स्मार्ट सिटी एक बड़ा घोटाला, हो सीबीआई जांच

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देहरादून(नगर संवाददाता)। हजारों करोड़ रुपए लगा कर बहुप्रचारित देहरादून स्मार्ट सिटी की सारी स्मार्टनेस बरसात की शुरुआत में ही झड़ गई और स्मार्ट सिटी एक बड़ा घोटाला है जिसकी सीबीआई से जांच होनी चाहिए। यहां आज यह बात उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने अपने ईसी रोड स्थित कैंप कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों से राजधानी देहरादून को स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर पूरे शहर को खोद डाला गया, कहीं सड़कें खुदीं तो कहीं सीवर लाइन तो कहीं पानी की लाइन और जगह जगह सड़कों के चौड़ीकरण के नाम पर पेड़ों को काटा गया और खूब ढिंढोरा पीटा गया कि देहरादून को स्मार्ट बनाया जा रहा है किंतु आज पांच वर्ष बाद जब स्मार्ट सिटी को बरसात शुरू होते ही देखा तो पाया कि सरकार , जिला प्रशासन जिसके जिलाधिकारी सीईओ स्मार्ट सिटी हैं।
उन्होंने कहा कि नगर निगम जिसके मेयर अध्यक्ष हैं और इन सबके दांवे धरे के धरे रह गए जब कुछ घंटों की बारिश में सारा शहर जल मग्न हो गया और ऊपरी राजपुर से लेकर आईएसबीटी , सहारनपुर रोड, प्रिंस चौक, आर्यनगर, डी एल रोड, डालनवाला, हरिद्वार बाई पास रोड, शिमला रोड और शहर का कोई इलाका नहीं बचा जहां जल भराव नहीं हुआ हो। धस्माना ने कहा कि अनेक इलाकों में पानी लोगों के घरों व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में घुस गया और अब सरकार शासन प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं है। उन्होंने कहा कि असल बात यह है कि स्मार्ट सिटी के नाप पर केवल लिपा पोती की गई और जो असली काम था शहर में ड्रेनेज प्लान को क्रियान्वयन करने का उसे नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि शहर में बहने वाली दो प्रमुख नहीं ईस्ट कैनाल व वेस्ट कैनाल भूमिगत कर दी गईं लेकिन जो बरसाती पानी का भार वो वहन करती थीं उसका कोई विकल्प नहीं बनाया गया जिसके कारण अब बरसाती पानी सड़कों में भर जाता है और शहर के अधिकांश इलाकों में जल भराव का संकट पैदा हो गया । धस्माना ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में प्रचारित स्मार्ट सिटी के नाम पर कई सौ करोड़ रुपए शहर की पुताई व दुकानों पर घटिया बोर्ड लगाने के नाम पर खपा दिए गए लेकिन शहर में जल निकासी का कोई इंतजाम नहीं किया गया जिसका नतीजा अभी सामने आने लगा है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी के नाम पर बड़ा घोटाला किया गया है जिसका पर्दाफाश तभी हो सकता है जब इसकी सीबीआई जांच करवाई जाए।

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