धामी के सरकारी अस्पतालों को नई पहचान दिलाते राजेश

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बाईस सालों बाद उत्तराखण्ड को मिला विजन वाला स्वास्थ्य सचिव
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड बनने के बाद से ही राज्य के अन्दर स्वास्थ्य सेवायें हमेशा टॉय-टॉय फिस्स रहती थी और राज्यवासियों के मन में हमेशा यह नाराजगी रहती थी कि सरकार के पास सैकडों करोड का बजट आने के बावजूद भी सरकारी अस्पताल क्यों कौमा में हमेशा दिखाई देते हैं? उत्तराखण्ड के अन्दर स्वास्थ्य महकमें के गिरते स्तर पर हमेशा उंगलियां उठती रही और पूर्व सरकारों के स्वास्थ्य मंत्री सिर्फ सरकारी अस्पतालों में फोटोशूट कराने के लिए वहां मरीजों के पास पहुंचकर अपने आपको सख्त शासक दिखाने का परपंच रचते थे और बाहर से दवाईयां मंगाने वाले डाक्टरों के खिलाफ वह कभी भी कार्यवाही करने के लिए आगे नहीं बढते थे जिसके चलते सरकारी अस्पतालों में गरीब इंसान भी इलाज कराने के लिए वहां दस्तक नहीं देता था? वहीं उत्तराखण्ड की कमान संभालने वाले मुख्यमंत्री ने राज्य के पहाड और मैदान में स्वास्थ्य सेवाओं को अव्वल दर्जे का बनाने के लिए खुला ऐलान किया था और उन्होंने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में एक नई अलख जगाने के लिए आईएएस राजेश कुमार को अपना स्वास्थ्य सचिव बनाकर उन्हें राज्य के सरकारी अस्पतालों की दिशा और दशा बदलने का विजन सौंपा था जिसके बाद से ही स्वास्थ्य सचिव मुख्यमंत्री के विजन को धरातल पर उतारने के लिए राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में आम इंसान को बेहतर इलाज देने की जो अलख जगाते हुए उसमें चार चंाद लगा रहे हैं उससे उत्तराखण्डवासियों के मन में मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य एजेंडे को लेकर एक नई उम्मीद जाग चुकी है।
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जब सत्ता संभाली थी तो उन्हें यह दिखाई दे गया था कि राज्य के अन्दर स्वास्थ्य सेवायें किस तरह से धडाम हो रखी हैं। मुख्यमंत्री इस बात को लेकर भी काफी चिंतित थे कि पहाडों में गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए जिस कठिन दौर से गुजरना पड रहा है वह उनके जीवन मरण का सवाल बनता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड की तार-तार हो चुकी स्वास्थ्य सेवाओं को एक नई पहचान दिलाने के लिए बडा मंथन और चिंतन किया और उसके चलते उन्होंने राज्य के आईएएस अफसर डा0 आर राजेश कुमार को अपना स्वास्थ्य सचिव नियुक्त किया। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य सचिव को साफ संदेश दिया था कि वह उत्तराखण्ड की धडाम हो चुकी स्वास्थ्य सवोओं को पटरी पर लाने के लिए एक बडे विजन के साथ काम करें जिससे कि राज्यवासियों को यह उम्मीद बंध जाये कि सरकार हर इसंान के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर है। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य सचिव को जो एजेंडा स्वास्थ्य महकमे को एक नई पहचान दिलाने के लिए सौंपा था उस पर उन्होंने जिस विजन के साथ काम करना शुरू किया उससे उत्तराखण्ड के अन्दर सरकारी अस्पतालों को एक नई पहचान मिलनी शुरू हो गई। मुख्यमंत्री ने जिस विजन से स्वास्थ्य सचिव को राज्य के सभी सरकारों के अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए बेहतर से बेहतर सुविधायें दिलाने का जो सपना देखा था उस सपनेे को पूरा करने की दिशा में स्वास्थ्य सचिव ने उत्तराखण्ड के हर जिले में एक नई उडान भरने का जो जज्बा दिखाया उस जज्बे से यह साफ हो गया कि मुख्यमंत्री एक बडे विजन वाले राजनेता है और वह जो सोचते हैं उसे वह धरातल पर उतारने तक शांत नहीं बैठते।
आज उत्तराखण्ड के मैदान से लेकर पहाडी जिलों में सरकारी अस्पतालों की दशा और वहां डाक्टरों की तैनाती यह बता रही है कि राज्य के सरकारी अस्पताल आज प्राईवेट अस्पतालों को एक बडी चुनौती देने के लिए आगे निकल रहे हैं। उत्तराखण्ड के जिन पहाडी जिलों में डाक्टरों की कमी का हमेशा रोना रोया जाता था आज वहां काबिल डाक्टरों की टीमें तैनात होना स्वास्थ्य सचिव का कुशल नेतृत्व माना जा रहा है। मुख्यमंत्री की टीम में शामिल स्वास्थ्य सचिव ने हमेशा सरकारी अस्पतालों में दिखाई देने वाली हर कमी को पूरा करने के लिए रात-दिन एक कर दिया और कुछ पहाडी जनपदों में वह सरकारी अस्पतालों में पहुचने के लिए जिस तरह से बीस पच्चीस किलोमीटर पथरीले रास्तों पर होकर वहां पहुंचे हैं उससे साफ नजर आ रहा है कि वह एक बेहतर सोच के अफसर हैं जो राज्यवासियों की सेवा के लिए उनके साथ हमेशा खडे हुये हैं और उनके कार्यकाल में सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजंों को बाहर से दवाईयां लाने की भी टेंशन खत्म हो चुकी है और यही कारण है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य के स्वास्थ्य महकमें में लगे चार चांद को देखते हुए अपने स्वास्थ्य सचिव की खूब पीठ थपथपा रहे हैं।

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