अफसरशाही के बेलगाम होने से ही मुख्यमंत्री की जाती रही है ‘कुर्सी’
एसडीएम का महिला से अभद्रता का ऑडियो हो रहा वायरल
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में प्रचंड बहुमत की सरकार के पूर्व मुखिया अपने शासनकाल में सत्ता को लोकतंत्र से नहीं बल्कि राजशाही से चलाते रहे और उनके कार्यकाल में एक दर्जन से अधिक बेलगाम अफसर त्रिवेन्द्र रावत को सरकार चलाने का हुनर सिखाते रहे और उन्हें ऐसे मोड पर ले गये जहां उन्हें अपने चार साल का जश्न मनाने का भी मौका नहीं मिला जिसके चलते हाईकमान ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा दिया। उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव होने में मात्र कुछ माह का समय बचा है और मधुर व सरल स्वभाव के मुख्यमंत्री से राज्यवासियों को एक आशा बंधी थी कि वह राज्य में बेलगाम हो चुकी अफसरशाही पर नकेल लगायेंगे लेकिन काफी अरसा बीतने के बाद भी उत्तराखण्ड के अन्दर ऐसा कुछ देखने को नहीं मिल रहा जिसको लेकर आम आदमी के मन में एक नई उमंग दिखाई दे रही थी? अब तो उत्तराखण्ड के अन्दर चारों ओर शोर मचना शुरू हो गया है कि राज्य में सिर्फ सीएम का चेहरा बदला है और सिस्टम वैसे का वैसा ही है? कोरोना काल में जहां राज्य के अन्दर हर तरफ हाहाकार मची हुई है वहीं सरकारी सिस्टम हवाबाजी में दावे कर रहा है कि कोरोना से लडने के लिए उसका समूचा सिस्टम अलर्ट है जबकि धरातल पर यह दावे सिर्फ एक शिगुफे से ज्यादा कुछ नहीं है? गजब बात तो यह है कि मुख्यमंत्री सोशल मीडिया पर राज्यवासियों से कोरोना से लडने की उन्हें हिम्मत दे रहे हैं वहीं ऋषिकेश के एक एसडीएम की सोशल मीडिया पर ऑडियो वायरल हो रखी है कि जब एक समिति की युवती ने उनसे जब कोरोना के मरीजों के बैड के बारे में जानकारी हासिल करना चाही तो एसडीएम ने इस अंदाज में उसके साथ अभद्रता की मानो वह एसडीएम नहीं बल्कि राज्य के भाग्यविधाता हों? उत्तराखण्ड का इतिहास रहा है कि जब भी किसी मुख्यमंत्री की कुर्सी गई है तो उसके पीछे बेलगाम अफसरशाही ही माना गया? अब राज्य में भले ही मुख्यमंत्री का चेहरा बदल गया हो लेकिन सिस्टम में तिनकाभर भी कुछ बदलाव हुआ हो ऐसा शायद अब तक नजर नहीं आ रहा है जो कि मुख्यमंत्री के लिए शुभ संकेत नहीं है?
उत्तराखण्ड के नये मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को जब सत्ता मिली तो राज्यवासियों के मन में एक आशा की किरण जागी थी कि वह अपने बेलगाम हो चुके दर्जनों अफसरों पर नकेल लगायेंगे और त्रिवेन्द्र राज में जो चंद अफसर आवाम को हिल्टरशाही अंदाज में उनके साथ व्यवहार करते थे उस पर जल्द से जल्द नकेल लग जायेगी। हैरानी वाली बात यह है कि तीरथ ंिसह रावत के राज में आज भी दागी अफसरों की ऐसी फौज पॉवरफुल बनी हुई है जो त्रिवेन्द्र राज में भी पॉवर में थी? नये निजाम आने के बाद राज्य के अन्दर अफसरशाही में एक बडा फेरबदल होने की प्रबल सम्भावनाएं बनी हुई थी लेकिन यह सम्भावनायें धरातल पर आज तक धडाम ही दिखाई दे रही हैं। ऐसे में तीरथ सिंह रावत 2022 के विधानसभा चुनाव में आवाम के बीच किस मिशन को लेकर आगे आयेंगे यह एक बडा सवाल राज्य में अब तैरना शुरू हो गया है? तीरथ ंिसह रावत ने अपने अब तक के कार्यकाल में न तो पुलिस और न ही प्रशासन में कोई फेरबदल करने के लिए अपना खाका बनाया जिससे कि आवाम में संदेश चला गया कि शायद तीरथ ंिसह रावत भी राज्य के कुछ अफसरों के बिछाये चक्रव्यूह में फंस गये हैं? उत्तराखण्ड के अन्दर कोरोना काल में धरातल पर कहीं सरकार दिखाई नहीं दे रही और सिस्टम के कुछ अफसर आये दिन मीडिया के सामने आकर यह दावे करने लगते हैं कि कोरोना मरीजों के लिए आईसीयू बैड, ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है लेकिन अस्पतालों के बाहर जिस तरह से लोग अपने कोरोना मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए वहां के प्रशासन से भीख मांगते हुए दिखाई दे रहे हैं वह यह बताने के लिए काफी है कि राज्य में कोरोना से लडने के दावे कोरा झूठ हैं? गजब बात तो यह है कि स्वास्थ्य महकमें के कुछ अफसर सिर्फ ए.सी कमरो में बैठकर कोरोना से जंग लडने का दम भर रहे हैं जबकि धरातल पर कोरोना की जकड में आये परिवार के परिवार अपने सम्बन्धियों की अपने सामने हो रही आकाल मौतों को लेकर विलाप कर रहे है और उनका दर्द जानने के लिए सरकार व उसका सिस्टम घृतराष्ट्र की भूमिका में है? उत्तराखण्ड में कोरोना काल के दौरान जहां हर अफसर को आम इंसान के आने वाले फोन पर उसके साथ मधुर बातचीत करनी चाहिए वहीं ऋषिकेश के एक एसडीएम की एक समिति से जुडी महिला सदस्य से हुई बातचीत जिस तरह से सोशल मीडिया पर वायरल हो रखी है उसे सुनकर हैरानी हो रही है कि किस तरह से तीरथ राज में भी कुछ अफसर अपने आपको राज्य का सुलतान समझकर जनता को अपना गुलाम मान रहे हैं? ऐसे में तीरथ रावत 2022 में पार्टी को कैसे जीत का स्वाद चखा पायेंगे यह समझ से परे है?