भूमाफियागिरी का अंत कब करोगे ‘सरकारÓ

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड मे भूमाफियाओं के खिलाफ बडा ऑपरेशन चलाने का खाका सरकार ने बनाया और उस पर काम भी हुआ लेकिन उसके बावजूद भी कुछ भूमाफिया इतने पॉवरफुल नजर आ रहे है कि वह अपनी पहुंच के चलते सरकारी जमीनों पर भी कब्जा करने से पीछे नहीं हट रहे हैं जिसको लेकर सवालों का दौर चल रहा है और यह बात उठ रही है कि सरकारी जमीनों पर कब्जा करने वालों को चिन्हित कर उन पर बडी कार्यवाही करने का ऑपरेशन चलेगा? सवाल यह भी तैर रहे हैं कि भूमाफियाओं का अंत करने के लिए सरकार को आगे आना चाहिए जिससे कि उत्तराखण्ड को भूमाफियाओं से आजादी दिलाई जा सके। राजधानी के डीएम का भी मानना है कि जब भी उनके पास सरकारी जमीन पर हुये कब्जे की शिकायत आती है तो उसके बाद वह सरकारी जमीन पर हुये कब्जे को मुक्त कराने के लिए आगे आती हैं।
उत्तराखण्ड का इतिहास गवाह है कि राज्य के कई जिलों मे सरकारी जमीनों पर कब्जा करने की जिस तरह से एक दशक से बंदरबांट चलती आई है वह किसी से छिपा नहीं है और राज्य सरकार की सम्पत्तियों पर कब्जा करने वालों को सिस्टम ने चिन्हित करने का भी ऑपरेशन किया और काफी संख्या मे सरकारी जमीनों को मुक्त कराने का ऑपरेशन भी चलाया था? उत्तराखण्ड के अन्दर माफियाओं का अंत करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संकल्प ले रखा है और उन्होंने राज्य की मुख्य सचिव और डीजीपी को भी आदेशित किया हुआ है कि सरकारी जमीनों पर कब्जे करने वाले भूमाफियाओं के खिलाफ कडी कार्यवाही करें। राजधानी मे भूमाफियाओं के हौसले बुलंदियों पर हैं और कुछ अर्से पूर्व उत्तराखण्ड के एक अपर पुलिस अधीक्षक की बहन की खाली पडी जमीन पर कब्जा करने का राजधानी के अन्दर खेल हुआ था और उसके चलते यह मामला थाने मे भी पहुंचा था जिससे सवाल खडे हुये थे कि आखिरकार सरकारी या किसी आम आदमी की खाली पडी जमीन पर कैसे भूमाफिया अपनी नजर उस पर लगाकर उस पर किसी न किसी रूप मे कब्जा करने का खेल कर रहे हैं? सवाल उठता है कि आखिरकार ऐसे भूमाफियाओं को कौन सरक्षण दे रहा है जिसके चलते वह सरकारी व आम आदमी की खाली पडी जमीन पर भी कब्जा करने से बाज नहीं आ रहे हैं?

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