प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड की सत्ता जबसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मिली है तबसे उन्होंने राज्य के अन्दर स्वच्छता और पारदर्शिता के साथ सरकार चलाने का खुला संदेश दे रखा है और यही कारण है कि उनके शासनकाल में काफी भ्रष्ट राजनेता और दर्जनों सफेदपोश इस बात को लेकर डरे और सहमें हुये हैं कि आखिरकार वर्षों से जो वह भ्रष्टाचार और दलाली का खेल खेला करते थे वह अब पुष्कर राज में नहीं चल रहा है। उत्तराखण्ड के अन्दर भ्रष्टाचार से अकूत दौलत का साम्राज्य खडा करने वाले काफी राजनेताओं और सफेदपोशों को सीएम की धाकड राजनीति से खतरा सताने लगा है और यही कारण है कि मुख्यमंत्री की स्वच्छ राजनीति से काफी भ्रष्ट नेता पिछले लम्बे समय से काफी बिलबिलाते हुए नजर आ रहे हैं? धामी की दबंग और धाकड राजनीति से भले ही भ्रष्ट राजनेताओं की रातों की नींद उडी हुई हो लेकिन राज्यवासियों को मुख्यमंत्री की स्वच्छ और पारदर्शी सत्ता चलाने की शैली खूब रास आ रही है और वह मुख्यमंत्री को अपना रक्षक मानकर उन्हें एक लम्बे अर्से तक उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री बने रहने के लिए अपना अभेद आशीर्वाद दे रहे हैं। मुख्यमंत्री की स्वच्छ कार्यशैली से ही राज्य की जनता उत्तराखण्ड मे होने वाले हर चुनाव में कमल खिलाने के लिए आगे खडी हुई नजर आती है जिसके चलते आज राज्य के अन्दर विपक्ष नाम की कोई चीज देखने को नहीं मिल रही है।
उत्तराखण्ड का इतिहास रहा है कि राज्य की जनता ने हर पांच साल बाद सत्ता मे रहने वाले राजनीतिक दल को नकार कर दूसरे दल को सत्ता मे आने का न्यौता देकर उस पर भरोसा जताती रही थी। हालांकि पूर्व मे भाजपा और कांग्रेस की सरकारों से जो राज्य की जनता एक उम्मीद बांधकर विकास की जो नई उडान पर उडना चाहती थी उस उडान को कभी भी किसी पूर्व सरकार ने सफल नहीं होने दिया और राज्य की जनता के मन मे दोनो ही सरकारों को लेकर अपनी नाराजगी दिखाते हुए राज्य के अन्दर एक नई पार्टी का उदय देखने का सपना भी पालना शुरू कर दिया था। उत्तराखण्ड के अन्दर क्षेत्रीय दल के कुछ नेता तो सत्ता के लालच की चाश्नी मे ऐसे लिपट गये थे कि वह उत्तराखण्ड को उस उडान पर ले जाने के लिए भी कभी आगे नहीं बढे थे जिसके लिए काफी आंदोलनकारियों ने राज्य के लिए अपने प्राण दे दिये थे। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने छह माह की सत्ता के दौरान आवाम के सामने सत्ता चलाने का जो आईना दिखाया उसे देखकर राज्य की जनता मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मुरीद हो गई थी और बीस साल से पांच साल के बाद सत्ता परिवर्तन की जो परिपार्टी चली आ रही थी वह मुख्यमंत्री ने धडाम करके सत्ता पर एक बार फिर कब्जा कर कांग्रेस को चुनावी रणभूमि मे ढेर कर दिया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राजनीति के इतने बडे चाणक्य बनते चले गये जिसकी कल्पना न तो किसी बडे भाजपा नेता ने की थी और न ही कांग्रेस के किसी भी नेता ने ऐसी राजनीति की कल्पना की थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजनीति की ऐसी बिसात बिछाई कि कांग्रेस उसमे फसती चली गई और दो बडे चुनाव मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जीतकर कांग्रेस के सभी छत्रपों को अपनी स्वच्छ राजनीति की जिस उडान से उन्हें रूबरू करा रखा है उससे राज्य के अन्दर कांग्रेस धीरे-धीरे हाशिये पर जाती हुई दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की स्वच्छ राजनीति ने कांग्रेस के कुछ छत्रपों को भी अपना मुरीद बना रखा है और कांग्रेस के कुछ बडे छत्रपों मे आपसी तनातनी के चलते कांग्रेस जिस रास्ते पर आकर खडी हो गई है उस रास्ते पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तेजी के साथ दौड लगाते हुए यह कहकर दिखाई दे रहे हैं कि अब उत्तराखण्ड के अन्दर कांग्रेस का युग खत्म हो चुका है और अब राज्य के अन्दर भाजपा ही उत्तराखण्ड को एक नई उडान पर ले जाने के लिए काफी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड को विकास की एक नई उडान पर ले जाने का जो साहस दिखाया और राज्य को उन्होंने भ्रष्टाचार और घोटालों के खेल को नष्ट करने का जो दबंग साहस दिखा रखा है उसके चलते आज राज्य के अन्दर बडे-बडे भ्रष्ट राजनेताओं को मुख्यमंत्री की उत्तराखण्ड को भ्रष्टाचारमुक्त करने की दबंग कार्यशैली रास नहीं आ रही है क्योंिक मुख्यमंत्री ने अपने शासनकाल में साफ संदेश दिया हुआ है कि कोई भी राजनेता अगर भ्रष्टाचार करने का दुसाहस करेेगा तो उसे बक्शा नहीं जायेगा और यही कारण है कि आज सचिवालय के अन्दर उन बहरूपियों की एंट्री बंद हो रखी है जो शासन में बडे-बडे काम कराने के खेल खेलने में माहिर हो रखे थे?