उत्तराखण्ड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नायक फिल्म के हीरो अनिल कपूर की तर्ज पर राज्य के अन्दर सत्ता चलाते हुए दिखाई दे रहे हैं उनके सत्ता चलाने के अंदाज ने भाजपा के बडे-बडे दिग्गजों की नींद उडाकर रख दी है। पुष्कर की सत्ता चलाने का तरीका विपक्ष को चारो खाने चित करता हुआ दिखाई दे रहा है। आम आदमी के दिल में बसने के लिए पुष्कर ंिसह धामी ने अपने आपको राज्य का जन सेवक बनाने का जो संकल्प लिया है वह विपक्षी दलों की नींद उडाता हुआ दिखाई दे रहा है। अचानक आज मुख्यमंत्री का काफिला आईएसबीटी के अन्दर प्रवेश कर गया और अपने अंदाज में सत्ता चलाने वाले पुष्कर आईएसबीटी के अन्दर का नजारा देखने के लिए आगे बढे और उन्होंने वहां मौजूद लोगों से जब बातचीत का सिलसिला शुरू करते हुए उनसे मंथन व चिंतन किया तो इसी बीच मुख्यमंत्री की निगाह एक ऐसी वृद्ध महिला पर जा टिकी जो टकटकी लगाये युवा मुख्यमंत्री की ओर निहार रही थी कि काश वह मुख्यमंत्री को अपने मन की पीडा सुना सके। शायद दूर खडे मुख्यमंत्री ने वृद्ध महिला के मन को पढ़ लिया और वह सबके बीच में से उस वृद्ध महिला के पास जा पहुंचे जो उन्हें आस भरी आंखों से निहार रही थी। उदारवादी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बडा दिल करते हुए महिला के सिर पर अपना हाथ रखा तो महिला की आंखों में आंसूओं का जो अम्बार फूटा उसे देखकर मुख्यमंत्री का भी दिल पसीज गया और उन्होंने उस बूढी मां को अपनी मां मानकर गमहीन होते हुए कहा कि तू रो मत मां तुझे क्या दिक्कत है, तुझे क्या चाहिए क्या तू इस जीवन में अकेली है या तेरा परिवार है। मुख्यमंत्री के यह बोल उस वृद्ध मां के सीने में ऐसे जा लगे कि वह मुख्यमंत्री को अपना पुत्र मानकर उसे अपना दर्द सुनाने लगी और मुख्यमंत्री व वृद्ध महिला के बीच एक गमहीन संवाद होता देख वहां खडे दर्जनों लोग हैरान रह गये कि क्या ऐसा भी मुख्यमंत्री होता है जो एक गरीब असहाय बूढी औरत को अपनी मां समझकर उसका दर्द सरेआम सुनकर उसे वचन देता है कि वह उसके साथ है न। इस दृश्य को देखकर हर कोई युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कायल हो गया और अगर मुख्यमंत्री इसी अंदाज में अगर सत्ता चलाते रहे तो राज्य के अन्दर भाजपा को चुनावी रणभूूमि में जो जीत का तोहफा मिलेगा उसकी कल्पना शायद अभी भाजपा का कोई भी बडा नेता नहीं कर पा रहा होगा। आवाम से लेकर मीडिया का दर्द समझना पुष्कर सिंह धामी को राज्य के अन्दर एक नायक के रूप में देखने लगा है।
उत्तराखण्ड के नायक बनते पुष्कर
देहरादून। उत्तराखण्ड के भाग्य में अब एक नया अध्याय लिखता हुआ दिखाई देने लगा है जहां का मुख्यमंत्री अपने आपको राज्य का भाग्य विधाता न समझकर एक आम नागरिक की तरह अपने आपको जन सेवक समझकर आवाम के बीच उसका दर्द सुनने के लिए जा रहा है।
यह नायक जहां बसों में यात्रियों से पूछ रहा है कि उन्हें सरकारी बस में यात्रा के दौरान कोई तकलीफ तो नहीं हो रही और यात्रा के दौरान बस चालक या ड्राईवर उनके साथ कोई अभद्रता तो नहीं करता। मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर का यह रूप उत्तराखण्ड के अन्दर एक नई इबादत लिखने की ओर आगे बढता हुआ दिखाई दे रहा है। वह उत्तराखण्डवासियो ंके लिए एक शुभ संकेत ही कहा जा सकता है।