सरकार कभी सच का आईना भी देख लो?
राजधानी में ‘ऑक्सीजन सिलेण्डर के लिए त्राहिमान’
सागर शर्मा
देहरादून। उत्तराखण्ड की अस्थाई राजधानी में सैकडों कोरोना मरीज के परिजन अपनों की सांसे चलती रहें इसके लिए वह शहर के हर छोटे-बडे इलाके में सिर्फ एक ऑक्सीजन सिलेण्डर हासिल करने के लिए सुबह से लेकर रात तक दौडते दिखाई दे रहे हैं। सरकार कहती है कि उसने कोरोना से लडने के लिए युद्ध स्तर पर तैयारी कर रखी है लेकिन यह तैयारी कौन से ब्राहमाण के लिए की गई है यह समझ से परे है? सरकार अगर राजधानी में ही कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलेण्डर की व्यवस्था नहीं कर पा रही है तो फिर उत्तराखण्ड के अन्दर हर कोरोना मरीज के परिवार को सिर्फ भगवान का आसरा बना हुआ है और उन्हें सरकार नाम की कोई चीज दिखाई नहीं दे रही है यह भी अब एक सच बनता जा रहा है? अगर सरकार एक कोरोना मरीज को जीवन देने के लिए उसे एक ऑक्सीजन सिलेण्डर तक उपलब्ध नहीं करा पा रही तो फिर अंदाजा लगाया जा सकता है कि आवाम की नजर में अब सरकार सिर्फ एक ब्रहम जाल है?
उत्तराखंड में बढ़ते कोरोना के आकड़ो के बीच ऑक्सीजन की मांग भी बढ़ती जा रही है जिला प्रशासन द्वारा सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से ऑक्सीजन सप्लायार के नंबर जारी करने के बाद भी अधिकतर लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है राजधानी देहरादून में सबसे ज्यादा दिक्कत ऑक्सीजन सिलेंडर की आ रही है जरूरत पड़ने पर जब लोग ऑक्सीजन सप्लायर्स के नंबर मिला रहे हैं तब ऑक्सीजन सप्लायर्स सिलेंडर ना होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ ल रहे है तो कहा गए ऑक्सीजन सिलेण्डर आखिर क्यों नहीं मिल पा रही है लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर यह जानने के लिए जब ‘क्राईम स्टोरी’ ने शहर को खंगाला तो उसे देखकर तो यह आभास हो गया कि सरकार के ऑक्सीजन सिलेण्डर को लेकर किये जा रहे सरकारी दावे सिर्फ हवाबाजी से ज्यादा कुछ नहीं है?
उत्तराखंड में कोरोना के मामले सारे रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं कल राजधानी में 7 हजार कोरना संक्रमित मरीज सामने आए वही उत्तराखंड में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीजो का आंकड़ा राजधानी देहरादून का है ऐसे में खासतौर पर राजधानी देहरादून में जिन लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है तो वे लोग अस्पतालों के रुख कर रहे है लेकिन अस्पतालों में भी इंतजाम नाकाफी नजर आ रहे हैं ऐसे में जब लोग ऑक्सीजन सप्लायर्स पर ऑक्सीजन के लिए पहुँच रहे हैं तो वहां पर भी कड़ी मशक्कत और घंटों लाइन में खड़े रहने के बाद उनका ऑक्सीजन सिलेंडर रिफिल किया जा रहा है लेकिन अगर आपके पास ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं है तो फिर रिफलिंग भी नही हो पा रही है। ऐसे में ऑक्सीजन सप्लायर भी पल्ला झाड़ रहे हैं जिसकी वजह से अब लोगो का डर बढ़ता जा रहा है सबसे ज्यादा अगर इस वक्त किसी चीज को लेकर अफरा तफरी मची हुई है तो वह ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी ही है क्योंकि इस बार नई स्ट्रेन में करोना के कारण लोगो का ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा है जिसकी वजह से मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है आप को बता दे की उत्तराखंड में ऑक्सीजन रिफिल करवाने के लिए लंबी-लंबी कतारें लग रही है लोगो की मानो तो ऑक्सीजन रिफिल करवाने के लिए 1 से 2 दिन का समय भी लग रहा है वही ऑक्सीजन सप्लायर की मानें तो बड़े सिलेंडर की रिफिलिंग में कोई दिक्कत नहीं है दिक्कत छोटे सिलेंडर को लेकर आ रही है छोटा सिलेंडर रूपये 200 बड़ा सिलेंडर 500 रुपये में रिफिल हो रहा है।
सवाल ऐसे में यह उठता है कि जब जिला प्रशासन सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त होने की बात कह रहा है और सप्लायर द्वारा ऑक्सीजन सिलेंडर डिसटीब्यूट करने का जिक्र किया जा रहा है तो फिर बाजार में लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया क्यों नहीं हो पा रहे है? सवाल उठने लगे हैं कि इसके पीछे कई लाला कालाबाजारी को अंजाम तो नहीं दे रहे है? वही जिन कोरोना मरीजों को समय पर उपचार नही मिल पा रहा है और अस्पतालों में बेड खाली नही है इन तमाम परेशानियों ने उत्तराखंड के स्वास्थ्य व्यवस्थायों की पोल खोल दी है ऐसे में अगर कोरोनो मरीजों की संख्या में कमी नही आई तो क्या हालात आगे होंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड में फैलती महामारी से कैसा मंजर होने वाला है? हालांकि तमाम अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेण्डर सप्लायरों से संपर्क करने पर जो तथ्य सामने आए वो चौका देने वाले है? कुल मिलाकर कहा जाये तो जिस तरह से सरकार के चंद अफसर आये दिन मीडिया के सामने आकर दावे करते हेैं कि राज्य में आईसीयू बैड व ऑक्सीजन सिलेण्डर की कमी नहीं है वह सिर्फ एक झूठ से ज्यादा कुछ नजर नहीं आ रहा है?