पहाड़ों में टीका लगवाना भी महाभारत से कम नहीं!

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देहरादून(संवाददाता)। राज्य में टीकाकरण की स्थिति का आंकलन इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के सभी स्वास्थ्य कार्यकताओं को भी अभी वैक्सीन की दूसरी डोज नहीं लग पाई है। रूद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि विकास खंड में वैक्सीनेशन सेंटर में वैक्सीन लगवाने पहुंचे लोग को भी वैक्सीन नही लग पायी है।
सत्येन्द्र सिंह रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि  ब्लॉक के खैडी गांव में रहते हैं। उनकी उम्र 3० वर्ष है। उन्हें अक्सर घर से बाहर निकलना होता है। 18 से 45 वर्ष के लोगों के लिए कोविड वैक्सीन की शुरुआत हुई तो वे भी अपने गांव में करीब 12 किमी दूर रूद्रप्रयाग वैक्सीनेशन सेंटर पहुंचे। वहां बताया कि पहले उन्हें पोर्टल पर अपने लिए स्लॉट बुक करवाना होगा। यह भी बताया गया कि पोर्टल शाम 4 बजे खुलता है,तथा वे बिना वैक्सीन लगवाये ही लौटना पड़ा।इसके बाद लगातार एक हफ्ते तक स्लॉट बुक करने का प्रयास करते रहे,गांव में नेटवर्क नहीं होता है तो कभी रजिस्ट्रेशन के ऑप्शन तक पहुंचने से पहले ही सभी स्लॉट बुक हो जाते। आखिरकार 16 मई को स्लॉट बुक हुआ। कफ्र्यू के कारण पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं मिल पाया तो अस्पताल नहीं जा सके।
रुद्रप्रयाग जिले के ही अगस्त्यमुनि ब्लॉक के मदोला गांव के राजेन्द्र सिंह इतने भाग्यशाली नहीं हैं। वे भी 18 से 45 आयु वर्ग में आते हैं। राजेन्द्र सिंह 13 मई को अपने गांव से 12 किमी दूर चोपडा वैक्सीन सेंटर पहुंचे। वहां बताया गया कि यहां सिर्फ 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है। उन्हें वैक्सीन लगवाने अगत्यमुनि जाना पड़ेगा, जो गांव से करीब 2० किमी दूर है। राजेन्द्र को यह भी बताया गया कि पोर्टल पर स्लॉट बुक करके ही वैक्सीन लगवाने जाना है। राजेन्द्र बताते हैं कि 13 मई के बाद से लगातार वे स्लॉट बुक करवाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन नेटवर्क न होने के कारण स्लॉट बुक करना संभव नहीं है। राजेन्द्र सिंह की दूसरी परेशानी यह है कि यदि स्लॉट बुक हो भी जाता है तो वे अगस्त्यमुनि जाएंगे कैसे? आने-जाने के सभी साधन इन दिनों बंद हैं। गांव के कुछ और युवक प्रयास कर रहे हैं कि एक साथ सभी का स्लॉट बुक हो जाये तो कोई प्राइवेट कार या ट्रैकर बुक करके टीका लगावाने जाएंगे, लेकिन अब तक ऐसा हो पाना संभव नहीं पाया है। राज्य के 9 पर्वतीय जिलों में सत्येन्द्र और राजेन्द्र सिंह जैसे लाखों युवक और युवतियां हैं, जिन्हें टीका लगावाना है। लेकिन, एक तो उन्हें टीका लगवाने के लिए दूर जाना पड़ रहा है और दूसरी समस्या स्लॉट बुक करवाने की है। युवाओं का कहना है कि पोर्टल पर बताये गये समय पर रजिस्ट्रेशन के लिए नहीं खुलता। इसके अलावा इस आयु वर्ग के लिए इतने कम स्लॉट दिये जा रहे हैं कि खुलते ही सभी केन्द्रो के सभी स्लॉट बुक हो जाते हैं।
