देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखंड में भले ही संक्रमित लोगों की संख्या कम हो रही हो भले ही रोज स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े यह बता रहे हो कि उत्तराखंड में ठीक होने वाले लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है लेकिन इन सभी बातों में झूल यहां पर आ जाता है कि जब सब कुछ ठीक हो रहा है तो लोगों की मौत की संख्या क्यों कम नहीं हो रही है उत्तराखंड में लगातार स्वास्थ्य महकमे के द्वारा जारी हो रहे हेल्थ बुलिटिन में 80-100 150 और 180 तक मौत पहुंच गई है इस पर कोई भी बात करने के लिए फिलहाल तैयार नहीं है हां इतना जरूर है कि सरकार अपनी पीठ जरूर थपथपा रही है कि संक्रमण को रोकने में सरकार ने जो कदम उठाए थे वह बेहद काफी हैं इतना ही नहीं सरकार हर जगहों पर अपने मंत्रियों से अब अपना खुद प्रचार प्रसार कराने में लगी है कि उत्तराखंड में जल्द ही ऑल इज वेल हो जाएगा मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत हूं या उनके मंत्री लगातार फीता काटते हुए स्वास्थ्य से जुड़े संसाधनों को लोगों के लिए समर्पित करने की बात कर रहे हो लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जो रोज मौत हो रही है उनका जिम्मेदार भला कौन है क्या सरकार लोगों की जिम्मेदारी लेगी जो लापरवाही और सिस्टम का लगातार शिकार होकर अपनी जान गवा रहे हैं?
सरकार अपनी उपलब्धियों को न केवल वेबीनार में बल्कि तमाम मंचों पर बताते हुए थक नहीं रही है लेकिन सरकार यह बताने के लिए तैयार नहीं है कि जो पहाड़ से लेकर मैदान में मौत का सिलसिला जारी है वह सिस्टम और लापरवाही के कारण हो रहा है सरकार यह नहीं बता रही है कि हमने समय रहते अगर स्वास्थ्य महकमे को और सुधार लिया होता तो प्रदेश में रोजाना सैकड़ों मौतें नहीं होती सरकार यह भी बताने के लिए बिल्कुल तैयार रही हैं कि आखिरकार इस मौत का जिम्मेदार कौन है अगर अच्छे कामों की जिम्मेदारी सरकार के मुख्यमंत्री और मंत्री ले रहे हैं तो सरकार के मंत्रियों को इन मौतों का जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए सरकार को बोलना चाहिए अपने मंत्रियों को कि वह अपने-अपने विधानसभा अपने-अपने प्रभारी जहां के मंत्री हैं वहां पर जनता से माफी मांगे और कहे आने वाले समय में सरकार सब कुछ सही कर देगी लेकिन सरकार और नेताओं में भला इतनी हिम्मत कहां है कि वह हकीकत का सामना ना केवल खुद करें बल्कि जनता को भी करवा सकें।