस पास रहते है और उन्होंने इन वाहनों को अपने परिसर मे रखने की कोई व्यवस्था नहीं कर रखी है। उन्होंने कहा कि जबकि आगे पुलिस अधिकारी कॉलोनी होने के कारण दसियों पुलिस अधिकारी और राजनैतिक लोग इधर से निकलते हैं। पैदल चलना मुश्किल हो गया है। इस अवसर पर आर्य ने कहा है कि गली मौहल्लों का बिजली का कोई खंबा ऐसा नहीं जिस पर तारों का मक्कड़ जाल न हो,आजकल पक्षी उन पर घोंसला बनाते हैं जो चिंगारी निकलने पर आग दुर्घटना का कारण हो सकता है और देहरादून मे बस एक ही कार्य स्मार्ट सिटी का है वह कुछ स्थानों पर ही स्मार्ट जनसुविधा इसके अतिरिक्त कुछ नहीं है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कैनाल रोड पर ही बस्ती में ही एक किलोमीटर के रेडियस में ही गैस गोदाम और पेट्रोल पम्प जब यह बन रहा था तब ही उस समय के जिलाधिकारी को पत्र दिया था और साकेत कॉलोनी के सामने शायद फ्लैट्स निर्माण के लिए जमीन की नीचे की ओर खुदाई चल रही,क्या इसकी गहराई की कोई सीमा नहीं है। कैनाल रोड का लगभग चार किलोमीटर का भाग व्यावसायिक हो गया है क्या वहां से व्यावसायिक दरों से भवन कर लिया जा रहा।उन्होंने कहा कि इतने व्यावसायिककरण के बाबजूद भी कोई जन सुविधा का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि एनआईवीएच के पिछले गेट के समीप मन्दिर की आड मे नाले के ऊपर अतिक्रमण बढ़ता ही जा रहा। उन्होंने कहा कि यह सब अव्यवस्थाएं तो केवल लगभग 1० किलोमीटर के भाग की ही हैं जहां मेरा जाना होता है। उन्होंने कहा कि पूरे देहरादून का क्या हाल होगा यह सोचने वाली बात है। उन्होंने कहा कि यदि नगर निगम, लोक निर्माण विभाग, प्राधिकरण, स्मार्ट सिटी, जल संस्थान,बिजली विभाग और दूर संचार विभाग वास्तव में शहर के अच्छी व्यवस्था के प्रति गंभीर हैं तो आपस में समन्वय करके कम से कम दो वर्षों की कार्य योजना बनाकर कार्य करें तो करोड़ों रूपये की बचत होगी और देहरादून वास्तव मे स्मार्ट दिखेगा और विश्वास है उजागर अव्यवस्थाओं के समाधान के लिए संबंधित विभागों को आदेश प्रदान करते हुए देहरादून को स्मार्ट बनायेंगें।