कांग्रेस पर अपने ही लगा रहे दाग

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देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड में निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है। राज्य में सभी राजनीतिक दल निकाय चुनाव को लेकर जोश से लबरेज नजर आ रहे हैं। किस प्रत्याशी को किस सीट से उतारना है इसको लेकर भी राजनीतिक पार्टियों में बड़ा मंथन चला। एक लंबे अंतराल के बाद चुनावी प्रत्याशियों की पिक्चर अब धीरे-धीरे साफ हो चली है। ऐसा नजर आ रहा है कि अब तक सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। उत्तराखण्ड के इतिहास में हमेशा यही देखने को मिला है कि चुनाव कोई सा भी हो, टक्कर सिर्फ दो राजनीतिक दलों के बीच ही देखी जाती है, कांग्रेस-भाजपा। आगामी निकाय चुनाव में भी इन्हीं दो दलों में सही मायनों में टकराव देखने को मिलने वाला है। दोनों ही दलों ने अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। हैरान करने वाली बात यह देखने को मिल रही है कि कांग्रेस ने जो अपने प्रत्याशियों की सूची जारी की है उसको लेकर अब एक बड़ा विवाद शुरू हो गया है। आरोप लगाया जा रहा है कि कांग्रेस के कई प्रत्याशी ऐसे है, जिन्हें मात्र प्रभाव के चलते टिकट दिया गया है। आरोप तो यहां तक लगाए जा रहे हैं पार्टी में टिकट को लेकर खरीद-फरोख्त एक बड़ा खेल खेला गया है और इन आरोपों से सोशल मीडिया गूंजायमान हो रखा है? सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कुछ वीडियो कई हद तक इन आरोपों की पुष्टि भी करते हुए नजर तो आ ही रहे हैं, वहीं सोशल मीडिया पर कांग्र्रेस के ही एक वरिष्ठ पदाधिकारीं का ब्यान भी वायरल हो रहा, जिसमें वह यह कहते हुए नजर आ रहे है कि आज की कांग्रेस में टिकट सिर्फ माफियाओं को ही प्राप्त होता है न कि धरातल पर पार्टी के लिए काम करने वालों को। निकाय चुनाव से पूर्व जिस तरह से कांग्रेस के कुछ नेताओं पर खरीद-फरोख्त के दाग लग रहे हैं तथा सोशल मीडिया पर कांग्रेस में चल रहे भ्रष्टाचार को लेकर लोग मुखर हो रहे है, वह इसी सवाल को जन्म दे रहा है कि क्या वास्तव में यही है कांग्रेस की सच्चाई?
मौसम सर्द हो चला है। उत्तर भारत में सर्दी का अनुभव पिछले कुछ वर्षों से ज्यादा अधिक देखने को मिल रहा है। शीत ऋतु का एहसास उत्तराखण्ड राज्य में भी होने लगा है लेकिन यहां उसकी अनुभूति उतनी नहीं हो रही है, जितनी की होनी चाहिए क्योंकि यहां चुनावी गर्मी की ब्यार चल रही है। मालूम हो कि बड़ी जद्दोजहद के बाद उत्तराखण्ड राज्य में अंतत: निकाय चुनाव होने जा रहे हैं। अकसर देखने में आया है कि चुनावों से पूर्व पार्टियां बदलने का खेल खूब चलता है और अनुशासनहीनता के नाम पर निष्कासन की प्रक्रिया भी खूब जोर पकड़ती है। ऐसा ही कुछ इस चुनाव में भी देखने को मिला। हालांकि ऐसे मामलों में संभवत: इस बार कांग्रेस बाजी मारती हुई दिखाई दे रही है। पता चला है कि कांग्रेस में टिकट वितरण प्रणाली से नाराज होकर पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने अपने ही दिग्गजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। कार्यकर्ताओं ने टिकट वितरण में कथित रूप से खरीद-फरोख्त का आरोप लगाते हुए पार्टी के दिग्गज नेताओं को कटघरे में खड़ा किया था। इन आरोपों ने महानगर कांग्रेस में एक भूचाल ला दिया था। इन आरोपों से निपटने के लिए पार्टी ने ठोस कदम उठाते हुए देहरादून महानगर कांग्रेस कमेटी ने कुछ लोगों को यह कहकर निष्कासित कर दिया था कि यह लोगा पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त थे।
बड़ी ही मशहूर कहावत है, ”बिना आग के धुंआ नहीं उठताÓÓ। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस से निष्कासित लोगों ने जो आरोप लगाए हैं, क्या वह वाकई में झूठ है? क्या वास्तव में कांग्रेस की टिकट वितरण प्रणाली में ऐसा कुछ अनुचित कार्य नहीं हुआ है, जिसका कि निष्कासित सदस्य उल्लेख कर रहे हैं? सोशल मीडिया के इस जमाने में किसी से कुछ छिप जाए, ऐसा होना लगभग असंभव है। ऐसे में जो आरोप कांग्रेस के नेताओं पर लगाए जा रहे हैं और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, उनकों एक सिरे से नकारा नहीं जा सकता? वहीं सोशल मीडिया पर ही कांग्रेस के एक बड़े पदाधिकारी एक बयान खूब वायरल हो रहा है जिसमें वह यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि आज की कांग्रेस में निष्ठावान और ईमानदार लोगों की कद्र नहीं हैं, यहां केवल जो तस्कर होगा, खनन मफिया होगा, शराब माफिया होगा शायद इनके टिकट भी उनके लिए हैं और पद प्रतिष्ठा भी उनके लिए ही हैं। निकाय चुनाव से पूर्व जो यह आरोप कांग्रेस पर लगाए जा रहे हैं, उन से यहीं सवाल बार बार उठ रहा है कि क्या यहीं है कांग्रेस की सच्चाई?

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