प्रमुख संवाददाता
देहरादून। इतिहास रचना कोई सरल कार्य नहीं है। ऐसा करने के लिए विवेकशील और दृढ़ निश्चय होना अवश्यक है और जो व्यक्ति ऐसा करता है वह स्वत: ही दिग्गज की श्रेणी में शामिल हो जाता है। ऐसा ही एक इतिहास उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी रच दिया है। अपने अल्पकाल के शासन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऐसे-ऐस कमाल के कार्य किए हैं, जिनके विषय में शायद ही उत्तरखण्ड के किसी पूर्व मुख्यमंत्री ने विचार भी किया हो। मौजूदा समय में जहां वे राज्य के राष्ट्रीय खेलों का सफल आयोजन कर रहे हैं वहीं उन्होंने यूसीसी जैसे संवेदनशील कानून को लागू करते हुए ‘सबका साथ, सबका विकास और सभी समानÓ संदेश भी दे दिया है। भाजपा शासित राज्यों में से कुछ राज्य ऐसे भी हैं, जिनके मुखियाओं की लोकप्रियता पिछले कुछ समय में तेजी के साथ बढ़ी है। इन मुखियाओं में अधिकतर ऐसे हैं, जिनकों अपने राज्यों में शासन करने का भले ही लंबा चौड़ा अनुभव न हो लेकिन अपने अल्प समय के कार्यकाल में जो प्रसिद्धी हासिल की है, उसका मुरीद आज कल भारत हर कोई हो रहा। देश के प्रख्यात न्यूज चौनल में चल रही चर्चा के बीच एक पत्रकार ने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का उदाहरण देते हुए कहा कि भाजपा शासित इस राज्य के मुखिया का अपनी जनता से सदैव ही सीधा संवाद रहता है। उन्होंने यहां तक भी इशारा किया कि जनता से सीधे संवाद की परंपरा को उत्तराखण्ड के बाद भाजपा और एनडीए शासित राज्यों ने भी अपनाया है। इस चर्चा से यह बात सामने आई कि उत्तराखण्ड को पुष्कर के रूप में एक कमाल के मुखिया मिले हैं और जो अपने दूरदर्शिता को दिखाते हुए ऐसे फैसले लेने से भी नहीं चूकते जिनके परिणाम शुरूआत में भले ही नजर न आते हो लेकिन भविष्य में वह जरूर सार्थकता के साथ नजर आएंगे।
भाजपा नेतृत्व की सबसे खास बात यह है कि वह अपने एजेंडे को कभी नहीं भूलती। फिर चाहे उसे अपने एजेंडे को अमलीजामा पहनाने में कितना भी समय क्यों न लग जाए। उदाहरण के तौर पर जम्मू-कश्मीर से धारा 37० हटाना, अयोध्या में राम मंदिर बनाना, देश में सीएए लागू करवाना, इत्यादि, इन फैसले को मूल रूप देने में भले ही समय लगा हो लेकिन यह भाजपा की हमेशा से प्राथमिकता रही हैं। ऐसा ही एक कानून है यूसीसी यानि कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता), जिसको लागू कराने की दिशा में भाजपा ने अब जाकर कदम उठाया है और इसके ध्वज वाहक बने हैं उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी। अपने राज्य में यूसीसी लागू करके उन्होंने पूरे देश को एक बड़ा संदेश दिया है। ढाई दशक पुराने राज्य उत्तराखण्ड ने भले ही अपने शुरूआत के दो दशकों में काफी उतार चढ़ाव देखें हों लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि जब से राज्य की कमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हाथों में आई है, तब से उत्तराखण्ड के स्वरूप में अप्रत्याशित बदलाव देखे को मिला है और जोकि प्रदेश और प्रदेशवासियों के लिए काफी साकारात्मक है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य में अनेकों ऐसी योजनाएं और परियोजनाएं शुरू हुई हैं, जो विकास के पथ पर मील का पत्थर साबित हो रही है। उत्तराखण्ड की जनता से सीएम पुष्कर का जुड़ाव किसी से छिपा नहीं है। अपने प्रदेश की जनता से मिलने के लिए उन्हें किसी लाव लश्कर की जरूरत नहीं पड़ती अपितु वह तो कभी मॉर्निंग वॉक करते-करते किसी दुकान पर आवाम से चाय पर चर्चा करते हुए मिल जाते है या फिर किसी भी समारोह में एक आम जनमानस की तरह लोगों से रूबरू होते हुए वहीं नन्हें मुन्नें बच्चों के साथ अठखेलियों करते हुए भी दिखाई दे ही जाते हैं। प्रदेश के अंदर राजनीति, विकास और जनकल्याण के मध्य जिस प्रकार से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक व्यवस्थित समन्वयय स्थापित किया है, उसी का परिणाम है कि आज उत्तराखण्ड पूरे में अपनी एक अलग पहचान बनाता हुआ नजर आ रहा है। सत्ता की बागडोर थामे भले ही ज्यादा समय न बीता हो लेकिन अपने शासन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऐसे-ऐसे कमाल के कार्य किए हैं, जिनके विषय में शायद ही उत्तरखण्ड के किसी पूर्व मुख्यमंत्री ने विचार भी किया हो। मौजूदा समय में जहां वे राज्य के राष्ट्रीय खेलों का सफल आयोजन कर रहे हैं वहीं उन्होंने यूसीसी जैसे संवेदनशील कानून को लागू करते हुए ‘सबका साथ, सबका विकास और सभी समानÓ संदेश भी दे दिया है। यह पुष्कर सिंह धामी का ही कमाल है कि उन्होंने धमाल मचाते हुए उत्तराखण्ड में यूसीसी लागू कर पूरे देश को एक साकारात्मक संदेश दिया है?