प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड बनने के बाद से ही राज्य के अन्दर कांग्रेस व भाजपा शासनकाल में मलिन बस्तियों को मालिकाना हक देने के लिए सियासत होती रही है और हर चुनाव में लाखों मलिनबस्तिवासियों को सब्जबाग दिखाये जाते हैं कि सरकार मालिकाना हक देने के लिए आगे बढेगी लेकिन चौबीस साल बाद भी कोई सरकार मलिन बस्तिवासियों को मालिकाना हक देने के लिए आगे भले ही न बढी हो लेकिन भाजपा ने मलिन बस्तियों को टूटने से बचाने के लिए जरूर अध्यादेश लाने का जरूर काम किया था। अब मलिन बस्तिवासियों को राज्य के धाकड़ मुख्यमंत्री से उम्मीद है कि वह जरूर उन्हें मालिकाना हक देने के लिए आने वाले समय में बडा कदम उठायेंगे जिससे कि मलिन बस्तियों को सरकार का तोहफा मिल सके।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड में मलिन बस्तियों को टूटने से बचाने के लिए पूर्व में भाजपा सरकार कैबिनेट बैठक में अध्यादेश लाई थी और जब इस अध्यादेश की अवधि खत्म हो रही थी तो मुख्यमंत्री ने कैबिनेट बैठक बुलाकर मलिन बस्तियों को टूटने से बचाने के लिए एक बार फिर तीन साल के लिए अध्यादेश ले आई थी। इसको मलिन बस्तियों पर सीएम का यह मास्टर स्ट्रोक माना गया क्योंकि राज्य के अन्दर नगर निकाय चुनाव होने थे इसलिए इस चुनाव में भाजपा व कांग्रेस की नजरें मलिन बस्तियों में रहने वाले लाखों मतदाताओं पर लगी हुई थी। सरकार ने मलिन बस्तियों को अध्यादेश लाकर बचाने की दिशा में तीन साल के लिए और आगे बढी तो उससे मलिन बस्तिवासियों में सरकार के मुखिया पुष्कर सिंह धामी को लेकर एक बडा विश्वास बना था कि जिस तरह से उन्होंने अध्यादेश लाकर बस्तियों को बचाया है उसी तर्ज पर वह आने वाले जल्द समय में जरूर मलिन बस्तिवासियों को मालिकाना हक देने के लिए बडा फैसला कर सकते हैं। गौरतलब है कि उत्तराखण्ड बनने के बाद से ही राज्य में सैकडों मलिन बस्तियों को मालिकाना हक दिये जाने की आवाज बुलंद होती रही है। उत्तराखण्ड के लाखों लोग मलिन बस्तियों में रहते हैं और वह चौबीस साल से ही यही सपना देख रहे हैं कि उन्हें कब मालिकाना हक मिलेगा क्योंकि वह राज्य बनने के पहले से ही अपने मकानों में रह रहे हैं और सैकडों मलिन बस्तियां ऐसी हैं जो रहाशी इलाको मे बनी है और नदी के किनारे बसी मात्र कुछ बस्तियां ही हैं। उत्तराखण्ड में सरकारें आती रही और जाती रही लेकिन किसी भी सरकार ने मलिन बस्तिवासियों को मालिकाना हक देने की दिशा में कोई पहल नहीं की। मलिन बस्तिवासियों को हमेशा राजनीतिक दल वोट बैंक समझती रही हैं। मलिन बस्तिवासियों को यह उम्मीद वर्षों से लगी हुई है कि कब कोई सरकार उन्हें मालिकाना हक देने के लिए आगे आयेगी। अब मलिन बस्तिवासियों को धाकड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से उम्मीद है कि वह राज्य के अन्दर मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों के चेहरों पर खुशी लाने के लिए जरूर उन्हें मालिकाना हक देने का बडा फैसला कर सकते हैं।