प्रमुख संवाददाता
विकासनगर/ देहरादून। उत्तराखण्ड सरकार के स्वास्थ्य सचिव हमेशा राज्य के अन्दर बेहतर स्वास्थ्य सेवायें देने के लिए संकल्पबद्ध हैं और उन्होंने सरकार द्वारा सूचीबद्ध किये गये प्राईवेट अस्पतालों को भी साफ अल्टीमेटम दे रखा है कि वह मरीजों को आयुषमान योजना के तहत इलाज देने मे अगर कभी भी आनाकानी करेंगे तो यह बर्दाश्त नहीं होगा। सचिव ने आयुषमान योजना को बेहतर बनाने के लिए खुद मोर्चा संभाल रखा है और वह समय-समय पर इसकी समीक्षा करने के लिए आगे रहते हैं जिसके चलते अस्पतालों में आम इंसान को आयुषमान योजना का खुलकर लाभ मिल रहा है। हालांकि अब जनसंघर्ष मोर्चा इस बात को लेकर काफी नाराज है कि सरकार द्वारा सूचीबद्ध किये गये कई बडे-बडे नामी गिरामी अस्पताल बाह्य रोगियों को आपात स्थिति में दाखिले के समय बिना सिफारिश के आयुषमान योजना के तहत अकसर वेंटिलेटर और आईसीयू की सुविधा प्रदान नहीं करते और मरीजों के परिजनों को यह कहकर वहां से टहला दिया जाता है कि अस्पताल में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है और उसके चलते मरीजों के जीवन पर एक बडा संकट आकर खडा हो जाता है। जनसंघर्ष मोर्चा ने अब इस मुद्दे को लेकर अपनी आवाज बुलंद करते हुए कहा है कि वह जनहित के इस मुद्दे को शासन में लेकर जायेंगे और यह भी साफ कहा है कि स्वास्थ्य मंत्री इस मामले में संज्ञान लें जिससे कि मरीजों के सामने इलाज के दौरान कोई संकट न खडा हो सके।
जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि प्रदेश के कई बड़े नामी-गिरामी सूचीबद्ध प्राइवेट हॉस्पिटल बाह्य रोगियों को आपात स्थिति में दाखिले (एडमिशन) के समय बिना सिफारिश के आयुष्मान योजना के तहत अक्सर वेंटिलेटर/आईसीयू की सुविधा प्रदान नहीं करते यानी उपलब्ध नहीं है,का बहाना बनाकर टाल देते हैं, जबकि अस्पताल में यह सुविधा उस वक्त उपलब्ध रहती है। ऐसे समय में जब उस वक्त मरीज की जान पर बनी रहती है। इन कारणों के चलते सरकार की आयुष्मान योजना का लाभ मरीज को नहीं मिल पाता। कई मामलों में, जिन लोगों की एप्रोच होती है ,वो मरीज इस सुविधा का लाभ उठा लेते हैं, लेकिन सिफारिश विहीन अन्य मरीज अस्पतालों के चक्कर ही काटते रहते हैं। आलम यह है कि आयुष्मान के तहत इलाज करा रहे मरीजों को ये अस्पताल हेय दृष्टि से देखते हैं। कई मामलों में देखा गया है की अस्पताल प्रबंधन प्राइवेट स्वास्थ्य बीमा कार्ड धारकों/गोल्डन कार्ड/नगद वालों पर विशेष ध्यान देते हैं, जिसमें उनकी अच्छी कमाई होती है। कई बार तो ये अस्पताल जब तक स्वास्थ्य बीमा कार्ड/गोल्डन कार्ड की राशि समाप्त नहीं हो जाती तब तक मरीज को नहीं छोड़ते, चाहे वह चार दिन पहले ही मर चुका हो। सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। विभागीय मंत्री इस मामले में संज्ञान लेकर मरीजों को राहत प्रदान कर सकते हैं।