धर्मयुद्ध लडें मुख्यमंत्री!

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हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।
तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः।।
देहरादून(संवाददाता)। कुरुक्षेत्र की रणभूमि में जब अर्जुन अपने सगे संबंधियों, गुरुओ को देखकर युद्ध न करने का मन बना चुके थे,तो कृष्ण ने अर्जुन को धर्म युद्ध का ज्ञान दिया। अब उत्तराखण्ड में जिस तरह से कोरोना काल ने तांडव मचा रखा है और आये दिन मौतों के आंकडों से हर परिवार अपने घर में दुबक कर भी डरा सहमा हुआ है उसको देखते हुए राज्य के अन्दर अब यह आवाज भी उठनी शुरू हो गई है कि सरकार के नये मुखिया को अब कोरोना काल में धर्मयुद्ध लडने के लिए खुद कमान अपने हाथों में संभालनी चाहिए और जिन कुछ अफसरों के सहारे वह इस धर्मयुद्ध को लडने पर संकोच कर रहे हैं उस संकोच को त्याग कर वह इस कोरोना काल में खुद इस लडाई को लडने के लिए मैदान में कूद जायें तो उत्तराखण्ड की जनता उनके इस धर्मयुद्ध को देखकर उनकी गाथा गाने से भी पीछे नहीं हटेगी। यह धर्मयुद्ध सिर्फ कुछ समय का है और अगर यह मुख्यमंत्री की समझ में आ गया तो राज्य के अन्दर जिस तरह से उन्हें कमजोर मुख्यमंत्री का तमका देने का कथन शुरू हुआ है उस कथन पर हमेशा के लिए विराम लग जायेगा अगर मुख्यमंत्री अभी भी कोरोना से लडने के लिए खुद धर्मयुद्ध का ऐलान कर दें।
तीरथ सिंह रावत भी कुछ यही कमोबेस की स्थिति से गुजर रहे हैं। राज्य में कोरोना महामारी का प्रकोप निरंतर बढ रहा है, सरकार के हर संभव प्रयास व निर्देशों के बाबजूद भी पीडितो का आंकड़ा भयावह होता जा रहा है। सरकार के स्तर से हर संभव प्रयास करने के बाबजूद भी कोरोना संक्रमण में कोई गिरावट दर्ज नहीं हो पा रही है। राज्य में कोरोना महामारी तीरथ सिंह रावत की सरकार की धडकनें बढा रही है,जबकि आये दिन सोशल मीडिया,सत्ता के गलियारे से दूर निरपक्ष पत्रकारों द्वारा चेताया जा रहा है, इसके बाबजूद भी न तो सूबे के मुखिया ने आँखो से पट्टी उतारने की कोशिश की ओर न दागी अधिकारियों व चाटुकारो ने उन्हें वास्तविक स्थिति से अवगत कराने की नैतिकता समझी? जबकि स्वास्थ्य महकमें में अधिकारियों की लम्बी चौड़ी फेरहिस्त है, इसके बाबजूद भी वायरस रूपी बहुरूपिये पर अंकुश न लगाने में अक्षम सरकार की जनता के बीच छवि धूमिल होती जा रही है। राज्य में जीवनदायनी दवाओं, उपकरणों सहित तमाम आवश्यक वस्तुओं की कमी को देखकर यही लग रहा है कि सरकार को पर्दे के पीछे से विफल करने की साजिश की जा रही है। अस्पतालों में हालात बेहद खराब है,जो किसी से छिपे नहीं है,कोरोना से चाहे मौतें जितनी भी हो लेकिन एक कारण इन होती मौतें के पीछे यह भी है कि अस्पतालों में जीवन रक्षक दवाओं ओर उपकरणों के अभाव में मरीज तडफ कर मर रहे है। उत्तराखण्ड में कोरोना का तांडव जिस तरह से राज्य में देखने को मिल रहा है और आये दिन मौतों का आंकडा राज्यवासियों को डराने में लगा हुआ है उसके चलते अब सोशल मीडिया पर यह मांग भी उठने लगी है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाये तो कोई राज्य को सेना के हवाले करने की मांग कर रहा है ऐसे में मुख्यमंत्री का राजनीतिक भविष्य मौजूदा दौर में दाव पर लग गया है इसलिए अगर मुख्यमंत्री ने अपने हवा-हवाई दावे करने वाले अफसरों को दरकिनार कर खुद धर्मयुद्ध लडने के लिए ऐतिहासिक फैसला न लिया तो यह उनके राजनीतिक जीवन पर एक ग्रहण भी लगा सकता है? वर्तमान हालातों को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि अब सूबे के मुखिया को धर्म युद्ध शुरू कर देना चाहिए, यदि इस युद्ध में कोई जयचंद्र वीरगति को प्राप्त हो तो वह राज्य के विकास व स्वयं मुख्यमंत्री के लिए शुभ हो सकती है।

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