अवैध खनन का शोर कब होगा बंद?

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देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड का जन्म होने के बाद से ही राज्य में भाजपा व कांग्रेस की सरकारों के कार्यकाल में अवैध खनन का काला कारोबार हमेशा सिर उठाता रहा है और हमेशा यह बहस चलती रही है कि आखिरकार वो कौन अदृश्य पॉवरफुल लोग हैं जो खनन माफियाओं को अपना खुला साथ देते आ रहे हैं जिससे कि अवैध खनन का काला कारोबार कभी भी बंद होने का नाम ही नहीं ले रहा है। उत्तराखण्ड के कुछ जिलों में हो रहे अवैध खनन को लेकर हमेशा विपक्ष सरकार को अवैध खनन के मुद्दे पर घेरता आ रहा है और अब जिस तरह से जनसंघर्ष मोर्चा ने अवैध खनन को लेकर सरकार और सिस्टम पर प्रहार किया है वह काफी हैरान करने वाला है। अब राज्य के अन्दर यह बहस शुरू हो गई है कि आखिरकार राजधानी के पछुवादून मे अवैध खनन की खन-खन कब बंद होगी?
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड को बने चौबीस साल हो गये और इन चौबीस सालों में खनन माफियाओं का सिंडिकेट इतना पॉवरफुल दिखता रहा कि उन पर सरकारें नकेल लगाने में हमेशा धडाम होती रही हैं और यह सवाल पनप रहा है कि आखिरकार सरकार की नदियों का सीना चीरकर जिस तरह से खनन माफिया आये दिन सरकार को लाखों रूपये का चूना लगाकर अपनी दबंगता दिखा रहे हैं उन पर नकेल लगाने में सरकार और सिस्टम क्यों फेल होता जा रहा है? अवैध खनन को रोकने के लिए दावे तो हमेशा होते रहे लेकिन धरातल पर अवैध खनन पर नकेल लगाने मे सिस्टम के कुछ अफसर क्यों फेल साबित हो रहे हैं यह उनकी मंशा पर भी सवालिया निशान लगा रहा है? बहस चल रही है कि आखिर सरकार खनन माफियाओं की नाक पर नकेल डालने का साहस दिखाते हुये खनन प्वाइंटो पर पीएससी तैनात कर दे तो एक भी खनन माफिया नदी में एंट्री नहीं कर पायेगा। उत्तराखण्ड के अन्दर सरकार के राजस्व को तार-तार करने वाले खनन माफियाओं पर कब सख्ती के साथ प्रहार होगा और अवैध खनन की खन-खन खामोश होगी यह अब देखने वाली बात होगी?

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