अभी जेल में गुप्ता बंधुओं की बितेंगी रातें

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड की कमान संभाल रहे धाकड़ धामी ने साहनी परिवार को न्याय दिलाने के लिए डीजीपी को साफ संदेश दिया हुआ है कि गुनाहगार गुप्ता बंधुओं ने जो पाप किया है उसकी सजा उन्हें मिलनी चाहिए क्योंकि राज्य मे कोई भी दौलतमंद अपनी दौलत के घमंड मे किसी के साथ अपराध करने का दुसाहस करेगा तो उसे किसी भी कीमत पर बक्शा नहीं जायेगा। डीजीपी साहनी प्रकरण की जांच पर खुद पैनी नजर बनाये हुये हैं। गुप्ता बंधुओं ने जिस तरह से डीजीपी की पुलिस को कटघरे मे खडा करते हुए उसे अपने निशाने पर लेने का जो कुचक्र रचा था उस कुचक्र मे वह खुद ही फंसते जा रहे हैं और उसी के चलते अब गुप्ता बंधुओं पर शिकंजा कसता हुआ नजर आ रहा है। उच्च न्यायालय मे दो दिन तक गुप्ता बंधुओं की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई और अब इस मामले की सुनवाई ग्यारह जुलाई को निहित की गई है जिससे साफ हो गया है कि अभी गुप्ता बंधुओं को जेल मे ही रातें बितानी होंगी। न्यायालय ने इस मामले मे अपनी जो सख्त टिप्पणी की है उससे गुप्ता बंधुओं की राह अभी मुश्किलों भरी नजर आ रही है।
सतेंद्र साहनी प्रकरण मे जेल की सलाखों के पीछे कैद अजय गुप्ता और अनिल गुप्ता की निचली अदालतों से जमानत याचिका खारिज हुई तो उसके बाद उच्च न्यायालय नैनीताल मे उनकी जमानत की अर्जी लगाई गई। बीते रोज उच्च न्यायालय मे गुप्ता बंधुओं की जमानत याचिका पर जबरदस्त बहस हुई और आज सुबह फिर उनकी जमानत पर काफी बहस चली तथा न्यायालय ने इस मामले मे कुछ सख्त टिप्पणी भी की और जमानत याचिका पर ग्यारह जुलाई की तिथि निहित कर दी। पुलिस व सरकारी अधिवक्ताओं ने न्यायालय मे जबरदस्त तरीके से अपना पक्ष रखा जिसके चलते गुप्ता बंधुओं पर शिकंजा सकता हुआ नजर आ रहा है। अब सबकी नजरें उच्च न्यायालय मे ग्यारह जुलाई को होने वाली सुनवाई पर टिक गई हैं।
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड की राजधानी मे प्रसिद्ध बिल्डर सतेन्द्र साहनी ने एक इमारत से कूदकर आत्महत्या कर ली थी और उसके पास मिले सुसाइड नोट मे अजय गुप्ता और अनिल गुप्ता द्वारा उसे आतंकित किये जाने की बातें लिखी हुई थी। सुसाइड नोट मे सतेन्द्र साहनी ने यहां तक डर दिखाया था कि उसे गुप्ता बंधु जान से मारने का भय दिखाकर उससे एक ऊंची रकम की मांग कर रहे हैं और उसके प्रोजेक्ट को वह कब्जाने का प्रयास कर रहे हैं। राजधानी के प्रसिद्ध बिल्डर के सुसाइड नोट से पुलिस महकमे मे भी हडकम्प मच गया था लेकिन जैसे ही यह मामला मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और डीजीपी अभिनव कुमार के कानो मे पडा तो उन्होंने पुलिस कप्तान अजय सिंह को मामले की निष्पक्ष जांच कर कार्यवाही करने का आदेश दिया था जिससे कि पुलिस की कार्यप्रणाली पर कोई उंगली न उठा सके। पुलिस कप्तान ने जांच की मॉनिटिरिंग खुद की और उसके दो घंटे के भीतर ही गुप्ता बंधुओं को राजपुर थाने की हवालात मे बंद कर दिया गया था। डीजीपी अभिनव कुमार ने पुलिस कप्तान को साफ संदेश दिया था कि इस मामले मे पारदर्शिता के साथ जांच होनी चाहिए। डीजीपी के आदेश के बाद पुलिस ने अपनी जांच को एक बडी एजेंसी की तरह शुरू किया और उसके बाद उन्होंने जो साक्ष्य जुटाने शुरू किये उससे गुप्ता बंधुओं के सामने जेल से बाहर आने का एक बडा संकट गहराता चला गया।
उत्तराखण्ड मे पुलिस की कमान ईमानदार डीजीपी अभिनव कुमार के हाथों मे है और राज्य की जनता जानती है कि न तो डीजीपी को कोई दौलत की धौंस दिखा सकता है और न ही कोई उन्हें अपनी पॉवर का इकबाल दिखाने की कोशिश कर पायेगा। हर तरफ एक ही चर्चा आज भी बनी है कि अगर यह प्रकरण उत्तराखण्ड के दो पूर्व डीजीपी के कार्यकाल मे हुआ होता तो यह मामला शुरूआती दौर मे ही ऐसा रूप ले लेता कि गुप्ता बंधुओं को क्लीन चिट मिल जाती? हालांकि हमेशा पुलिस की आन-बान-शान बरकरार रखने के लिए अभिनव कुमार का कार्यकाल एएसपी से लेकर डीजीपी के कार्यकाल तक आवाम के सामने बेदाग ही रहा है और यही कारण है कि गुप्ता बंधुओं को पुलिस की निष्पक्ष जांच से आमना-सामना हो रहा है जिसके चलते वह लम्बे समय से जेल की सलाखों के पीछे हैं। डीजीपी साहनी परिवार को न्याय दिलाने के लिए अगली पक्ति मे खडे हुये नजर आ रहे हैं और उनका साफ कहना है कि सतेंद्र साहनी के मन मे डर पैदा कर उसे मौत के आगोश मे सुलाने वाले गुप्ता बंधुओं को इसका खामियाजा भुगतना पडेगा। दो दिन से उच्च न्यायालय मे गुप्ता बंधुओं की जमानत याचिका पर सुनवाई चल रही थी और अब इस मामले की सुनवाई ग्यारह जुलाई निहित की गई है जिससे साफ है कि अभी गुप्ता बंधुओं की रातें जेल मे ही कटेंगी।

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