राजनेताओं की चुनाव मे होगी अग्निपरीक्षा?

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देहरादून(प्रमुख संवाददाता)। उत्तराखण्ड के अन्दर लोकसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस के बडे-बडे राजनेताओं ने कांग्रेस की सदस्यता से त्यागपत्र देते हुए भाजपा में अपनी आस्था दिखाते हुए वहां बडे-बडे राजनेताओं के सामने अपनी एंट्री कराकर अपनी खुशी का इजहार आवाम के सामने किया है उसको लेकर भाजपा के दिग्गज नेता भले ही दावा कर रहे हों कि इन नेताओं के आने से भाजपा का कुनबा बढ़ रहा है लेकिन ऐसे सभी राजनेताओं की चुनाव मे अग्निपरीक्षा होना तय है? कांग्रेस से भाजपा मे आकर यह नेता पार्टी प्रत्याशियों की जीत मे अपनी विधानसभाओं में वोट दिलाने का चमत्कार कर पायेंगे या नहीं यह चार जून को तय हो जायेगा और वहीं से उनके राजनीतिक भविष्य पर भी मोहर लगेगी कि पार्टी के अन्दर उनका भविष्य कौन से पायदान पर खडा होगा?
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड के इतिहास मे पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि किसी चुनाव से पहले किसी दल के नेता दूसरे दल मे एक के बाद एक अपनी एंट्री कराने के लिए आगे बढ़े हुये हैं। उत्तराखण्ड बनने के बाद कांग्रेस के कुछ बडे राजनेता जो अपनी सरकार मे मंत्री पद पर भी आसीन रहे और कांग्रेस के अन्दर उनका खूब इकबाल देखने को मिलता था आज के इस दौर मे उनका अचानक कांग्रेस से मोह भंग होकर भाजपा मे आना कई चर्चाओं को जन्म दे रहा है? कांग्रेस के जिन राजनेताओं ने भाजपा मे पार्टी के दिग्गज नेताओं के सामने अपनी एंट्री कराई है उनसे भाजपा प्रत्याशियों को एक बडी उम्मीद नजर आई है कि वह अपनी विधानसभाओं में उनके पक्ष मे बडा मतदान कराकर उनकी जीत को आसान करेंगे? कांग्रेस से भाजपा मे आये कुछ पूर्व विधायक है और कांग्रेस मे उनका अभी तक इकबाल देखने को मिलता था तो वही कांग्रेसी विधायक राजेन्द्र सिंह भण्डारी ने एक दिन कांग्रेसी प्रत्याशी गणेश गोदियाल के समर्थन मे जनसभा की और यहां तक मीडिया वालों को कोसा था कि वह अफवाह उडा रहे हैं कि वह भाजपा मे जा रहे हैं। चौबीस घंटे से पहले ही कांग्रेसी विधायक राजेंद्र सिंह भण्डारी का अपनी पार्टी से मोह भंग हो गया और जिस भाजपा प्रत्याशी को वह जनसभा मे निशाने पर ले रहे थे दिल्ली मे जाकर वह उनका हाथ थामकर भाजपा में अपनी आस्था दिखा गये थे? अब कांग्रेस के पूर्व मंत्री दिनेश अग्रवाल ने पार्टी की सदस्यता से त्यागपत्र देकर आज भाजपा मे अपनी एंट्री कराई है उससे कांग्रेस के बडे नेता तिनकाभर भी विचलित नजर नहीं आ रहे हैं?
कंाग्रेस से भाजपा मे आ रहे सभी राजनेताओं की लोकसभा चुनाव मे उनकी अग्निपरीक्षा होना तय है क्योंकि भाजपा प्रत्याशियों को इन नेताओं मे एक आशा की किरण नजर आई कि वह अपनी विधानसभाओं मे अपने वोटरो को उनके पक्ष मे मतदान जरूर करा देंगे? हालांकि यह तो अभी एक बडा सवाल है कि जिन कांग्रेसी नेताओं ने भाजपा का दामन थामा है वह उन्नीस अप्रैल को भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन मे अपनी विधानसभाओं में क्या करिश्मा दिखा पायेंगे? चार जून को जब प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा तो कांग्रेस व बीजेपी के राजनेता इस बात का जरूर आंकलन करेंगे कि जिन नेताओं ने पार्टी छोडकर भाजपा का दामन थामा वह पार्टी प्रत्याशियों के लिए वोटरो को अपने पक्ष मे कर पाये या उनकी अदालत मे वह फेल हो गये?

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