हरक के आंसू बता रहे सरकार हो गई फेल!

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देहरादून(संवददाता)। उत्तराखण्ड में चार साल से प्रचंड बहुमत की सरकार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने जिस तरह से आंखो से आंसू छलकाते हुए मीडिया के सामने अपना दर्द रखा कि कोरोना को लेकर सरकार से गलती हुई है और उनके काफी अपने कोरोना काल में मौत के आगोश में चले गये जिन्हें वह नहीं बचा पाये। हरक के आंसू में छलके इस दर्द से यह सवाल खडे हो गये कि राज्य में कोरोना से निपटने के लिए प्रचंड बहुमत की सरकार फेल हो चुकी है? सवाल यह भी उठ रहे हैं कि जो दर्द हरक सिंह रावत का अब दिखाई दे रहा है वह दर्द एक साल से वह क्यों मन में दबाकर रखे हुये थे कि कोरोना की दूसरी लहर में वो सबकुछ देखने को न मिले जो पहली लहर में सरकार को देखने को मिला था? चुनाव बेला से पहले हरक सिंह रावत के इन आंसूओं के कई मायने निकाले जा रहे हैं और यह भी बहस छिड रही है कि अगर उन्हें राज्य में कोरोना से हो रही मौतों को लेकर अपनी सरकार फेल नजर आ रही है तो फिर वह सरकार से इस्तीफा देने के लिए क्यों आगे नहीं आ रहे हैं? वहीं यह भी बहस छिड गई है कि त्रिवेन्द्र रावत राज की नाकामी का बोझ तीरथ सिंह रावत को विधानसभा चुनाव में भी उठाना पडेगा? कोरोना के कारण आज पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी देखी जा रही है। कोरोना संक्रमण का हाल ये है कि हॉस्पिटल में किसी को बेड नही मिल रहा तो किसी को पबन बेड। प्रदेश में आज तो हाल है, उसके पीछे असल कारण पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अदूरदर्शिता है। अगर पहली लहर के बाद पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार के लिये कोई ठोस कार्ययोजना बना लेते तो शायद आज ये दिन न देखने पड़ते। पहली लहर के समय केंद्र सरकार और विभिन्न संघटनो से सहायता मिली थी, लेकिन कोई ठोस कार्ययोजना न होने के कारण आज स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल देखने को मिला है। इस बात को कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने स्वीकार किया है कि अगर हम पहले से तैयारी कर लेते तो शायद आज प्रदेश मे कोरोना संक्रमण इतना न होता। यही नही डॉ रावत भावुक होकर ये भी कहते है कि इतनी मौतें उन्होंने अपने जीवन मे कभी नही देखी। हरक सिंह रावत के इस बयान से समझा जा सकता है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वक्त रहते सही निर्णय लिए होते, तो आज कोरोना संक्रमण की रफ्तार इतनी न होती। त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद मुख्यमंत्री की कमान तीरथ सिंह रावत सौंपी गई। नये मुखिया तीरथ सिंह रावत के सामने चुनौती ही चुनौती है। यही कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को पूर्व मुख्यमंत्री की अदूरदर्शिता की भरपाई उठानी पड़ रही है।

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