झूमता प्रदेश – घूमती सरकार

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देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड के डीजीपी ने जैसे ही राज्य पुलिस को मिशन हौसला की कमान सौंपी तो उसके बाद सभी जनपदों की पुलिस अपना रूप दयावान के रूप में दिखाकर उसकी फोटो को सोशल मीडिया व मीडिया में प्रसारित कराने के लिए आगे आ रखी है लेकिन जिस तरह से इस छोटे प्रदेश में कोरोना काल के दौरान भी युवा पीढी नशे के दलदल में धसती जा रही है और नशा तस्करों की मौजूदा समय में नशा बेचने के लिए जिस तरह से बल्ले-बल्ले हो रही है उससे साफ नजर आ रहा है कि किस तरह से प्रदेश का काफी युवा नशा कर कोरोना काल में भी खूब झूम रहा है और उत्तराखण्डवासियों को इलाज के लिए जिस तरह से एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक भटकना पड रहा है उसको देखते हुए भी सरकार ऐसे मरीजों को जनपदों में इधर से उधर धुमाने के मिशन में ही आगे खडी हुई दिखाई दे रही है जिससे सवाल खडे हो रहे हैं कि राज्य का डीजीपी को मिशन हौसला के साथ मिशन नशा तस्कर को भी अंजाम तक पहुंचाने के लिए शुरू करना चाहिए नहीं तो राज्य की अधिकांश युवा पीढी नशे के मकडजाल में फंसती हुई राज्यभर में नशे में झूमती हुई नजर आयेगी?
एक तरफ आम जनमानस कोरोना से अपना और अपने प्रियजनों का जीवन बचाने के लिए घर, बैंक बैलेंस, गहने, चल -अचल सम्पत्ति और कर्ज लेकर अपना सब कुछ दांव पर लगाकर और महंगाई और कालाबाजारियों की मार झेलकर भी बस सामान्य जीवन जीने की जुगत पर अड़ा है। वहीं प्रदेश की राजधानी में नशा तस्करों की चांदी हो रखी है, रायपुर, नेहरू कोलोनी, चक्खूवाला, डालनवाला, राजपुर, प्रेमनगर आदि जगहों पर और हमारे नौनिहाल नशे की गर्त में जा रहे हैं। जहां शासन प्रशासन इस अबूझ बीमारी के आगे नतमस्तक है,वही पुलिस भी केवल कर्फ्यू -कर्फ्यू खेल कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रही है,इसीलिए तो आज कलाबाजारियों के साथ -साथ नशा तस्करों की भी पौ बारह हो रही है। जहां पर शराब दुकानें बंद होने के बाद भी रेगुलर ब्रांड्स जोकि 5/ की थी वह अब 12से 15 तक ब्लैक मार्केट में परोसी जा रही है, वही गुटखा, सिगरेट तंबाकू भी हिलोरे मार रहा है। दुखद पक्ष तो यह है की जो प्रतिबंधित ड्रग्स है वह भी 5/7 सौ रुपए में बिक रही है जिससे की हमारा आज तो बर्बाद हो ही रहा है।और हमारा कल भी अंधकार में जा रहा है।जब इस करोना महामारी का परकोप कम होगा ,तब क्या यह नौजवान पीढ़ी संघर्ष करके एक नया उज्ज्वल भविष्य गढ़ पाएगी।अगर इस और न देखकर शासन, प्रशासन सिर्फ अफसरों के आगे जी हजूरी करके निकल गए तो हमारे और उनके नैतिक दायित्वों का क्या होगा !क्या हमारी आने वाली पीढ़ी फिर ऐसी घटनाओं को झेलकर नया सवेरा ला पाएगी।

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