पुलिस कर्मचारियों के परिजनों ने बगावत का बिगुल फूंका

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संवाददाता
देहरादून। सोशल मीडिया पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने पुलिस कर्मचारियों के परिजनों से प्रदर्शन न करने की अपील को नकारते हुए बगावत का बिगुल फूंक दिया और बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरकर पुलिस कर्मचारियों को ग्रेड पे 46०० रूपये दिये जाने की मांग प्रबल तरीके से उठाई और सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज किया और कहा कि जब तक ग्रेड पे नहीं मिल जाता आंदोलन को जारी रखा जायेगा। इस अवसर पर उक्रांद, कांग्रेस सेवादल, आम आदमी पार्टी, सुराज सेवा दल, उत्तराखंड जनरल ओबीसी एम्पलाइज एसोसिएशन आदि संगठनों के कार्यकर्ताओं ने पुलिस कर्मचारियों के परिजनों के प्रदर्शन को समर्थन दिया।
यहां बड़ी संख्या में पुलिस कर्मचारियों के पीडि़त परिजन गांधी पार्क में इकटठा हुए और वहां पर पुलिस कर्मचारियों को ग्रेड पे 46०० रूपये दिये जाने की मांग को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों की अपील को नकारते हुए बगावत के सुर बुलंद करते हुए सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया और कहा कि जब तक पुलिस कर्मचारियों की यह मांग पूरी नहीं हो जाती आंदोलन को और तेज किया जायेगा। वहीं इस प्रदर्शन को देखते हुए एस्ले हॉल चौक से घंटाघर जाने के लिए एकतरफा मार्ग को पूरी तरह से बंद कर दिया गया और भारी पुलिस बल तैनात किया गया।
इस अवसर पर पुलिस के परिजनों ने कहा है कि लगातार कोरोना काल में अपनी सेवायें देने वाले पुलिस कर्मचारियों को आज 2० साल हो गये है उन्हें ग्रेड पे 46०० का लाभ नहीं मिल पाया है और उत्तर प्रदेश के समय से नियुक्त पुलिस कर्मचारियों का इसका लाभ दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लगातार पुलिस कर्मचारियों का अहित किया जा रहा है जिसे अब किसी भी दशा में सहन नहीं किया जायेगा। पुलिस कर्मचारियों के परिवार जनों का कहना है कि राज्य में दो व्यवस्थायें किस आधार पर चल रही है और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपील की थी वह प्रदर्शन न करें लेकिन परिवार जनों ने इस अपील को ठुकराते हुए प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज किया है।
परिजनों का कहना है कि पहले 16 वर्ष की सेवा के उपरांत 46०० ग्रेड पे दिया जाना था लेकिन तत्कालीन सरकार ने इसे 2० वर्ष कर दिया लेकिन आज 2० वर्ष बाद भी पुलिस कर्मचारियों को ग्रेड पे का लाभ नहीं मिल पाया है और उनके हितों के साथ कुठाराघात किया है और कोरोना संक्रमण काल में पुलिस सड़कों पर रही और वहीं महाकुंभ में भी अपनी डयूटी की लेकिन आज तक ग्रेड पे का लाभ नहीं मिल पाया है। पुलिस कर्मचारियों के परिजनों ने कहा कि सांसदों, मंत्रियों व पूर्व विधायकों की पेंशनें बद कर दी जानी चाहिए और उसका लाभ पुलिस कर्मचारियों को दिया जाना चाहिए।
इस अवसर पर यूकेडी के नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि ग्राम विकास अधिकारी को 28०० से 54०० का ग्रेड पे दिया जा रहा है और पुलिस कर्मचारियों के ग्रेड पे में कटौती की जा रही है जिसे किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। इसके लिए आंदोलन को और तेज किया जायेगा। उन्होंने कहा कि चर्चा चल रही है कि पुलिस कर्मचारियों एएसआई का पद दिया जा रहा है लेकिन उसका लाभ भी उन्हीं को मिलेगा जो पहले से ही 46०० ग्रेड पे का लाभ ले रहा है।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार की दोहरी व्यवस्था का पुरजोर विरोध किया जायेगा। उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मचारियों के परिजनों में ग्रेड पे का लाभ न दिये जाने से आक्रोश है और सरकार को तत्काल इसका संज्ञान लेने की जरूरत है अन्यथा दल के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरेंगें। उन्होंने कहा कि पुलिस ग्रेड पे मामले में पुलिसकर्मियों का रोष बढ़ता ही जा रहा। इस मामले को लेकर पुलिसकर्मियों के परिजन पहले ही अपना विरोध जता चुके हैं ।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के पुलिसकर्मियों का ग्रेड पे वेतन 46०० से घटाकर 28०० कर दिये जाने तथा ०8 से 1० हजार रूपये प्रतिमाह का नुकसान झेल रहे है। इस अवसर पर कांग्रेस सेवादल के प्रदेश महासचिव नीरज त्यागी ने पुलिस कर्मचारियों के परिजनों को अपना समर्थन देते हुए कहा कि ध्वज वंदन कार्यक्रम को पुलिस कर्मचारियों को ग्रेड पे कम करने के विरोध में पुलिस परिवार के सदस्यों द्वारा सरकार के विरोध में किये जा रहे प्रदर्शन को समर्पित किया और पुलिस परिवारों के साथ वंदे मातरम और ध्वज को फहराने के पश्चात सलामी दी व पुलिस परिवरों के साथ उनकी मांग में अपनी भी सहभागिता की। उन्होंनेे कहा कि पुलिस कर्मचारियों को शीघ्र की 46०० ग्रेड पे दिया जाना चाहिए अन्यथा आंदोलन को तेज किया जायेगा। इस अवसर पर अशोक मल्होत्रा, अंकुर रौथान, शीला श्रीवास्तव, सावित्री थापा, राकेश केडियाल, संदीप जायसवाल, जॉनसन जेम्स, राजकुमार यादव, माला राय, सुशीला देसाई आदि कार्यकर्ता शामिल थे। इस अवसर पर अनेक वक्ताओं ने संबोधित किया और इस अवसर पर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से प्रेषित किया गया। इस अवसर पर पुलिस के पीडि़त परिजन व राजनैतिक दलों के कार्यकर्ता व कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी व सदस्य बड़ी संख्या में शामिल थे।

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