45 वर्ष से ज्यादा उम्र वालों के लिए रुद्रप्रयाग जिले में कई वैक्सीनेशन सेंटर हैं। इस आयु वर्ग के लोग सेंटर पर जाकर आसानी से वैक्सीनेशन करवा रहे हैं। लेकिन, 18 से 45 आयु वर्ग वालों का वैक्सीनेशन सिर्फ 5 सेंटर्स पर किया जा रहा है। इनमें रुद्रप्रयाग, जखोली, अगस्त्यमुनि, गुप्तकाशी और ऊखीमठ शामिल हैं। सुरेन्द्र वर्मा कहते हैं कि गांवों में इंटरनेट का नेटवर्क या तो होता ही नहीं है और होता भी है तो बहुत कमजोर होता है। ऐसे में पहली समस्या तो स्लॉट बुक करवाने की आ रही है। यदि किसी तरह स्लॉट बुक हो जाता है तो दूसरी समस्या जिले के दूर-दराज गांवों से वैक्सीनेशन सेंटर पहुंचते की आती है। कोरोना कफ्र्यू के कारण कोई वाहन सड़कों पर नहीं है। ऐसे में जिन लोगों का स्लॉट बुक होता है, वे 2००० रुपये तक खर्च करके ट्रैकर बुक करवाकर वैक्सीनेशन सेंटर पहुंचते हैं। राज्य के पर्वतीय जिलों में वैक्सीनेशन की रफ्तार कितनी कम है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य के 9 पर्वतीय जिलों में अब तक 18 से 45 वर्ष के केवल 5०585 लोगों का ही वैक्सीनेशन संभव हो पाया है। राज्य के चार मैदानी जिलों को भी मिला लिया जाए तो अब तक 18 से 45 आयु वर्ग के 1,22,167 लोग वैक्सीनेशन करवा चुके हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो राज्य में अब तक 18 से 45 वर्ष के टीका लगवाने वाले युवाओं में 59 प्रतिशत 4 मैदानी जिलों के हैं, जबकि 9 पर्वतीय जिलों के सिर्फ 41 प्रतिशत युवा ही इनमें शामिल हैं।
नौ पर्वतीय जिलों में 18 से 45 वर्ष के टीका लगावाने वाले लोगों की जिलावार कुल संख्या की बात करें तो किसी भी जिले में अब तक यह संख्या 8 हजार का आंकड़ा पार नहीं कर पाई है। अल्मोड़ा जिले में इस आयुवर्ग के 7,4०5, बागेश्वर में 6,816, चमोली में 6,841, चम्पावत में 6,656, पौड़ी में 7,187, पिथौरागढ़ में 3,919, रुद्रप्रयाग में 2,336, टिहरी में 6,०4० और उत्तरकाशी में 3,385 लोगों को ही टीका लगाया जा सका है। राज्य में टीकाकरण के मामले में हेल्थ केयर वर्कर्स, फ्रंट लाइन वर्कर्स और 45 वर्ष से अधिक उम्र के वर्ग की स्थिति भी संतोषजनक है। देशभर के साथ ही राज्य में सबसे पहले हेल्थ केयर वर्कर्स का टीकाकरण शुरू किया गया था। दावा किया गया था कि हेल्थ केयर वर्कर्स का पूरी तरह वैक्सीनेशन करने के बाद अन्य लोगों को टीका लगाया जाएगा। लेकिन, राज्य में अब भी 26,374 हेल्थ केयर वर्कर्स हैं। राज्य में 1,14,431 हेल्थ वर्कर्स को वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है, लेकिन दूसरी डोज इनमें से केवल 88,०57 को ही मिली है। इसी तरह 59,462 फ्रंट लाइन वर्कर्स की वैक्सीन की दूसरी डोज का इंतजार कर रहे हैं। 1,47,2०1 फ्रंट लाइन वर्कर्स को वैक्सीन की पहली डोज दी गई है। इनमें से 87,739 को ही दूसरी डोज मिल पाई है। दूसरी डोज का इंतजार करने वालों में सबसे बड़ी संख्या 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की है। चमोली जिले के गौचर सिदोली निवासी 5० वर्षीय रमेश दत्त बताते हैं कि उन्होंने 12 अप्रैल को पहला टीका लगाया था। उन्हें जो सर्टिफिकेट दिये गया है, उसमें 28 दिन बाद दूसरा टीका लगाने की डेट लिख गई है। 14 अप्रैल का वे दूसरा टीका लगाने के लिए गये, लेकिन अब उन्हें 9० दिन बाद आने के लिए कहा गया है।

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