सीएम की दौड़ धूप का उत्तराखण्ड मे दिखेगा ‘रंगÓ

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सीएम की दौड़ धूप का उत्तराखण्ड मे दिखेगा ‘रंग’
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। लोकसभा चुनाव के पहले चरण मे उत्तराखण्ड की पांच सीटों पर हुये चुनाव मे कुछ दिग्गज राजनेताओं का राजनीतिक भविष्य दाव पर लगा हुआ है और चार जून को इन दिग्गजों के राजनीतिक कद का आईना देशभर के लोग भी देखेंगे। पौडी, टिहरी, हरिद्वार, नैनीताल सीटों पर हुये चुनाव मे किस दल का राजनेता आवाम की पहली पसंद बना इसका भी चार जून को हिसाब हो जायेगा। वहीं मुख्यमंत्री ने पार्टी प्रत्याशियों के लिए तेरह जनपदों मे रात-दिन दौड धूप कर उनके लिए चप्पे-चप्पे पर प्रचार प्रसार किया उसका रंग भी खूब दिखाई देगा क्योंकि मुख्यमंत्री को पूरा भरोसा है कि उत्तराखण्ड की जनता राज्य की पांचो लोकसभा सीटों पर चुनाव लडने वाले भाजपा प्रत्याशियों को बडी जीत का तोहफा जरूर देंगे। हालांकि चंद सीटों पर अगर भाजपा के अपनों ने भीतरघात किया होगा तो यह चंद पार्टी प्रत्याशियों के राजनीतिक भविष्य पर एक बडा ग्रहण भी लगा सकता है? उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद खण्डूरी व मौजूदा मुख्यमंत्री के साथ भी पूर्व विधानसभा चुनाव मे भीतरघात का जो चक्रव्यूह रचा गया था वह भी किसी से छिपा नहीं था इसलिए चंद भाजपा प्रत्याशियों की धडकनें भी मौजूदा दौर मे जरूर तेजी के साथ धडक रही होंगी कि उनके अपनों ने उन्हें लोकसभा मे भेजने के लिए अपना आशीर्वाद दिया है या कुछ भाजपा नेताओं ने उनकी राजनीति पर ग्रहण लगाने के लिए उन्हें अपने से दूर करने का गोपनीय खेल, खेल दिया था?
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक उभरते हुए राजनेता के रूप मे जिस तरह से नजर आये हैं उसके चलते उत्तराखण्ड के चप्पे-चप्पे पर उनका राजनीतिक इकबाल काफी बुलंद हुआ है और उन्होंने अल्प कार्यकाल में यह साबित कर दिया है कि अगर स्वच्छता के साथ सरकार चलाने का जज्बा हो तो आवाम के दिलों मे कोई भी राजनेता राज कर सकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सबका साथ सबका विकास के विजन पर सरकार चलाने के लिए अपने कदम आगे बढाये और उत्तराखण्ड को वह आदर्श राज्य बनाने की दिशा मे इस तेजी के साथ आगे बढते चले गये कि आज वह उत्तराखण्ड के ही नहीं बल्कि देशभर मे अपनी राजनीति का लोहा मनवा चुके हैं। उत्तराखण्ड मे लोकसभा चुनाव के पहले चरण मे पांच सीटों पर चुनाव हुआ है और इस बार भाजपा हाईकमान ने पौडी से पूर्व राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी व उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव मैदान मे उतार कर एक नया प्रयोग किया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पार्टी के सभी प्रत्याशियों के लिए तेरह राज्यों के चप्पे-चप्पे मे चुनाव प्रचार किया और उनकी बडी जीत सुनिश्चित करने के लिए रात-दिन एक कर दिया था। उत्तराखण्ड की राजनीति भी देश की राजनीति के समान देखने को मिलती रही जहां देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तो जनता अटूट विश्वास करती है लेकिन दर्जनों बडे-बडे राजनेताओं को वह अपने निशाने पर यह कहकर भी लेती रही है कि उन्होंने उनके इलाके मे विकास का कोई काम नहीं किया।
उत्तराखण्ड मे भी यही बात उभर रही है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तो सबको साथ लेकर चलने मे विश्वास रखते हैं लेकिन लोकसभा चुनाव मे चंद प्रत्याशी ऐसे हैं जो आवाम की कसौटी पर कभी खरा नहीं उतर पाये और उसी के चलते ऐसे प्रत्याशी को वोट देने के लिए जनता ने अपना मन बनाया होगा इसमे भी काफी शंका नजर आती है? राजनीति मे अहंकार करने वाले राजनेताओं से पार्टी के कार्यकर्ता और आवाम भी उन्हें पसंद करने के लिए कभी आगे नहीं आते और यह चुनाव काफी दिलचस्प माना जा रहा है। हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तो पार्टी प्रत्याशियों को चुनाव मे जितवाने के लिए खूब दौड भाग की और उनके लिए तपती धूप मे रोड-शो और जनसभायें भी की लेकिन क्या आवाम उन प्रत्याशियों को जिताने के लिए आगे बढकर कमल का बटन दबाने के लिए मन बनाया होगा यह भी एक बडा सवाल राज्य के अन्दर खडा हो रखा है? मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड मे राजनीति की नई परिभाषा बनाई है लेकिन भाजपा के चंद राजनेताओं को आवाम ने अपना आशीर्वाद उन्हें जिताने के लिए दिया होगा इसका सच तो चार जून को सामने आ ही जायेगा लेकिन ऐसे राजनेताओं के दिलों की धडकने जरूर तेज हो रखी हांेगी जो आवाम से हमेशा दूरी बनाकर चलता रहा हो?

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