तो भाजपा का चुनावी एक्शन शुरू!

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देहरादून। उत्तराखण्ड की सत्ताधारी भाजपा का 2022 को विधानसभा चुनावी एक्शन शरू हो गया है। दो दिन के दौरे पर राजधानी पहुँचे भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल सन्तोष व प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम के सानिध्य में भाजपा कौर ग्रुप की बैठक पर चुनाव मंथन ही मुख्य विषय रहा ऐसी चर्चाएं सामने आई हैं?
2017 में मोदी लहर के कारण प्रचण्ड बहुत से 57 विधायकों के लेकर सत्ता में पहुँची भाजपा के लिये चुनावी वर्ष ही बड़ा पेंच फंस गया है? चुनावी वर्ष में भाजपा ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदल लाभ की जगह बड़ा रिस्क ले लिया है ऐसी चर्चाएं राजनीतिक गलियारों में आये दिन चर्चा का विषय बनी रहती हैं? विधायकों में से ही नया मुख्यमंत्री न बना कर सांसद को मुख्यमंत्री बना दिया जिससे बेवजह एक जहां सत्ता दल के ही विधायकों की मृत्यु से चुनावी बोझ झेलना पड़ रहा है वही मुख्यमंत्री को विधानसभा चुनाव लड़वाना बड़ी चुनौती अपने आप अपने गले में डाल लिया है। जिस उत्साह के साथ भाजपा हाईकमान ने एक जमीनी नेता को मुख्यमंत्री बनाया था। उससे उलट पूरी तरह अनुभहीन राजनीतिज्ञ साबित हो रहे है मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत। तीरथ सिंह रावत के बयानों भाजपा ही बेकफुट पर खड़ी हो गयी है। भाजपा हाईकमान का प्लान ये था कि सितम्बर माह विधानसभा भंग कर ही चुनाव करा लिये जाएं जिससे तीरथ सिंह को चुनाव नही लड़ाना पड़ेगा? लेकिन कोरोनाकाल के कारण पूरे प्रदेश का माहौल भाजपा के खिलाफ है ऐसे में अधूरे कार्यकाल के साथ चुनाव कराना भाजपा के लिये बड़ा नुकसान साबित हो रहा था? इसलिये अब पूरे समय पर ही चुनाव में जाने का मन भाजपा हाईकमान ने बनाया है। दो दिन के दौरे पर पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं ये ही सन्देश दिया है। साथ ही बैठक में मुख्यमंत्री को किस सीट से चुनाव लगाया जाये। गंगोत्री की सीट भी खाली है ऐसे में वहाँ से चुनाव लड़ाया जाये या कोई विधायक मुख्यमंत्री के लिये सीट छोड़े? भाजपा हाईकमान के समस्या ये भी खड़ी हो गयी है कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह के लिये कोई विधायक भी अपनी सीट छोड़ने को तैयार नही है ऐसी चर्चाएं उठ रही हैं? पूर्व में ऋतु खंडूरी के सीट छोड़ने की चर्चाएं जोर पकड़ी भी थी लेकिनब ऋतू खंडूरी भी पीछे हट गयी हैं। वही मुख्यमंत्री प्रदेश इतने लोकप्रिय भी नही हैं जो किसी भी सीट से चुनाव लड़ाया जा सके। भाजपा हाईकमान का अतिआत्मविश्वास उसी पर भारी पड़ रहा है। अपने विधायकों तक अपनी मर्जी थोंपने की आदत के चलते ही विधायक हाईकमान का हर फरमान मानने को तैयार नही हो रहे हैं? राजधानी में ऐसे ही कई विषयों पर मंथन करने पहुँचे राष्ट्रीय नेताओं को एक के बाद एक इतने झटके उत्तराखंड से मिलेंगे उनको भी उम्मीद नही थी। ऐसे में हाईकमान के निर्देशों पर चुनावी तैयारियों का आदेश पार्टी नेताओं को दे दिया है। विभिन्न कार्यक्रमों को करने की जिम्मेदारी पार्टी के सातों मोर्चो के अध्यक्षों को दे दी गयी है। कोरोनाकाल कि स्थितियों के बाद कार्यकर्ताओं को कैसे चुनावी मोड में डाला जाये उसके लिये कई कार्यक्रमों का चिट्ठा पार्टी नेताओं को सौंप दिया गया है? वही सरकार से बाहर हुये राजमन्त्रियों पर भी स्थिति जल्द स्पष्ट करने को बोल दिया गया है? जो लोग चुनाव लड़ना चाह रहे हैं उनका पूरा संज्ञान भी संगठन ले। जहां पार्टी के विधायक हैं। वहां भी पार्टी के अन्य चुनाव लड़ने के इच्छुक कार्यकर्ताओं का मन टटोला जाएं और ऐसा माहौल बनाया जाये कि जिससे कार्यकर्ताओं को आपसी टकराव से बचाया जा सके?

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