किसके हाथों में खेलते हैं सरकार के सलाहकार?

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड का इतिहास रहा है कि जब भी कोई नया मुख्यमंत्री सत्तासीन होता है तो अचानक उनकी टीम में कुछ ऐसे चेहरे सलाहकारों के रूप में आगे आ जाते हैं जो मुख्यमंत्री को सच का आईना दिखाने के बजाए वही सबकुछ बताते हैं जो एक राजनेता सुनने की चाहत रखता है ऐसे में सालों से सवाल तैरते आ रहे हैं कि आखिर सरकार के यह सलाहकार किसके हाथेां में खेलते हैं जिसके चलते वह अपने मुखिया को सही रास्ता दिखाने के लिए कभी भी आगे नहीं आते और यही कारण रहता है कि सरकार की मीडिया व आम जनमानस से इतनी दूरियां बढ जाती हैं कि उसका संदेश राज्य में गलत चला जाता है और यह संदेश हर मुख्यमंत्री के लिए घातक हो जाता है?
उल्लेखनीय है कि जब भी कोई मुख्यमंत्री सत्ता से हटाया गया तो उसके बाद यही बहस चली कि अगर मुख्यमंत्री के सलाहकार सही होते तो मुख्यमंत्री की कुर्सी कभी भी नहीं फिसलती ? त्रिवेन्द्र रावत के चंद सलाहकार भी ऐसे थे जिन्होंने अपने हिसाब से त्रिवेन्द्र को हिटलरशाही का रास्ता दिखाया और वह उसी रास्ते पर निकलकर आवाम की आंखों में चुभने लगे थे? अब राज्य में नये मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की ताजपोशी हुई है तो उनके साथ वो कौन चंद सलाहकार हैं जो उन्हें राज्य में चल रहे सच को बताना नहीं चाह रहा? ऐसे में सवाल उठने लाजमी हैं कि मुख्यमंत्री के आस-पास रहने वाले कुछ सलाहकार आखिर किसके हाथो में खेलते हैं जिसके चलते वह अपने मुखिया को सही और गलत का पैमाना नहंी बता पाते?

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