प्रमुख संवाददाता
देहरादून। मुख्यमंत्री ने आज एक बार फिर सभी जिलों के डीएम को आदेश दिये कि वह जनता की समस्याओं को सुनकर उनका हल करें और इसके लिए वह जनता दरबार लगायें। मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि जनता दरबार में उम्मीद से आये लोगों को इंसाफ मिलेगा तो उससे उनके मन में सरकार को लेकर एक अच्छा अनुभव दिखेगा। वहीं राजधानी में ही एक अस्सी साल का बुजुर्ग अपनी जमीन पर हुये कब्जे को मुक्त कराने के लिए एक लम्बे समय से प्रशासन से लेकर पुलिस अफसरों की चौखट पर ऐडियां घिस रहा है लेकिन कहीं भी उसे इंसाफ नहीं मिल पा रहा है। हैरानी वाली बात है कि बुजुर्ग के पास अपनी जमीन के दस्तावेज और दाखिल खारिज तक मौजूद हैं और वह डीएम के जनता दरबार में कई बार अपनी फरियाद लेकर जा चुका है जहां डीएम ने पुलिस प्रशासन को कार्यवाही करने के लिए जरूर कहा लेकिन पुलिस उस बुजुर्ग को सिर्फ इसलिए इंसाफ नहीं दिला पा रही क्योंकि भाजपा के ही तीन मजबूत नेताओं ने पुलिस को ज्ञान दे दिया कि जो व्यक्ति जमीन का अपने आपको मालिक बता रहा है वह बाहरी है जिस पर पुलिस बुजुर्ग को इंसाफ दिलाने के लिए एक कदम भी आगे नहीं बढ पाई है। सवाल उठता है कि क्या अगर किसी बाहरी व्यक्ति ने जमीन या मकान खरीद रखा है तो क्या कोई उसकी जमीन और मकान पर सिर्फ इसलिए कब्जा कर लेगा कि वह बाहरी है? जमीन की रजिस्ट्री सरकार ने की और दाखिल खारिज भी सरकार के यहां हो रखी है तो फिर जमीन खरीदने वाला कोई भी हो उसे कैसे उसकी जमीन से कोई बेदखल कर पायेगा? अब बुजुर्ग को न्याय दिलाने के लिए डीएम ने पुलिस अफसरों को आदेश दिये हैं जिसके बाद बुजुर्ग की जमीन पर हो रखे कब्जे को लेकर एक पुलिस अधिकारी जांच कर रहे हैं लेकिन उस बुजुर्ग का साफ कहना है कि अगर ईमानदार मुख्यमंत्री के शासनकाल में भी उसकी जमीन कब्जे से आजाद नहीं हो पाई तो फिर दुनिया मे उसकी जमीन कोई खाली नहीं करा पायेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक बडे विजन के राजनेता हैं और वह अपनी छवि न्यायप्रिय शासक के रूप में बना चुके हैं इसलिए राज्य की जनता को आभास है कि मुख्यमंत्री के शासनकाल में उन्हें जरूर न्याय मिलेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी अपने तीन साल के अब तक के कार्यकाल में बार-बार प्रशासन व पुलिस अफसरों को आदेश दे रहे हैं कि वह लोगों की जमीन पर हो रखे कब्जों को भू-माफियाओं से मुक्त करायें और किसी भी फरियादी को बार-बार अफसरों के दफ्तरों मे चक्कर न काटने पडे। राजधानी के डीएम सविन बंसल जनता दरबार लगाकर आम जनमानस को न्याय देने के लिए लम्बे समय से आगे आ रखे हैं और डीएम की इस कार्यशैली को देखकर प्रेमनगर में रहने वाले अस्सी साल के एक बुजुर्ग जिसकी पटेलनगर क्षेत्रान्तर्गत बडोवाला में जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया और उसे वह बाहरी बताकर वहंा आने से रोकने के लिए हमेशा बवाल करने के लिए आगे बढ जाते हैं। गजब की बात यह है कि इस बुजुर्ग के पास दो हजार छह की रजिस्ट्री है और उसकी जमीन की दाखिल खारिज भी हो रखी है जिस पर उसने बाउंड्रीवॉल बनाकर वहां एक गेट भी लगाया हुआ था। हैरानी वाली बात है कि बुजुर्ग की जमीन पर लगे गेट को तोडकर वहीं रहने वाले कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया।
अस्सी साल के बुजुर्ग को यह विश्वास है कि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी जो कि सबको इंसाफ दिलाने के लिए जाने जाते हैं वह उसकी जमीन को जरूर कब्जा करने वालों से आजाद करवायेंगे। बताया जा रहा है कि बुजुर्ग ने कई बार डीएम ऑफिस मे लगने वाले जनता दरबार में दस्तक दी और उसने वहां यहां तक कहा कि उसे लगता है कि उसके मरने के बाद ही उसकी जमीन शायद खाली हो सके। डीएम ने बार-बार पुलिस अफसरों को बुजुर्ग की जमीन खाली कराने के लिए कहा लेकिन वही ढाक के तीन पात वाली कहावत देखने को मिली। हैरानी वाली बात तो यह है कि बुजुर्ग जब कुछ समय पूर्व अपनी जमीन पर गया तो भाजपा के तीन नेताओं ने पुलिस के एक छोटे अधिकारी को यहां तक बोल दिया कि जो जमीन पर कब्जा करने आया है वह बाहरी है। सवाल उठे कि अगर जमीन किसी बाहरी ने खरीद रखी है और उसके पास उसकी रजिस्ट्री और दाखिल खारिज है तो फिर उसकी जमीन को प्रशासन कब्जे से आजाद कराने के लिए क्यों आगे नहीं आता? बुजुर्ग का यह मामला देखकर तो साफ नजर आ रहा है कि सीएम के सपनों पर आखिर कौन ग्रहण लगा रहा है जिसके चलते न्याय की उम्मीद रखने वाले व्यक्ति को इंसाफ नहीं मिल पा रहा है?