देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड को गुलजार करने के लिए मुख्यमंत्री तीन सालों से रात-दिन एक किये हुये हैं और उन्होंने अपनी स्वच्छ और पारदर्शी शैली से देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की राजनीतिक पाठशाला में अपने आपको हमेशा अव्वल लाकर यह संदेश दे रखा है कि वह सिर्फ विकास की राजनीति पर ही चलने मे विश्वास रखते हैं। उत्तराखण्डवासियों में डबल इंजन सरकार पर अभेद विश्वास दिखाई दे रहा है क्योंकि मुख्यमंत्री के तीन साल के कार्यकाल में देश के प्रधानमंत्री तेरह बार उत्तराखण्ड आकर यहां विकास की जो एक नई पटकथा लिख रहे हैं उससे उत्तराखण्ड में एक नये युग का आरंभ हो चुका है। मुख्यमंत्री ने अपने शासनकाल में पर्यटन से लेकर तीर्थाटन को विश्व में एक नई पहचान दिलाने का जो जज्बा दिखा रखा है उससे बेरोजगारों को भी एक बडा रोजगार मिलता हुआ नजर आ रहा है। उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री ने विकास को लेकर जो एक लम्बी लकीर खींच दी है उसे पार पाना शायद अब भविष्य में किसी के बस में नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने अपने शासनकाल में कभी भी गढवाल और कुमांऊ की राजनीति नहीं की और न ही उन्होंने राज्य के अन्दर कभी पहाड़-प्लेनवाद होने दिया लेकिन जबसे कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने एक वक्तव्य दिया तो उसके बाद से राज्य का माहौल खराब करने के लिए कुछ खबरनवीज आखिरकार किसके इशारों पर राज्य के अन्दर पहाड-प्लेनवाद का जहरीला बीज बोने का षडयंत्र नाटकीय ढंग से आये दिन रच रहे हैं यह काफी बडी साजिश का हिस्सा भी हो सकता है? गजब की बात तो यह है कि एक ओर धामी उत्तराखण्ड को हर सेक्टर मे गुलजार करते हुए आगे बढ रहे हैं और देश के प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री तक बडे-बडे मंचो पर उन्हें शाबासी देकर उनकी पीठ थपथपा रहे हैं लेकिन उनकी इस लम्बी उडान को देखकर वह किसकी आंखों में बार-बार चुभ रहे हैं जिसके चलते सोशल मीडिया से लेकर मीडिया के कुछ लोग राज्य के अन्दर एक जहरीला माहौल तैयार करने से बाज नहीं आ रहे हैं?
पत्रकार को समाज का आईना कहा जाता है यह उम्मीद की जाती है कि पत्रकार समाज में फैल रही कुरीतियों और बंटवारे की खाई को भरने का काम करे लेकिन उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में बैठे कुछ पत्रकारों ने समाज में जहर घोलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। आलम यह है कि एक पत्रकार ने कुछ पत्रकारों की टोली बना ली है और वह पत्रकार खुद पीछे हटकर कुछ जूनियर पत्रकारों को पहाड़वाद और प्लेन बाद की ऐसी आग में धकेल रहा है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती? देहरादून के बीचो-बीच एक ऑफिस में बैठकर रोजाना शाम को यह प्लानिंग हो रही है कि कल किस नेता से यह सवाल किया जाएगा की फैलाने नेता को दिखाने मंत्री को पार्टी कब सबक सिखाएगी, समाज में बुद्धिजीवी वर्ग भी अब इन पत्रकारों को हिन भरी निगाह से देख रहा है। गौर करने वाली बात यह है कि अब तक सोशल मीडिया पर जितने भी नेताओं के बयान पहाड़ और प्लेन को लेकर चलाए जा रहे हैं उन बयानों में सवाल करने वाली आवाज सिर्फ दो पत्रकारों की है इन दो पत्रकारों को उस मठाधीश ने यह कह दिया है कि खबर कहीं छपी या ना टीवी पर चले लेकिन तुम्हारा काम है इस मुद्दे को गरम रखना? रोजाना यह पत्रकार झूला उठाकर बीजेपी दफ्तर और आंदोलनकारी के साथ-साथ कुछ ऐसे नेताओं के पास पहुंच रहे हैं जो प्लेन और पहाड़ की आग को हवा देने का काम करेंगे, जबकि यह मासूम पत्रकार भूल रहे हैं कि ऐसी ही आग में कुछ साल पहले महाराष्ट्र भी जला था लेकिन उसके बाद फिर सब कुछ सामान्य हो गया लेकिन उन चेहरों के ऊपर से नकाब उठ गया जो महाराष्ट्र को जलाने की कोशिश कर रहे थे? अच्छी बात यह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और महेंद्र भट्ट ने भी इन पत्रकारों को खूब खरी-खोटी डायरेक्ट और इनडायरेक्ट सुनाई है, कुछ अधिकारियों के बेहद मुंह लगे यह पत्रकार यह भूल रहे हैं कि उनकी इस उल्टी सीधी हरकत से उत्तराखंड और उत्तराखंड के नेताओं का नाम बदनाम हो रहा है? बताया जा रहा है कि इन्होंने कसम खाई है कि जब तक प्लेन और पहाड़ वाद से कोई बड़ा आंदोलन नहीं छिड़ जाता तब तक यह लोग शांत नहीं बैठेंगे। राज्य के अन्दर काफी बुद्धिजीवी यही अपील कर रहे हैं कि ऐसे पत्रकारों की बातों में ना आए और अधिकारियों से भी अपील यही है कि उनके आसपास बैठ रहे लोग किस तरह से समाज में जहर घोल रहे हैं इसका भी संज्ञान लें नहीं तो ये आस्तीन के सांप आपको कब डस लेंगे कुछ कहा नहीं जा सकता है?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य को अग्रणीय राज्य बनाने के मिशन पर आगे बढे हुये हैं और उत्तराखण्ड को विकास की नई उडान पर ले जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह मुख्यमंत्री की झोली में बडी-बडी विकास योजनायें डाल रहे हैं लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ कि राज्य में प्लेन-पहाडवाद का जहरीला खेल खेलने मे कुछ खबरनवीज अचानक नाटकीय ढंग से आगे आ रखे हैं?