त्रिवेंद्र्र ने माईनिंग विजिलेंस सेल खुद की थी ‘खत्म’
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। हरिद्वार से भाजपा सांसद व उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री ने संसद में अवैध खनन को लेकर जो बयां किया उसके बाद तो सोशल मीडिया पर त्रिवंेद्र आवाम के निशाने पर आ गये हैं और यह सवाल दागे जा रहे हैं कि उनके शासनकाल में तो अवैध खनन का जो खुला तांडव चलता था और अवैध खनन रोकने के लिए बनाई गई माईनिंग विजिलेंस सेल एक्शन में रहती थी तो पूर्व मुख्यमंत्री ने खुद ही इस माईनिंग विजिलेंस सेल को खत्म कर दिया था। अवैध खनन व अवैध भण्डारन को लेकर माईनिंग विजिलेंस सेल ने सरकार को करोडो रूपये का राजस्व दिलाया था लेकिन कांग्रेस शासनकाल में बनी माईनिंग विजिलेंस सेल तो त्रिवेन्द्र रावत ने ही खत्म की थी तो वह अब राज्य के अन्दर हो रहे कथित अवैध खनन को लेकर टास्क फोर्स बनाने की क्यों मांग उठाकर अपनी ही सरकार पर निशाना साध गये?
राजनीति में कभी कोई किसी का दोस्त और दुश्मन नहीं रहता यह उत्तराखण्ड की राजनीति में हमेशा देखा जाता रहा है। उत्तराखण्ड के अन्दर कुछ बडे राजनेता ऐसे हैं जो कभी एक दूसरे पर वार करते हैं तो कभी एक दूसरे को फूलों का गुलदस्ता देने के लिए आगे आ जाते हैं। उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी लम्बे समय से खनन माफियाओं के खिलाफ सीधी कार्यवाही करने के लिए खनन महकमे, डीएम और पुलिस कप्तानों को आदेश दिये हुये हैं और उसी के चलते हमेशा अवैध खनन करने वालों पर सिस्टम का डंडा चलता रहा है लेकिन चंद दिन पूर्व हरिद्वार के सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सदन में उत्तराखण्ड के अन्दर हो रहे कथित अवैध खनन को लेकर वहां अपनी बात रखी। सांसद के इस आरोप को खनन सचिव ने पहले दिन ही खारिज कर दिया। वहीं सांसद के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर एक नई जंग छिडी हुई नजर आ रही है। सोशल मीडिया पर लोग त्रिवेंद्र रावत को अपने निशाने पर लिये हुये हैं और उनका खुला आरोप है कि जब वह राज्य के मुख्यमंत्री थे तो उनके शासनकाल में कुछ जनपदों में खुलकर अवैध खनन का काला कारोबार होता था। उपजा के प्रदेश अध्यक्ष मुजीब नैथानी ने भी सोशल मीडिया पर कुछ पोस्टें वायरल की हैं और पंद्रह मई 2020 को उन्होंने उत्तराखण्ड सचिव को दिये गये पत्र को भी वायरल किया है जिसमें उन्होंने कहा कि कोटद्वार में नदियों में चुगान अनुमति से ओवर लोडेड डम्परों के गलियों से चलने एवं रात में चलने से हो रही दिक्कतों से भी रूबरू कराया था। अवैध खनन का खेल कोटद्वार में किस तरह से चलता था इसको लेकर खूब शोर मचता था और उस दौरान त्रिवेंद्र रावत की सरकार आवाम के निशाने पर खूब रहती थी अवैध खनन को लेकर त्रिवेंद्र के एक करीबी एक स्टिंग में कैद हो गये थे जिसमें वो साफ-साफ कह रहा था कि मैं तो रोज सौ डम्पर खनन करता हंू। इस स्टिंग का शोर भी सोशल मीडिया पर खूब मचा था। सबसे अह्म बात यह है कि कांग्रेस शासनकाल में अवैध खनन को लेकर माईनिंग विजिलेंस सेल का गठन किया गया था और माईनिंग विजिलेंस सेल ने अपनी सीमित टीम के साथ देहरादून से लेकर राज्यभर में अवैध खनन को लेकर जो ऑपरेशन चलाया था उससे बडी हलचल भी मची थी।
माईनिंग विजिलेंस सेल ने जब खनन माफियाओं के किले को ध्वस्त करना शुरू किया तो अचानक उस दौर के मुख्यमंत्री रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में बनाई गई माईनिंग विजिलेंस सेल को खत्म करके उन खनन माफियाओं के चेहरों पर मुस्कान ला दी थी जो माईनिंग विजिलेंस सेल के आये दिन पडने वाले छापों से घबराये हुये नजर आते थे। अब सवाल है कि जब त्रिवंेद्र रावत ने अपने शासन काल में माईनिंग विजिलेंस सेल को खत्म कर दिया था तो फिर वह अब उत्तराखण्ड में कथित अवैध खनन को रोकने के लिए टास्क फोर्स गठित करने के लिए सदन में आगे आये?