उत्तरकाशी(चिरंजीव सेमवाल)। उत्तराखंड में पंचायत चुनाव एक पुन: टलने के आसार है। आगामी एक जून को प्रशासकों का कार्यकाल भी समाप्त होने जा रहा है। और अभी तब आरक्षण तय नहीं हुआ ऐसे में अभी चुनाव के आसार नहीं हैं। बता दें कि प्रदेश के हरिद्वार जनपद को छोड़कर 12 जनपदों में ग्राम प्रधानों का कार्यकाल पिछले साल नवंबर 2०24 में समाप्त हो गया था, लेकिन सरकार ने पूराने प्रतिनिधियों को ही प्रशासक नियुक्त कर दिया था। जिनका कार्यकाल अगले एक महीने में समाप्त हो जायेगा। पंचायत नियमों के मुताबिक एक जून 2०25 से पूर्व पंचायत चुनाव हो जाने चाहिए, लेकिन सरकार और प्रशासन के सामने 3० अप्रैल से शुरू होने जा रहा चारधाम यात्रा और मानसून सीजन की चुनौती है। ऐसे में प्रदेश की 7499 ग्राम पंचायतों के 76०० मतदान केन्द्रों में लाखों कर्मचारी की आवश्यकता होगी। सरकारी मशीनरी चारधाम यात्रा में लग जायेगी तो पंचायत चुनाव कैसे संपन्न होंगे?
हालांकि पंचायत सचिव चंद्रेश यादव कहते हैं कि पंचायत चुनाव की सभी तैयारियां चल रही है जल्द पूरी की जायेगी लेकिन अभी तक कैबिनेट में ओबीसी आरक्षण के लिए अध्यादेश तक नहीं आया। ओबीसी आरक्षण के लिए पंचायत एक्ट में संशोधन भी होना है। फिर अंतिम प्रकाशन के बाद आपत्तियां निस्तारण की प्रक्रिया भी करनी होंगे उसके पश्चात आरक्षण तय होगा। यूं तो राज्य गठन के 25 वषों में प्रदेश में 2०19 पंचायत चुनाव को छोड़ दें तो अन्य वषों में एक बार भी समय पर चुनाव नहीं हुआ। वर्ष 2००० में पृथक राज्य का गठन हुआ था वर्ष 2००1 में पंचायत चुनाव होने थे, लेकिन चुनाव वर्ष 2००3 में हुऐ। अगले चुनाव वर्ष 2००8 में हुए वह भी 6 महिने देरी से हुये । फिर अगले चुनाव वर्ष 2०13 में सम्पन्न होने थे, लेकिन एक वर्ष बाद यानि वर्ष 2०14 में हुए। जबकि वर्ष 2०19 में प्रदेश में तय समय में चुनाव सम्पन्न हुए थे। बता दें कि हरिद्वार जनपद को छोड़कर प्रदेश के 12 जनपदों के ग्राम प्रधानों व क्षेत्र पंचायत सदस्यों का कार्यकाल बीते वर्ष नवम्बर में समाप्त हो चुका है। जिससे के बाद सरकार ने पूराने ही पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशासक बना दिया था। अब नियमों के मुताबिक 6 महिने का कार्यकाल अगले महिने पूरा हो जाएगा।